International Tiger Day पर जानें एमपी कैसे बना भारत का टाइगर स्टेट, इनके लिए इंसानों ने छोड़ दिए अपने घर

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर मध्यप्रदेश ने बाघों के संरक्षण में अपनी सफलता को मना रहा है। यहां बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है।

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Kaushiki
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International Tiger Day 2025
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अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस ( 29 जुलाई) मध्यप्रदेश के लिए एक विशेष महत्व रखता है। यह दिन न सिर्फ बाघों के अस्तित्व और संरक्षण के लिए प्रदेश में किए गए टायरलेस एफ्फोर्ट्स को याद कराता है, बल्कि इस बात का भी प्रमाण है कि मध्यप्रदेश आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक बाघों वाला राज्य बन गया है। 

यह सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। वर्ष 2022 में बाघों की गिनती के मुताबिक, भारत में कुल 3682 बाघों की कन्फर्मेशन हुई है।

इनमें से सबसे ज्यादा 785 बाघ अकेले मध्यप्रदेश में पाए गए हैं। यह साफ दिखाता है कि हमारे राज्य ने जंगली जानवरों को बचाने के लिए कितनी लगन से काम किया है। आइए आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर हम जानते है कि किस राज्य को टाइगर स्टेट का दर्जा दिया गया है।

MP News: अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर विशेष, मध्यप्रदेश बना देश का टाइगर  स्टेट, जानिए संरक्षण से लेकर पर्यटन तक की पूरी कहानी |

कब हुई थी इसकी शुरुआत

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाने का निर्णय 29 जुलाई, 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग, रूस (St. Petersburg, Russia) में आयोजित बाघ सम्मेलन में लिया गया था।

इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने यह वादा किया था कि वर्ष 2022 तक वे बाघों की आबादी दोगुनी कर देंगे। मध्यप्रदेश बाघों के प्रबंधन में निरंतरता और प्रोग्रेसिव इम्प्रूवमेंट करने में अग्रणी रहा है।

बाघ संरक्षण न केवल बायोडायवर्सिटी के लिए जरूरी है, बल्कि यह इकोलॉजिकल बैलेंस को भी बनाए रखता है, जो हमारे ग्रह के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है।

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बाघ | प्रजाति | WWF

MP को टाइगर स्टेट का दर्जा

मध्य प्रदेश ने टाइगर स्टेट का खिताब हासिल करने के साथ ही राष्ट्रीय पार्कों और सुरक्षित इलाकों के अच्छे इंतजाम में भी पूरे देश में टॉप पोजीशन हासिल की है।

यह एक बहुत बड़ी जीत है जो राज्य के वन विभाग और जंगली जानवरों को बचाने में लगे सभी कर्मचारियों की कड़ी मेहनत को दिखाती है।

सतपुड़ा बाघ की जगह को UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज (UNESCO World Heritage) की संभावित सूची में शामिल किया गया है, जो इसकी अनोखी जीव-जंतुओं की दुनिया और खूबसूरती का सबूत है।


केंद्र सरकार ने बाघ की जगहों के इंतजाम की रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक, पेंच बाघ की जगह ने पूरे देश में सबसे अच्छी रैंक हासिल की है।

इसके अलावा, बांधवगढ़, कान्हा, संजय और सतपुड़ा बाघ की जगह को भी सबसे अच्छे इंतजाम वाली जगह माना गया है। इन राष्ट्रीय पार्कों में अनोखे इंतजाम के प्लान और नए तरीके अपनाए गए हैं, जो इनकी सफलता का मुख्य कारण है।

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बाघों को बचाने के लिए जरूरी कदम

राज्य सरकार बाघों को बचाने के लिए कई जरूरी कदम उठा रही है। इनमें जंगली जानवरों के ठीकानों की देख-भाल, बाघों की निगरानी के लिए आधुनिक मशीनें का इस्तेमाल और गांव वालों को काम देना शामिल है।

मध्य प्रदेश में कुल 9 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें कान्हा किसली, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना बुंदेलखंड, सतपुड़ा नर्मदापुरम, संजय दुबरी सीधी, नौरादेही, माधव नेशनल पार्क और डॉ. विष्णु वाकणकर टाइगर रिजर्व, रातापानी शामिल हैं।

इन सभी जगहों में से मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ बाघ की जगह में सबसे ज्यादा बाघ हैं और यह मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध बाघ की जगह भी है।

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CM मोहन यादव की पहल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सेंसिटिव इनिशिएटिव ने बाघों की संख्या में वृद्धि के लिए निरंतर प्रयासों को गति दी है। बाघ रहवास वाले क्षेत्रों के एक्टिव मैनेजमेंट के चलते बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

मध्यप्रदेश के कॉरिडोर उत्तर एवं दक्षिण भारत के टाइगर रिजर्व से आपस में जुड़े हुए हैं, जो बाघों की आवाजाही और उनके जीन पूल के विस्तार में मददगार होते हैं।

प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने में राष्ट्रीय उद्यानों के बेहतर प्रबंधन की मुख्य भूमिका रही है। राज्य शासन द्वारा जंगल से लगे गांवों का विस्थापन किया जाकर एक बहुत बड़ा बायोलॉजिकल प्रेशर से फ्रि कराया गया है।

