पीएम मोदी ने पूछा- पृथ्वी माता की परिक्रमा का मौका मिला है? शुभांशु शुक्ला बोले- 16 बार परिक्रमा करते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जून 2025 को अंतरिक्ष मिशन पर गए भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला से वीडियो कॉल पर बातचीत की। शुभांशु ने अंतरिक्ष से भारत के भव्य दृश्य के बारे में बताया।

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Jitendra Shrivastava
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Modis conversation with Shubhanshu

Photograph: (thesootr)

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भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 26 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुंचे। वे अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय एस्ट्रोनॉट हैं। उनसे पहले 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे। 29 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु से वीडियो कॉल पर बात की। बातचीत में शुभांशु ने अंतरिक्ष से भारत के भव्य दृश्य को साझा किया। उन्होंने बताया कि वे दिन में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं।

एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। पीएम मोदी ने शुभांशु की यात्रा को एक नए युग की शुरुआत करार दिया और कहा कि भारत आज अपने सपनों को पूरा करने के लिए नए अवसरों को ग्रहण कर रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु शुक्ला को उनके मिशन के लिए बधाई दी और उन्हें भारत का झंडा फहराने के लिए शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री और शुभांशु शुक्ला के बीच बातचीत

Modis conversation with Shubhanshu

प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से कहा, "आज आप हमारी मातृभूमि से दूर हैं, लेकिन आप भारतीयों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है।" इसके बाद, पीएम मोदी ने यह भी पूछा कि क्या शुभांशु ने गाजर का हलवा, जो वे अपने साथ लेकर गए थे, अपने साथियों को खिलाया। शुभांशु ने जवाब दिया, "हां, मैंने गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस लाया था। हम सभी ने इसे एक साथ खाया और यह बहुत स्वादिष्ट था।"

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जब प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा कि पृथ्वी के दृश्य पर शुभांशु का क्या ख्याल था, तो शुभांशु ने बताया, "पहला दृश्य पृथ्वी का था और इसे देखकर मुझे यह अहसास हुआ कि पृथ्वी एक जैसी है। कोई सीमा रेखा नहीं है, कोई बॉर्डर नहीं है। जब मैंने भारत को देखा, तो वह बहुत भव्य और बड़ा दिखा।"

शुभांशु ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष से भारत का दृश्य बहुत अलग था, जैसा हम मैप में देखते हैं उससे कहीं ज्यादा विशाल और भव्य है। "यह हमें एहसास कराता है कि हम सभी इंसानियत का हिस्सा हैं।"

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स्पेस स्टेशन पर शुभांशु का कार्य

शुभांशु शुक्ला अब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 14 दिनों तक रहेंगे, जहां वे भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा तैयार किए गए 7 प्रयोग करेंगे। इनमें अधिकांश बायोलॉजिकल स्टडीज हैं, जैसे अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर असर देखना। इसके अलावा, वे NASA के साथ मिलकर 5 और प्रयोग करेंगे, जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए जरूरी डेटा जुटाया जाएगा। इस मिशन से प्राप्त जानकारी भारतीय गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के लिए उपयोगी साबित होगी।

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शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष में अनुभव

शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में यह भी बताया कि उन्हें अंतरिक्ष में माइंडफुलनेस (mindfulness) का अनुभव हुआ, और यह उन्हें बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। लॉन्च के दौरान की कठिन स्थितियों में यह मानसिक शांति बहुत सहायक सिद्ध हुई। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान, एक नई शुरुआत और नए अनुभवों का सामना किया, जो उन्हें जीवन भर याद रहेंगे।
शुभांशु शुक्ला ने यह भी कहा कि "स्काई इज नेवर द लिमिट" यानी आसमान कभी सीमा नहीं होता, यह केवल एक प्रेरणा है कि हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। उन्होंने देश के बच्चों से कहा कि वे हमेशा अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए मेहनत करें, क्योंकि इससे न केवल उनका बल्कि पूरे देश का भविष्य बेहतर बनेगा।

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भारत के लिए यह मिशन महत्वपूर्ण क्यों?

यह  स्पेस मिशन भारतीय स्पेस प्रोग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। शुभांशु के द्वारा किए गए प्रयोग भारतीय गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे और अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य पर अध्ययन में मदद करेंगे। इस मिशन से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO को नई दिशा मिलेगी, जो भविष्य के अंतरिक्ष यात्रा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

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