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भारत इतिहास रचने जा रहा है, क्योंकि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हो गए हैं। इससे पहले, राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष गए थे। इस प्रकार, शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे, जो अंतरिक्ष में कदम रखेंगे।
यह मिशन एक्सिओम-4 का हिस्सा है, जो एक निजी एयरोस्पेस कंपनी के जरिए संचालित किया जाता है। मिशन की शुरुआत अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर के कॉम्प्लेक्स 39A से होने वाली है। यह मिशन शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर उड़ान भरेगा। इस मिशन को लेकर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में काफी उत्साह है।
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जानें मिशन के बारे में...
मिशन के तहत, अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग 28 घंटे की यात्रा के बाद आईएसएस से जुड़ने की उम्मीद है। यात्रा का समय इतना लंबा होने के बावजूद, टीम को इसका सामना करना पड़ा है। यात्रा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गुरुवार को शाम लगभग 04:30 बजे आईएसएस के डॉक होने की संभावना है।
आईएसएस में अंतरिक्ष यात्री 14 दिन तक बिताएंगे। साथ ही, वहां वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। यह यात्रा भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने जा रही है।
पहले 7 बार टल चुका है मिशन
Subhanshu Shukla का यह ऐतिहासिक मिशन सात बार टल चुका है। मिशन के बार-बार टलने के पीछे मुख्य कारण लॉन्च व्हीकल में तकनीकी समस्याएं और आईएसएस के ज्वेज्दा (Zvezda) मॉड्यूल में दबाव में बदलाव थे। यह मॉड्यूल 2019 में लीक होने के बाद से मरम्मत के लिए काम चल रहा था। वहीं एक्सिओम-4 मिशन से पहले इस पर सुधार किए गए थे। इन तकनीकी समस्याओं के कारण मिशन में कई बार देरी हुई, लेकिन अब यह अंततः शुरू हो रहा है।
ज्वेज्दा मॉड्यूल की मरम्मत
ज्वेज्दा मॉड्यूल, जो आईएसएस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें 2019 में लीक का पता चला था। इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों ने इसे ठीक करने के लिए कई सालों से काम किया। एक्सिओम-4 मिशन के शुरू होने से पहले इस मॉड्यूल पर मरम्मत का काम पूरा किया गया था। इससे अब मिशन बिना किसी बड़ी तकनीकी समस्या के लॉन्च किया जा सकता है।
एक्सिओम-4 मिशन में क्या है खास?
यह मिशन एक्सिओम स्पेस के तहत संचालित हो रहा है, जो एक निजी एयरोस्पेस कंपनी है। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में अधिक निजी और वैज्ञानिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। एक्सिओम-4 मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे। इनमें शुभांशु शुक्ला भारतीय अंतरिक्ष यात्रा में इतिहास रचने वाले पहले व्यक्ति होंगे। मिशन के दौरान, अंतरिक्ष यात्री विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इनसे नई जानकारियां मिलेंगी जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं।
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भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की बढ़ती अहमियत
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की ताकत पिछले कुछ सालों में बढ़ी है। जहां 1984 में राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा की थी। वहीं आज Subhanshu Shukla का यह मिशन भारत के लिए एक और बड़ा कदम है। यह साबित करता है कि भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में वैश्विक स्तर पर अपनी जगह बनाई है। भारत के अंतरिक्ष यात्री अब अंतरराष्ट्रीय मिशनों का हिस्सा बन सकते हैं।
शुभांशु शुक्ला का होगा प्रेरणादायक सफर
Subhanshu Shukla का यह सफर भारतीय नागरिकों के लिए प्रेरणादायक है। साथ ही यह पूरी दुनिया को भी दिखाता है कि भारतीयों के पास वह साहस और क्षमता है जो किसी भी चुनौती का सामना कर सके। वह भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे। उनका मिशन अंतरिक्ष में भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को और गति देने में मदद करेगा।
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