संरक्षित क्षेत्रों से गांवों के डिस्प्लेसमेंट के चलते वन्य प्राणियों के हैबिटैट एरिया का विस्तार हुआ है, जिससे उन्हें बिना किसी हुमानिटरियन इंटरवेंशन के वरियन्स करने का एनफ स्पेस मिल रहा है।

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पर्यटकों का बढ़ता प्यार

मध्य प्रदेश जंगली जानवरों को देखने वाली जगह में एक खास पसंद बन गया है। बाघ की जगहों में अपने देश के और बाहर के पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो राज्य के पर्यटन बिजनेस के लिए एक अच्छा संकेत है।

टाइगर रिजर्व में विदेशी पर्यटकों की उपस्थिति (साल 2024-25)

शायद ही मिले बाघों को करीब से देखने का इतना अच्छा मौका, भारत में हैं ये 5  जगहें

  • बांधवगढ़ बाघ की जगह: 32,528
  • कान्हा बाघ की जगह: 23,059
  • पन्ना बाघ की जगह: 15,201
  • पेंच बाघ की जगह: 13,127
  • सतपुड़ा बाघ की जगह: 10,038

पिछले साल (2023-24) के मुकाबले बाहर के पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी देखी गई है। पांच सालों में, मध्य प्रदेश के बाघ की जगहों में भारतीय पर्यटकों की संख्या 7 लाख 38 हजार 637 और बाहर के पर्यटकों की संख्या 85 हजार 742 रही।

इस तरह कुल 8 लाख 24 हजार 379 पर्यटक आए। इस दौरान बाघ की जगहों से लगभग 61 करोड़ 22 लाख रुपए की कमाई हुई है, जो जंगली जानवरों को बचाने और गांवों के विकास में बहुत मदद कर रही है।

बाघों का सबसे अच्छा घर

भारतीय जंगली जीव संस्थान देहरादून की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के कान्हा बाघ की जगह को बाघों का सबसे अच्छा रहने की जगह बताया गया है। यह रिपोर्ट कान्हा के जंगल के पूरे सिस्टम की मजबूती और उसके अच्छे इंतजाम का सबूत है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कान्हा बाघ की जगह में शाकाहारी जंगली जानवरों की संख्या देश में सबसे ज़्यादा है, जिनमें चीतल [Cheetal], सांभर [Sambar], गौर [Gaur], जंगली सुअर [Wild Boar], बार्किंग डियर [Barking Deer], नीलगाय [Nilgai] और हॉग डियर [Hog Deer] जैसे शाकाहारी जीव-जंतुओं की बहुत ज्यादा तादाद है।

ये बाघों के लिए खाने का एक बहुत जरूरी और लगातार मिलने वाला जरिया हैं। बाघों के रहने के लिए कान्हा बाघ की जगह में घास के मैदान, घने जंगल और पूरे साल बहने वाली नदियां शामिल हैं, जो बाघों की संख्या बढ़ाने और उनके स्वस्थ रहने के लिए सही माहौल देते हैं।

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जंगली जीवों के खिलाफ अपराध रोकने के कदम

मध्य प्रदेश में जंगली जीवों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए भी कई जरूरी कदम उठाए गए हैं, जो राज्य के बचाव के काम को और मजबूत करते हैं:

  • जंगली जीव अपराध रोकने वाली टीम: मध्य प्रदेश में जंगली जीव अपराध रोकने वाली टीम बनाई गई है, जो जंगली जीवों के शिकार और उनके गलत खरीद-नीलाम को रोकने के लिए काम करती है।
  • मिलकर काम करना: पुलिस और वन विभाग के मिलकर काम करने से शिकारियों को पकड़ने और उनके खिलाफ एक्शन लेने में मदद मिल रही है। यह मिलजुलकर काम करने का तरीका अपराधों पर कंट्रोल करने में असरदार साबित हुआ है।
  • गांव वन प्रबंधन समितियां: गांव वन प्रबंधन समितियों को जंगली जीवों के बचाव में शामिल किया गया है, जो गांव के स्तर पर शिकार को रोकने में मदद करती हैं और गांव वालों को इस काम में हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा देती हैं।
  • जागरूकता अभियान: वन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिससे लोगों को जंगली जीवों की अहमियत और उनके बचाव के बारे में पता चल सके।
  • आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल: मध्य प्रदेश में जंगली जीवों के बचाव में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसे कि ड्रोन और कैमरा ट्रैप, जिससे शिकारियों पर नजर रखी जा सके और उनके हरकतों पर कंट्रोल किया जा सके।
  • अपराधियों की सूची: वन विभाग ने जंगली जीव अपराधियों की सूची बनाई है, जिससे उनके खिलाफ तेजी से और असरदार एक्शन लेने में मदद मिल सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: मध्य प्रदेश वन विभाग दूसरे देश की संस्थाओं के साथ भी मिलकर काम कर रहा है, जिससे जंगली जीवों के बचाव में दुनिया भर में मदद मिल सके। इन कोशिशों के नतीजे में मध्य प्रदेश में शिकार की घटनाओं में कमी आई है और जंगली जीवों की संख्या लगातार बढ़ी है।

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