जापान ने बना डाला बैंगनी रंग का कृत्रिम ब्लड, अब बचेगी लाखों जान!
जापान ने एक नया आर्टिफिशियल ब्लड विकसित किया है, जो सभी ब्लड ग्रुप्स के लिए उपयोगी है। इस आविष्कार से खून की कमी की समस्या का समाधान हो सकता है। यह चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
खून की कमी अब दुनिया भर में एक बड़ी समस्या बन चुकी है, जो हर साल लाखों लोगों की जान ले लेती है। लेकिन अब इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया गया है। जापान ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे आर्टिफिशियल ब्लड तैयार किया गया है।
खास बात ये है कि यह ब्लड सभी ब्लड ग्रुप्स के लिए काम आता है। इसे हेमोग्लोबिन वेसिकल्स (HbVs) नाम दिया गया है। यह खोज चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। अगर इसका सही तरीके से इस्तेमाल हुआ तो यह खून की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण हो सकती है।
आर्टिफिशियल ब्लड की खासियत
1. यूनिवर्सल ब्लड
यह खून किसी भी ब्लड ग्रुप (A, B, AB, O) के व्यक्ति को दिया जा सकता है। इसमें ब्लड ग्रुप मार्कर नहीं होते, जिससे ब्लड ग्रुप मिलाने की जरूरत नहीं रह जाती है।
2. वायरस मुक्त
यह खून वायरस से पूरी तरह मुक्त होता है, जिसका मतलब है कि इससे HIV, हेपेटाइटिस और अन्य इंफेक्शन का खतरा नहीं होता।
3. लंबे समय तक कर सकते हैं स्टोर
इस रक्त को कमरे के तापमान पर 2 साल तक स्टोर किया जा सकता है, जबकि सामान्य रक्त केवल 42 दिन तक ही सुरक्षित रहता है।
4. बैंगनी रंग
इस रक्त का रंग बैंगनी होता है, जो इसे सामान्य रक्त से अलग करता है।
इस आर्टिफिशयल ब्लड को बनाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। पहले पुराने या एक्सपायर रक्त से हीमोग्लोबिन निकाला जाता है। फिर इसे नैनो आकार की लिपिड मेम्ब्रेन में लपेटा जाता है, जिससे यह स्थिर और कार्यक्षम बनता है। इसमें 250 नैनोमीटर आकार की कृत्रिम कोशिकाएं होती हैं, जो असली रक्त कोशिकाओं की तरह काम करती हैं।
WHO के अनुसार, हर साल 11.2 करोड़ यूनिट खून दान किया जाता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होता। आर्टिफिशियल ब्लड बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकता है, और इसे किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को दिया जा सकता है।
इस ब्लड को कमरे के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है, जिससे इसे दूर-दराज के क्षेत्रों में आसानी से भेजा जा सकता है। यह आपातकालीन स्थितियों में, जैसे सर्जरी, दुर्घटना या प्रसव के दौरान जीवन बचाने में सहायक हो सकता है।
3. ब्लड ग्रुप मिलान की आवश्यकता नहीं
आर्टिफिशियल ब्लड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें ब्लड ग्रुप मिलाने की कोई जरूरत नहीं होती। यह रक्त किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है, जिससे डॉक्टर्स के लिए तुरंत निर्णय लेना आसान हो जाता है।
सर्जरी, अंग प्रत्यारोपण, या बड़े रक्तस्राव के मामलों में खून की आवश्यकता होती है। आर्टिफिशियल ब्लड इस प्रकार की परिस्थितियों में तत्काल उपलब्ध हो सकता है, जिससे मरीजों की जान बचाने में मदद मिलेगी।
5. वायरस और संक्रमण से सुरक्षा
आर्टिफिशियल ब्लड पूरी तरह से वायरस और बैक्टीरिया से मुक्त होता है, जो पारंपरिक रक्त में हो सकते हैं। इसका उपयोग उन क्षेत्रों में किया जा सकता है, जहां रक्त की शुद्धता सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण होता है।
परीक्षण और भविष्य की दिशा
आर्टिफिशियल ब्लड का कई स्तरों पर परीक्षण किया गया है। शुरुआत में चूहों पर किए गए प्रयोगों में 90% रक्त को कृत्रिम रक्त से बदला गया और उनके ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन स्तर सामान्य पाए गए। 2020 में जापान में मानव परीक्षण शुरू हुए थे और 2025 तक इसके बड़े डोज के परीक्षण किए जाएंगे।
क्या समस्याएं हैं?
इस आर्टिफिशियल ब्लड की लागत अभी काफी महंगी है, और बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन के लिए लागत को कम करना आवश्यक होगा। इसके अलावा, विभिन्न देशों से स्वास्थ्य नियामक मंजूरी प्राप्त करना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है।
अगर यह सफल हुआ तो क्या होगा?
ब्लड बैंकों पर निर्भरता कम होगी और ब्लड डोनेशन की कमी से होने वाली समस्याएं कम हो जाएंगी।
विकासशील देशों में जहां खून की कमी बड़ी समस्या है, वहां लाखों जीवन बचाए जा सकते हैं।
चिकित्सा सेवाओं को तेज और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी, खासकर सर्जरी और आपातकालीन उपचार में।