आईपीएस पत्नी को मांगना होगी पति से सार्वजनिक माफी, सुप्रीम कोर्ट का आदेश, जानिए क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने एक IPS महिला अफसर और उनके पति को तलाक की अनुमति देते हुए आदेश दिया कि वे पति और उसके परिवार से माफी मांगें। कोर्ट ने शारीरिक और मानसिक पीड़ा के लिए IPS पत्नी को माफी मांगने का आदेश दिया है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले में महिला आईपीएस पत्नी को उसके पति व पति के पिता से सार्वजनिक रूप से मांफी मांगने का आदेश दिया है। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई ने महिला आईपीएस अधिकारी को तीन दिन के अंदर पति व उसके माता-पिता से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की बात कही है। यह मामला नई दिल्ली का बताया जा रहा है।

इस माफीनामे को देश के प्रतिष्ठित हिंदी व अंग्रेजी समाचार पत्रों व सोशल मीडिया पर प्रकाशित करने का आदेश भी दिया गया है। तलाक के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महिला आईपीएस अधिकारी व पति की तलाक को मंजूर भी कर लिया है,

साथ ही दोनों के द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध दायर दीवानी व आपराधिक मामलों को रद्द करने के आदेश भी पारित किए है। 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था? 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया, जिसमें एक आईपीएस महिला अधिकारी और उसके पति के बीच तलाक की अनुमति दी गई। दोनों के बीच लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी, जिसमें आईपीएस पत्नी ने कई बार अपने प्रभाव का उपयोग कर पति के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज करवाए, वहीं पति द्वारा भी पत्नी व उसके परिवार वालों के विरुद्ध ऐसे ही प्रकरण दर्ज करवाए गए। 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के द्वारा दर्ज कराए गए सभी मामलों को निरस्त करते हुए आईपीएस पत्नी को तीन दिन के अंदर पति व उसके परिवार के लोगों से सार्वजनिक रूप से मांगी मांगने व उसका प्रकाशन अंग्रेजी व हिंदी अखबारों के नेशनल एडिशन में करवाने के आदेश दिए है। साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी प्रसारित किया जाएगा। 

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शारीरिक और मानसिक पीड़ा से जुडे़ इस मामले को ऐसे समझिए

  1. सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने एक आईपीएस महिला अफसर और उनके पति को तलाक की अनुमति दी और उनके बीच के आपराधिक और दीवानी मामलों को रद्द कर दिया।
  2. माफी का आदेश: कोर्ट ने महिला अफसर और उनके माता-पिता को आदेश दिया कि वे पति और उसके परिवार से सार्वजनिक रूप से माफी मांगें, जो कि प्रमुख अखबारों और सोशल मीडिया पर प्रकाशित की जाएगी।
  3. शारीरिक और मानसिक पीड़ा: कोर्ट ने यह कहा कि महिला द्वारा दायर आपराधिक मामलों के कारण पति और उसके पिता को शारीरिक और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा, जिनकी भरपाई नहीं की जा सकती।
  4. वॉर्निंग: कोर्ट ने महिला से यह भी कहा कि वह अपने पद और शक्ति का इस्तेमाल पति और उसके परिवार के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने के लिए न करें।
  5. समाज में माफी का प्रभाव: माफी केवल एक सार्वजनिक कार्य होगी, जिसका कानूनी अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, और इसे तीन दिनों के भीतर प्रकाशित किया जाना चाहिए।

 

पति और ससुर को गुजारने पडे़ कई दिन जेल में 

इस मामले में आईपीएस पत्नी द्वारा पति व उसके पिता के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामलों के कारण दोनों को हुई मानसिक और शारीरिक पीड़ा के लिए सार्वजनिक माफी का आदेश दिया। इन दोनों को सौ से अधिक दिन जेल में गुजारने पडे़ थे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि पत्नी द्वारा दर्ज आपराधिक मामलों के कारण पति को 109 दिन व उसके पिता को 103 दिन जेल में बिताने पडे़ है। अदालत ने कहा कि इनके साथ जो हुआ है, उसकी भरपाई करना मुश्किल है। आईपीएस अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में माफी मांगने के आदेश दिए है।  सुप्रीम कोर्ट का आदेश

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पति-पत्नी दोनों को दी चेतावनी

इस मामले में अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी दोनों को चेतावनी भी दी है। उच्चतम न्यायालय ने आईपीएस पत्नी को चेतावनी देते हुए कहा कि तलाक के बाद आईपीएस अधिकारी अपने पद या प्रभाव का उपयोग करके किसी भी तरह से पति या उसके परिवार को परेशान नहीं करेंगी। इसी प्रकार पति को चेतावनी दी है कि वह पत्नी द्वारा मांगी जाने वाली सार्वजनिक माफी का दुरुपयोग किसी भी प्रकार से न करे। 

बिटिया रहेगी माॅ के साथ 

आईपीएस पत्नी व पति के बीच तलाक को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेटी की कस्टडी आईपीएस माॅ को सौंप दी है। इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि बेटी जो अभी 6 साल की है, अपनी आईपीएस माॅ के साथ रहेगी। इस दौरान उसके पिता व परिवार के लोगों को उससे मिलने की इजाजत होगी। CHIEF JUSTICE

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