NEWDELHI. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार, 17 फरवरी को सैटेलाइट INSAT-3DS लॉन्च किया। ये सैटेलाइट 10 साल तक मौसम की सटीक जानकारी देगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शाम 5.35 बजे लॉन्च किया गया। सैटेलाइट की लॉन्चिंग GSLV Mk II रॉकेट से हुई। ये 19.13 मिनट में 37000 किमी ऊंचाई पर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट यानी पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में पहुंचा।
क्या है INSAT-3DS
इन्सैट-3DS एक मौसम विज्ञान और आपदा चेतावनी उपग्रह है। यह नया भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह है। इनसेट-3D और इनसेट-3DR उपग्रहों से मिलने वाली सेवाओं को जारी रखने की अनुमति देगा। इसरो के अनुसार, इन्सैट 3डी एक जियोसिंक्रोनस उपग्रह है, जो वायुमंडलीय इमेजर और साउंडर जैसे मौसम संबंधी पेलोड से लैस है। इन्सैट-3डीआर, इन्सैट-3डी का उन्नत संस्करण है।
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मौसम के पूर्वानुमान और आपदा की चेतावनी देगा
उपग्रह का उत्थापन द्रव्यमान 2275 किग्रा है। इसरो के अनुसार, इन्सैट-3DS को मौसम संबंधी अवलोकन करने, मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए डिजाइन किया गया है। उपग्रह कई अत्याधुनिक पेलोड से लैस है। जिसमें छह चैनल इमेजर, एक 19-चैनल साउंडर और दो संचार पेलोड है। साथ ही डेटा रिले ट्रांसपोंडर उपकरण और सैटेलाइट-एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर हैं। 51.7 मीटर लंबा रॉकेट इमेजर पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर ले जाएगा। जिनका उपयोग बादल, कोहरे, वर्षा, बर्फ और उसकी गहराई, आग, धुआं, भूमि और समंदरों पर स्टडी के लिए किया जाएगा।
इसरो का साल 2024 का दूसरा मिशन
डीआरटी का उद्देश्य स्वचालित डेटा संग्रह प्लेटफार्मों और स्वचालित मौसम स्टेशनों से मौसम, जल और समुद्र विज्ञान डेटा प्राप्त करना है। वहीं, मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं को बढ़ाना है। जीएसएलवी एफ14 इसरो का 93वां और इस वर्ष का दूसरा मिशन होगा।
विदेशी एजेंसियों पर निर्भरता कम की
इनसेट-3DR से मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिल रही है। यह सैटेलाइट 36,000 किमी की ऊंचाई से हर 26 मिनट में पृथ्वी की तस्वीरें खींच रहा है। साथ ही रेडिएशन, समुद्री सतह के तापमान, बर्फ की सतह, कोहरे की भी जानकारी देता है। यह जमीन से 70 किमी तक ऊंचाई तक टेंपरेचर नाप रहा है। इसने विदेशी एजेंसियों पर भारत के मौसम विभाग की निर्भरता कम की है।