RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान से मध्यप्रदेश के नए नेता तो खुश, पुराने का बढ़ा टेंशन
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत की 75 साल में रिटायरमेंट पर टिप्पणी से भाजपा नेताओं की सियासत में हलचल मच गई है। वहीं भागवत से के इस बयान से नए नेताओं को खुश होने के मौका मिल गया है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत की टिप्पणी ने भाजपा की सियासत में हलचल मचाई है। भागवत ने मोरोपंत पिंगले की स्मृति में कार्यक्रम में कहा कि 75 साल के बाद सक्रिय राजनीति से पीछे हटना चाहिए। इसके बाद नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में स्थान मिलना चाहिए। यह टिप्पणी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के लिए चुनौती बन सकती है। पार्टी में कई नेता 75 साल से ऊपर की उम्र में हैं और सक्रिय राजनीति में बने हुए हैं।
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कई दिग्गज नेता अगले चुनाव तक इस उम्र सीमा के दायरे में आ जाएंगे। इससे इन नेताओं की सक्रियता पर असर पड़ सकता है, और पार्टी को नए चेहरों को अवसर देने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, कुछ नेता अब भी सक्रिय राजनीति में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं, चाहे उनकी उम्र 75 साल के करीब हो।
RSS प्रमुख मोहन भागवत का 75 साल की उम्र से संबंधित बयान मोरोपंत पिंगले की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान था। उन्होंने कहा था- 📢 75 साल की उम्र का अर्थ मैं जानता हूं। 75 साल की शॉल जब ओढ़ाई जाती है, तब इसका मतलब होता है कि अब आप की आयु हो गई, अब जरा बाजू हो जाओ, हमें करने दो।
भाजपा की रिटायरमेंट नीति में बदलाव होगा?
भाजपा में 75 साल की रिटायरमेंट की नीति पहले कुछ राज्यों में लागू की गई थी, लेकिन यह पूरी पार्टी में समान रूप से लागू नहीं हुआ है। इस नीति का मध्यप्रदेश में असर अधिक हो सकता है, क्योंकि कई दिग्गज नेताओं की उम्र इस सीमा में आ जाएगी। हालांकि, यह मुद्दा पार्टी में बहस का कारण बन चुका है और इससे पार्टी को नए चेहरों को अवसर देने का मौका मिल सकता है।
यह निर्णय पार्टी की केंद्रीय रणनीति पर निर्भर करेगा। अगर यह नीति पूरी पार्टी में लागू होती है तो नए नेताओं को एक बड़ा अवसर मिलेगा। मध्यप्रदेश में, कुछ ऐसे नेताओं की उम्र इस सीमा में आ जाएगी, जिनका राजनीतिक प्रभाव अब भी मजबूत है, लेकिन वे इस रिटायरमेंट फॉर्मूले से प्रभावित हो सकते हैं।
डॉ. मोहन भागवत के अनुसार, 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट के बाद नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में स्थान मिलना चाहिए। उनका यह बयान भाजपा में बदलाव का संकेत दे सकता है, खासकर उन नेताओं के लिए जो लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। यह बदलाव पार्टी के लिए एक अवसर हो सकता है, लेकिन इसके लिए सही रणनीति की जरूरत होगी।