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भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा मंगलवार (15 जुलाई) को समाप्त हो गई। लगभग 22.5 घंटे के सफर के बाद शुभांशु और उनके तीन साथी कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर सुरक्षित लैंडिंग कर चुके हैं। दोपहर के लगभग 3:00 बजे उनका मिशन सफलता के साथ समाप्त हुआ। इससे न केवल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई दिशा मिली, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित हुआ।
देशभर में उनके लौटने की खुशी का माहौल है, और लोग इस ऐतिहासिक घटना को बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं। इस मिशन में शुभांशु और उनके साथियों ने पृथ्वी की 288 बार परिक्रमा की। इस यात्रा से पहले, 1984 में राकेश शर्मा ही पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे, जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की थी। अब, शुभांशु शुक्ला ने इस गौरवमयी सूची में अपना नाम दर्ज करवा लिया है और वह दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में कदम रखा।
शुभांशु का ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में 18 दिन बिताने के बाद, शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों ने सोमवार शाम 4.45 बजे (भारतीय समयानुसार) आईएसएस से पृथ्वी की ओर रवाना हुए थे। नासा ने इस रवानगी का लाइव प्रसारण किया था।
इस मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री
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शुभांशु शुक्ला (भारत)
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पैगी व्हिटसन (अमेरिका)
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स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की (पोलैंड)
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टिबोर कापू (हंगरी)
शुभांशु की वापसी पर एक नजर...
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कैलिफोर्निया में शुभांशी की हुई वापसी
मंगलवार, 15 जुलाई को दोपहर करीब 3:00 बजे (भारतीय समयानुसार) कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर उनकी सुरक्षित लैंडिंग हो गई है। यह लैंडिंग एक सफल अंतरिक्ष मिशन की पुष्टि की है, जो भारत के लिए गर्व का कारण बन गया है।
अंतरिक्ष यात्रा के दौरान दिखाए गए खास प्रयोग
अंतरिक्ष में रहते हुए शुभांशु शुक्ला ने शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव किया और एक मजेदार वीडियो शूट किया। इसमें हवा में तैरते पानी के बुलबुले दिखाई दे रहे थे। यह दृश्य अंतरिक्ष में पानी की अनोखी अवस्था को दर्शाता है, जो शून्य गुरुत्वाकर्षण में संभव होता है।
उन्होंने यह भी बताया कि वह लगातार आईएसएस की खिड़की से पृथ्वी की तस्वीरें लेते रहे और इन अद्भुत अनुभवों को अपने परिवार और देशवासियों के साथ साझा करने का इंतजार कर रहे थे।
परिवार और देशवासियों का था इंतजार
शुभांशु के परिवार को उनके पृथ्वी पर लौटने का बेसब्री से इंतजार था। जब उन्हें उनकी वापसी की सूचना मिली, तो पूरे परिवार ने खुशी का इजहार किया और शुभांशु की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे थें। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर शुभांशु का स्वागत किया और कहा कि पूरा देश उनकी वापसी का इंतजार कर रहा है।
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इसरो ने 550 करोड़ रुपए किए खर्च
इस मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लगभग 550 करोड़ रुपए का खर्च किया था। यह मिशन भारत के आगामी 'गगनयान' कार्यक्रम की तैयारी का हिस्सा था, जो 2027 में लॉन्च किया जाएगा। शुभांशु शुक्ला की यात्रा इस कार्यक्रम के लिए बेहद महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगी। इससे भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष मिशनों में भाग लेने में सक्षम होंगे।
शुभांशु को रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया से होगा गुजरना
अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटने के बाद, शुभांशु और उनकी टीम को सात दिनों तक पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना होगा। इस प्रक्रिया में उनके शरीर को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में ढलने के लिए उचित इलाज और निगरानी की जाएगी। यह एक महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण में लंबे समय तक रहने के बाद शरीर को फिर से सामान्य स्थिति में लाना जरूरी होता है।
किसान ने अनाज से बनाया शुभांशु का पोट्रेट
नर्मदापुरम जिले के सुपल्ली गांव के किसान योगेंद्र सोलंकी ने एक अनोखे तरीके से अंतरिक्ष यात्रा पर लौटने वाले शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथी यात्रियों का स्वागत किया। उन्होंने इन यात्रियों के पोट्रेट को अनाज से तैयार किया, जिससे यह पहल और भी खास बन गई। योगेंद्र ने शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका की पैगी विलसन, पोलैंड के सवोस उज्जानवास्की और हंगरी के टेगो कापूर के पोट्रेट भी बनाए। यह पोट्रेट उस वक्त जारी किए गए, जब शुभांशु पृथ्वी पर लौटने से ठीक एक दिन पहले थे।
योगेंद्र सोलंकी ने बताया कि उनका उद्देश्य अनाजों के महत्व को लोगों तक पहुंचाना था, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है। उन्होंने धान, तिल, बाजरा, रागी, अलसी, राजगिरा और खस-खस जैसे अनाजों का उपयोग किया है, जिनसे वे पिछले 5 वर्षों से पोट्रेट तैयार कर रहे हैं। इन पोट्रेट्स के जरिए उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियों का भी चित्रण किया है, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं।
भारत की अंतरिक्ष पहचान
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत की अंतरिक्ष पहचान को और मजबूत करेगी। उन्होंने यह साबित किया कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण की अग्रणी दौड़ में शामिल हो चुका है। उनके मिशन की सफलता ने देशभर में गर्व का वातावरण उत्पन्न किया है, और यह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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