ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का Axiom Mission 4 मिशन जो पहले ही तीन बार टल चुका था, अब आखिरकार 30 जून 2025 तक या मिड-जुलाई में लॉन्च हो सकता है। नासा के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) प्रोग्राम के प्रमुख डाना वैगल के अनुसार, इस मिशन को प्रभावित करने वाली कुछ तकनीकी और मौसम संबंधी समस्याएं हैं। आइए जानते हैं इस मिशन में हो रही देरी के कारण और शुभांशु शुक्ला के लिए इस मिशन का क्या महत्व है।
लॉन्च विंडो और शेड्यूल
नासा ने अपने बयान में कहा है कि एक्स-4 मिशन के लिए लॉन्च विंडो 30 जून 2025 तक खुली रहेंगी। इसके बाद मिड-जुलाई में एक अस्थायी ऑपरेशनल पॉज़ के बाद और विकल्प उपलब्ध होंगे। लेकिन, इस समय सीमा के भीतर शुभांशु शुक्ला के स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होने की संभावना है।
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लॉन्च शेड्यूल में देरी के कई कारण रहे हैं:
- तकनीकी समस्याएं - इस मिशन को पहले 8 से 10 जून के बीच लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे टाल दिया गया।
- मौसम की दिक्कतें - 10 जून 2025 को मौसम की खराब स्थिति के कारण लॉन्च को स्थगित किया गया।
- एलओएक्स लीकेज - 11 जून को फाल्कन 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन (एलओएक्स) लीकेज की समस्या आई, जिससे लॉन्च की तारीख में देरी हुई।
- आईएसएस पर ट्रैफिक - इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अन्य स्पेस क्राफ्ट्स की गतिविधियों ने भी इस मिशन के लॉन्च को प्रभावित किया। खासकर, रूस का प्रोग्रेस कार्गो व्हीकल और अन्य स्पेसक्राफ्ट्स के आगमन ने लॉन्च शेड्यूल को कठिन बना दिया।
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आईएसएस पर ट्रैफिक
आईएसएस पर विभिन्न स्पेसक्राफ्ट्स के आगमन और गतिविधियों ने इस मिशन के लिए जगह और समय की व्यवस्था को प्रभावित किया है। रूस का प्रोग्रेस कार्गो व्हीकल जुलाई की शुरुआत में अंडॉकिंग करेगा, और अन्य स्पेसक्राफ्ट्स के आगमन की संभावना भी जुलाई में है। इन गतिविधियों के कारण आईएसएस के संचालन में बदलाव और समायोजन की आवश्यकता हो रही है, जो लॉन्च विंडो को प्रभावित कर रहे हैं।
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शुभांशु शुक्ला का मिशन
शुभांशु शुक्ला इस मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 14 दिनों के लिए रहेंगे। इस दौरान वे कुल 7 महत्वपूर्ण रिसर्च प्रयोग करेंगे, जो भारतीय एजेंसियों के लिए अहम साबित होंगे। यह मिशन भारतीय स्पेस एजेंसी और वैश्विक स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए एक बड़ा कदम होगा, क्योंकि इसमें भविष्य के स्पेस मिशन के लिए जरूरी डेटा और तकनीकी जानकारियां जुटाई जाएंगी।
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मिशन का महत्व
यह मिशन न केवल भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका योगदान होगा। शुभांशु शुक्ला का मिशन भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में है। हम इस मिशन के सफलतापूर्वक लॉन्च और शुभांशु की यात्रा का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि यह पूरी दुनिया में भारत की तकनीकी क्षमता को और मजबूत करेगा।