शहरों में बढ़ी बेरोजगारी, हर पांच युवा में एक ढू़ढ रहा रोजगार, नई रिपोर्ट में हुआ खुलासा

जुलाई 2025 में, महिलाओं की बेरोजगारी दर 8.7% तक पहुंच गई, जो पुरुषों के मुकाबले अधिक है। यह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में देखा गया है। क्या कहते हैं आंकड़े...चलिए समझते हैं

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भारत में बेरोजगारी से जुड़ी राहत और चिंता की मिली-जुली खबरें सामने आई हैं। केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय ने जानकारी दी कि जुलाई 2025 में बेरोजगारी दर घटकर 5.2% पर आ गई है, जो पिछले तीन महीनों में सबसे कम है। यह गिरावट मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी में कमी आने के कारण है। अप्रैल से जून तक की तिमाही में यह दर 5.6% थी। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में जहां नियमित मासिक वेतनभोगी कर्मचारी रहते हैं, बेरोजगारी दर 6.8% से बढ़कर 7.2% हो गई है। 

मंत्रालय ने पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के तहत पहली बार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के तिमाही आंकड़े एक साथ जारी किए हैं। एक और चिंताजनक पहलू यह है कि 29 साल तक के कॉलेज खत्म करने के बाद पहली बार नौकरी ढूंढ रहे युवाओं में से 19% के पास काम नहीं है। इसका मतलब है कि नई पीढ़ी के हर पांच में से एक युवा बेरोजगार है।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी का अंतर

रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति में इजाफा हुआ है। आईटी, टेलिकॉम, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल सेक्टर जैसी नई इंडस्ट्रीज ने रोजगार का ग्राफ ऊपर किया है। हालांकि, यह देखा गया कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर गांवों की तुलना में अधिक है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिससे गांवों और कस्बों में बेरोजगारी की स्थिति में सुधार हुआ है।

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की बेरोजगारी दर अधिक

जुलाई 2025 में, महिलाओं की बेरोजगारी दर 8.7% तक पहुंच गई, जो पुरुषों के मुकाबले अधिक है। यह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में देखा गया है, जहां महिलाओं को रोजगार ढूंढने में पुरुषों की तुलना में अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

कामगार-जनसंख्या अनुपात (WPR) में सुधार

15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) जुलाई 2025 में 52% रहा। यह अनुपात बताता है कि कुल आबादी में से कितने लोग वास्तव में रोजगार में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में WPR 54.4% था, जो शहरी क्षेत्रों के 47% से अधिक है। खासकर ग्रामीण भारत में महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी शहरी महिलाओं के मुकाबले अधिक रही।

श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में बढ़ोतरी

जुलाई 2025 में, श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 54.9% रही, जो यह बताती है कि काम करने के लिए उपलब्ध या काम कर रहे लोगों की कुल संख्या में वृद्धि हुई है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर अधिक रही। शहरी क्षेत्रों में LFPR 50.7% थी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 56.9% थी।

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LFPR और बेरोजगारी दर का सीधा संबंध

श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) और बेरोजगारी दर (UR) के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है। यदि LFPR अधिक है, तो इसका मतलब है कि लोग काम करने के लिए अधिक उत्साहित हैं और बेरोजगारी दर में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि अधिक लोग नौकरी की तलाश कर रहे हैं।

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भारत सरकार बेरोजगारी दर की गणना कैसे करती है?

भारत सरकार बेरोजगारी दर का आंकलन मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (MOSPI) द्वारा किए गए पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के आधार पर करती है। इस सर्वे में घर-घर जाकर लोगों से सवाल पूछे जाते हैं, जैसे कि वे काम कर रहे हैं, नौकरी ढूंढ रहे हैं। या काम नहीं करना चाहते।

बेरोजगारी दर और श्रम शक्ति के बारे में क्या समझना चाहिए?

बेरोजगारी दर वह प्रतिशत है जो यह बताता है कि काम करने की इच्छा रखने वाले लोगों में से कितने लोग नौकरी पाने में सक्षम नहीं हो पाए हैं। वहीं, श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) यह बताती है कि कितने लोग काम करने के लिए तैयार हैं और कितने लोग काम कर रहे हैं। 

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FAQ

1. बेरोजगारी दर क्या है और इसे कैसे मापा जाता है?
बेरोजगारी दर वह प्रतिशत है जो यह दर्शाता है कि काम करने की इच्छा रखने वाले कितने लोग नौकरी नहीं पा सके हैं। इसे मापने के लिए भारत सरकार पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) करती है, जो घर-घर जाकर यह आंकड़े एकत्रित करती है।
2. श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) वह प्रतिशत है, जो बताता है कि कितने लोग काम करने के लिए उपलब्ध हैं या सक्रिय रूप से नौकरी ढूंढ रहे हैं। यह आंकड़ा यह बताता है कि एक देश के श्रमिकों की मानसिकता और काम करने के प्रति उत्साह कैसा है।
3. भारत में महिला बेरोजगारी दर क्यों अधिक है?
भारत में शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की बेरोजगारी दर पुरुषों से अधिक है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक या सांस्कृतिक बाधाएं महिलाओं के रोजगार की गति को प्रभावित करती हैं। बेरोजगारी दर का यह अंतर महिला शिक्षा, कार्यस्थल में समान अवसर, और सामजिक मान्यताओं के कारण होता है।

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