समोसा-जलेबी पर सरकार का बड़ा एक्शनः अब कैफेटेरिया में लगाने होंगे ऑयल और शुगर बोर्ड

भारत सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत केंद्रीय संस्थानों में 'ऑयल और शुगर बोर्ड' लगाने का आदेश दिया है। इससे नागरिकों को उनके नाश्ते में फैट और शुगर के स्तर की जानकारी मिलेगी। यह कदम मोटापे और स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर उठाया गया है।

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Sandeep Kumar
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अगर आप भी समोसे-जलेबी खाने के शौकीन हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है। भारत सरकार ने समोसा-जलेबी को लेकर बड़ा कदम उठाया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में केंद्रीय संस्थानों को कहा है कि वे अपने कैफेटेरिया और सार्वजनिक स्थानों पर ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’ लगाएं। इन बोर्डों का उद्देश्य यह है कि लोग अपने रोजमर्रा के नाश्तों में शुगर और फैट की मात्रा को जान सकें।

सरकार के मुताबिक, यह जानकारी खानेवालों को यह समझने में मदद करेगी कि उनका पसंदीदा नाश्ता उनकी सेहत पर किस तरह से असर डाल सकता है।

अब मिलेगी ये चेतावनियां

इतिहास में देखा जाए तो समोसा और जलेबी जैसे पकवान मिडिल-ईस्ट से भारत आए थे। ये भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। जब तक ये गरमागरम कढ़ाई से निकलते हैं, हम खुद को रोक नहीं पाते। अब, जैसे तंबाकू पैकेट्स पर चेतावनियां दी जाती हैं, वैसे ही समोसा और जलेबी पर भी स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियां दी जाएंगी।

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स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, अब केंद्रीय संस्थानों के कैफेटेरिया और सार्वजनिक स्थानों में वॉर्निंग बोर्ड्स लगाए जाएंगे। ये बोर्ड्स नाश्तों में छिपी शुगर और फैट की मात्रा को स्पष्ट रूप से दिखाएंगे।

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पोस्टर्स में दिखेगा नाश्ते में कितना शुगर-तेल

प्रमुख डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. सुनील गुप्ता ने इस पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह चेतावनी बोर्ड्स नागरिकों को यह समझने में मदद करेंगे कि उनके नाश्ते में शुगर और तेल की मात्रा कितनी है। यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मोटापा, मधुमेह, और हृदय रोगों का कारण बन सकते हैं। इन बोर्ड्स में लड्डू, पकौड़े और अन्य मिठाइयों के हानिकारक प्रभावों को साफ तौर पर दिखाया जाएगा। ऐसे पोस्टर्स जल्द ही कैटीन और सार्वजनिक क्षेत्रों में लगाए जाएंगे, ताकि लोग अपने खाने के विकल्पों के बारे में अधिक जागरूक हो सकें।

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4 प्वाइंट्स में समझे पूरी स्टोरी

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👉 भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्रीय संस्थानों को निर्देश दिया है। इन संस्थानों को अपने कैफेटेरिया और सार्वजनिक स्थानों पर 'ऑयल और शुगर बोर्ड' लगाना है। इसका उद्देश्य यह है कि लोग अपने नाश्तों में शुगर और फैट की मात्रा जान सकें। 

👉 समोसा और जलेबी जैसे पारंपरिक नाश्तों पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियां दी जाएंगी, जैसे तंबाकू पैकेट्स पर होती हैं। इसका उद्देश्य यह है कि लोग इन नाश्तों के सेवन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूक हो सकें।

👉 सरकार बढ़ते मोटापे को लेकर गंभीर चिंता जता रही है। रिपोर्टों के अनुसार, अगर यही स्थिति रही तो 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं। इससे स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

👉 इस पहल का उद्देश्य केवल चेतावनी देना नहीं, बल्कि नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रेरित करना है। उम्मीद है कि यह कदम लोगों को खानपान की आदतें बदलने और मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में मदद करेगा।

बढ़ते मोटापे पर चिंता

मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में बढ़ते मोटापे को लेकर सरकार गंभीर चिंता जता रही है। रिपोर्टों के अनुसार, अगर यही स्थिति रही, तो 2050 तक 44.9 करोड़ भारतीय मोटापे का शिकार हो सकते हैं। इससे भारत अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर होगा। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

खराब खानपान और कम शारीरिक गतिविधि के कारण न केवल वयस्क, बल्कि बच्चों में भी मोटापे की समस्या बढ़ रही है। आजकल, हर पांच में से एक शहरी युवा ओवरवेट है और यह समस्या समय के साथ और अधिक गंभीर होती जा रही है।

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एक सकारात्मक पहल

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उठाया गया यह कदम एक सकारात्मक दिशा में है। ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’ का उद्देश्य केवल चेतावनी देना नहीं, बल्कि नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रेरित करना है। इस पहल से उम्मीद है कि लोग अपनी खानपान की आदतें बदलेंगे और भविष्य में मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में सफल होंगे।

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