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भारतीय शेयर बाजार में पिछले एक महीने से भारी गिरावट देखी जा रही है। इसमें डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियों और विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर है। इन घटनाओं ने बाजार में भारी उतार-चढ़ाव उत्पन्न किया है। मंगलवार को थोड़ी सी तेजी दिखी, लेकिन दलाल स्ट्रीट पर लाल निशान बने रहे। इसके कारण निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये डूब गए हैं।
इस दौरान, 61 लाख से ज्यादा निवेशकों ने अपने SIP को पॉज कर दिया है। इनमें से कुछ लोग दुविधा में हैं कि आगे क्या करना चाहिए। इस स्थिति को देखते हुए एक्सपर्ट्स के सुझाव अहम हो जाते हैं।
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म्यूचुअल फंड में निवेश को सुरक्षित !
शेयर बाजार में निवेश करने के बजाय म्यूचुअल फंड में निवेश को सुरक्षित माना जाता है। लेकिन, इस समय म्यूचुअल फंड से भी निवेशकों का विश्वास हटता दिख रहा है। खासकर, स्मॉल कैप फंड और मिड कैप फंड में निवेश करने वाले लोग इस गिरावट से प्रभावित हो रहे हैं। जनवरी 2025 में SIP बंद करने की दर में भारी बढ़ोतरी हुई है। जनवरी में SIP बंद करने वालों की संख्या 60 लाख से अधिक रही, जो दिसंबर में 44.90 लाख थी।
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एसआईपी पर एक्सपर्ट्स की राय
व्हाइटओक कैपिटल एएमसी के सीईओ आशीष सोमैया ने कहा कि बाजार में अस्थिरता औसत रिटर्न को बेहतर बनाने में मदद करती है। उन्होंने यह भी कहा कि निवेश का समय सही होना जरूरी है, लेकिन किसी भी स्तर पर लगातार उच्च और निम्न का अनुमान लगाना मुश्किल है। इसलिए, उन्होंने एसआईपी को स्थिर और लंबी अवधि के निवेश के तौर पर प्राथमिकता दी।
राधिका गुप्ता ने दी यह राय
वहीं, एडलवाइस म्यूचुअल फंड्स की एमडी राधिका गुप्ता ने बताया कि मंदी के दौरान निवेश करना सबसे लाभकारी होता है। एसआईपी का असली फायदा लंबी अवधि में देखा जाता है। इतिहास ने यह साबित किया है कि बाजार में गिरावट के दौरान निवेश करने से भविष्य में बड़ी रिकवरी होती है। मंदी के दौरान एसआईपी को छोड़ने का मतलब है, कम कीमतों पर यूनिट खरीदने का मौका गंवाना, जिससे भविष्य में लाभ कम हो सकता है।
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