अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए बुरी खबर आई है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एक नई नीति की घोषणा की है, जिसमें अमेरिकी विश्वविद्यालयों में यहूदी विरोधी प्रदर्शनों में शामिल छात्रों की लिस्ट बनाई जा रही है। इस नीति के तहत, इन छात्रों के नाम, जातीयता और राष्ट्रीयता की जानकारी मांगी जा रही है। इस फैसले से भारतीय छात्रों के लिए डिपोर्टेशन का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि भारत से अमेरिका में सबसे ज्यादा छात्र पढ़ाई करने के लिए आते हैं।
क्या है इस फैसले का कारण?
अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में हाल ही में यहूदी विरोधी प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद, ट्रंप प्रशासन ने इन छात्रों की जानकारी जुटाने के आदेश दिए हैं। प्रशासन का दावा है कि यह कदम उन छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उठाया गया है जो यहूदी छात्रों के खिलाफ उत्पीड़न में शामिल हैं। इस नीति के लागू होने से भारतीय छात्रों की स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है।
ये खबर भी पढ़ें...
पीएम मोदी संसद में सुनेंगे मध्यप्रदेश की बेटियों के भाषण
दिग्विजय सिंह ने उठाई MP के इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग, रेल मंत्री को लिखा पत्र
भारतीय छात्रों पर क्या असर पड़ेगा?
वर्तमान में अमेरिका में 3.3 लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। अगर ट्रंप प्रशासन की नई नीति पूरी तरह से लागू होती है, तो भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका में अपनी पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो सकता है। प्रदर्शन में शामिल छात्रों को डिपोर्ट किया जा सकता है, जिससे कई छात्रों का भविष्य अधर में लटक सकता है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में हुआ था पहला मामला
यह मामला सबसे पहले कोलंबिया विश्वविद्यालय से सामने आया, जहां छात्रों ने यहूदी विरोधी प्रदर्शन किए थे। ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय यहूदी छात्रों को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ था। इसके बाद, विश्वविद्यालय को $400 मिलियन की फंडिंग रोकने की चेतावनी दी गई। इस कदम से विश्वविद्यालय ने अपनी नीतियों में बदलाव किया और प्रदर्शनकारियों की जानकारी जुटाने का आदेश दिया।
ये खबर भी पढ़ें...
मध्य प्रदेश में फर्जी बैंक गारंटी पर शराब ठेके देने का खुलासा, EOW ने दर्ज की FIR
कर्मचारियों के लिए खुशखबरी: महंगाई भत्ता में 2% की बढ़ोतरी, सैलरी-पेंशन में होगा फायदा!
क्या है ट्रंप प्रशासन की रणनीति?
ट्रंप प्रशासन अब उन विदेशी छात्रों पर विशेष ध्यान दे रहा है जो किसी भी तरह के प्रदर्शन में शामिल होते हैं। यदि यह नीति लागू होती है, तो भारतीय छात्रों को अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ाई जारी रखने में मुश्किलें आ सकती हैं। ऐसे में, छात्रों को सतर्क रहने और कानूनी सहायता लेने की आवश्यकता होगी।