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अंतरिक्ष यात्रा के लिए भारत के योगदान का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। हाल ही में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी थी। वहीं अब भारतीय मूल के अनिल मेनन भी इस क्षेत्र में कदम रखने वाले हैं।
नासा के जरिए चयनित अनिल मेनन अगले साल, जून में अपने अंतरिक्ष मिशन के लिए उड़ान भरने वाले हैं। आइए, जानते हैं अनिल मेनन के बारे में और उनकी यात्रा को लेकर जरूरी बातें...
अनिल मेनन की यात्रा का आगाज
नासा (NASA) ने हाल ही में आधिकारिक तौर पर अनिल मेनन को लेकर एक पुष्टि की है। नासा ने कहा कि अनिल मेनन भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं। वे अगले साल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होंगे। मेनन रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कॉसमॉस (Roscosmos) के सोयूज एमएस-29 यान से कजाखस्तान के बैकानूर कोस्मोड्रोम (Baikonur Cosmodrome) से जाएंगे।
इस यात्रा में उनके साथ दो अन्य अंतरिक्ष यात्री प्योत्र डुबरोव (Pyotr Dubrov) और अन्ना किकीना (Anna Kikina) भी शामिल होंगे। इस मिशन के दौरान, अनिल और उनकी टीम करीब 8 महीने तक अंतरिक्ष में रहेंगे और विभिन्न प्रकार के शोध कार्य करेंगे।
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अनिल मेनन पिता भारतीय है...
अनिल मेनन का जन्म मिनेसोटा के मिनियापोलिस (Minneapolis) में हुआ था। उनके पिता भारतीय और मां यूक्रेनी मूल की हैं। अनिल मेनन एक साइंटिस्ट, इंजीनियर, और डॉक्टर हैं। इतना ही नहीं, वह एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) के मेडिकल संगठन से भी जुड़े हुए हैं। साथ ही, वह अमेरिकी स्पेस फोर्स (Space Force) के कर्नल भी हैं।
हार्वर्ड से पढ़े हैं अनिल मेनन
अनिल मेनन ने अपनी शिक्षा के दौरान कई डिग्रियां हासिल की हैं। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) से न्यूरोबायोलॉजी में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। इसके बाद, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (Stanford University) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एमबीबीएस (MBBS) की डिग्री भी हासिल की। फिर एयरोस्पेस और इमरजेंसी मेडिसिन में विशेषज्ञता भी प्राप्त की।
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अनिल मेनन के मिशन का महत्व
अनिल मेनन का मिशन केवल एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारतीयों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है। उनके चयन ने यह साबित किया है कि भारतीय मूल के लोग किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता की मिसाल पेश कर सकते हैं। उनका मिशन विज्ञान और तकनीकी के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान होगा। साथ ही यह भविष्य में और अधिक भारतीयों को अंतरिक्ष में जाने की प्रेरणा भी देगा।
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