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भारत के लोगों और उनके फूड हैबिट को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। भारतीय हर साल करीब 21 हजार करोड़ समोसे, 34 करोड़ किलोग्राम जलेबी, और 35 हजार करोड़ पराठे खाते हैं। ये आंकड़े केवल स्वाद की नहीं, मोटापे की खामोश दस्तक भी हैं। भारत में ऑयली फूड खाने और इसके हेल्थ पर हो रहे दुष्प्रभावों ने सरकार भी चिंता बढ़ा दी है।
ऑयल और शुगर बोर्ड लगाना अनिवार्य
अब सरकारी मंत्रालयों और दफ्तरों की कैंटीन में मिलने वाले समोसे, डोसे या जलेबी के साथ यह जानकारी भी दी जाएगी कि उसमें कितनी मात्रा में तेल और चीनी का उपयोग किया गया है। इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी सरकारी विभागों और संस्थानों को एक नई एडवाइजरी जारी की है।
क्या पूरे देश में लागू होगा?
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्रांस फैट और चीनी लेवल से जागरूक करने के लिए सूचना बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। इस पहल की शुरुआत नागपुर के सरकारी संस्थानों से की जा रही है, जिसमें एम्स नागपुर को भी निर्देश भेजे गए हैं।
मंत्रालय का मानना है कि यदि लोगों को पहले से यह जानकारी दी जाए कि किसी खाद्य सामग्री में कितनी शुगर या तेल है, तो वे अपने खानपान के निर्णय ज्यादा समझदारी से ले सकेंगे। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है।
40 प्रतिशत भारतीय मोटापे के शिकार
भारत में करीब 40% आबादी ओवरवेट या मोटापे से ग्रस्त है। अनुमान है कि 2050 तक ये आंकड़ा 44 करोड़ को पार कर सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे साइलेंट महामारी बता रहे हैं। गलत खानपान, फास्ट फूड, मीठे पेय और फिजिकल एक्टिविटी की कमी इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है।
इस मामले पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
हेल्थ एक्सपर्ट रेवंत हिमतसिंग का का कहना है कि समोसे की तुलना सिगरेट से करना थोड़ा ज्यादा हो गया, क्योंकि जहां सिगरेट कुछ प्रतिशत लोग ही पीते हैं, वहीं समोसा लगभग हर कोई खाता है। ऐसे में इसे प्रतिबंधित करने के बजाय इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना ज्यादा जरूरी है।
साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि कोई व्यक्ति कितनी मात्रा में और कितने अंतराल में समोसा खा रहा है। कई लोग तो इसके साथ अतिरिक्त चटनी या कैचअप का भी खूब सेवन करते हैं, जो सेहत के लिए और भी नुकसानदायक है।
समोसे -जलेबी का हेल्थ पर क्या असर होता है?
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दिल की बिमारियों का कारण ऑयली फूड
भारत में दिल की बिमारियों के कारण कई लोगों की मौत होती है। मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक की संभावनाओं को बढ़ाते हैं। देश में हृदय रोग के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। इन सभी बिमारियों के लिए एक प्रमुख कारण ऑयली और हेवी शुगर कंज्यूम करना भी है।
प्रधानमंत्री कर चुके तेल कम करने की अपील
28 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन में फिट इंडिया मूवमेंट के तहत लोगों से जीवनशैली में बदलाव और तेल की खपत 10% तक घटाने की अपील की थी। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरकारी दफ्तरों से शुरुआत की है।
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भारत में क्यों जरूरी है ये कदम?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, 24% महिलाएं और 22.9% पुरुष ओवरवेट हैं। 5 से 19 साल के 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे मोटापे से प्रभावित हैं। यह स्थिति न सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर असर डाल रही है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था और अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ा रही है।
Wegovy मोटापा घटाने वाली दवा भारत में मिली थी मंजूरी
मोटापे की बढ़ती समस्या को लेकर भारत सरकार ने नोवो नॉर्डिस्क की वजन घटाने की दवा वेगोवी (Wegovy) को भारत में मंजूरी दी थी। यह दवा पेन डिवाइस के रूप में आती है जिससे भूख कंट्रोल होती है। यह दवा सेमाग्लूटाइड (Semaglutide) नाम के एक तत्व से बनी है, जो GLP-1 रिसेप्टर को एक्टिव कर शरीर में एनर्जी लेवल बनाए रखता है और भूख नहीं लगने देता।
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