/sootr/media/media_files/2025/07/19/justis-varma-in-suprem-court-2025-07-19-18-40-15.jpg)
Photograph: (the sootr)
संसद के मानसून सत्र से तीन दिन पहले, 18 जुलाई को जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। उन्होंने इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को रद्द करने की मांग की है।
उनका तर्क है कि उनके घर से बरामद नकदी को लेकर समिति ने सही तरीके से जांच नहीं की है और कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब नहीं दिया है। इस याचिका में उन्होंने 5 सवाल उठाए हैं, जिनका जवाब समिति को देना चाहिए था।
जस्टिस वर्मा के द्वारा उठाए गए 5 सवाल
इन सवालों का उद्देश्य यह साबित करना है कि बिना ठोस प्रमाणों के सिर्फ अनुमान पर आधारित निष्कर्ष नहीं हो सकते। |
|
यह खबरें भी पढ़े..
मध्यप्रदेश के इस जिले में आदिवासियों की जमीन पर बना सोलर प्लांट सील, अब अधिकारियों पर गिरेगी गाज
MP Weather Alert: एमपी के 16 जिलों में बाढ़ का खतरा, कई जिलों में बारिश का अलर्ट
याचिका में जस्टिस वर्मा के 10 तर्क
याचिका में जस्टिस वर्मा ने 10 तर्क दिए हैं, जिनके आधार पर उन्होंने जांच समिति की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को खारिज करने की मांग की है। वे मानते हैं कि जांच समिति की रिपोर्ट पूरी तरह से अनुमानों और पूर्वधारणाओं पर आधारित थी, न कि किसी ठोस साक्ष्य पर।
-
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई महाभियोग सिफारिश अनुच्छेद 124 और 218 का उल्लंघन है।
-
1999 की फुल कोर्ट बैठक में बनी इन-हाउस प्रक्रिया सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था है, न कि संवैधानिक या वैधानिक।
-
जांच समिति का गठन बिना औपचारिक शिकायत के किया गया था।
-
22 मार्च 2025 को प्रेस विज्ञप्ति में आरोपों का सार्वजनिक उल्लेख किया गया, जिससे मीडिया ट्रायल शुरू हुआ।
-
न साक्ष्य दिखाए गए, न आरोपों के खंडन का अवसर दिया गया।
-
समिति ने नकदी की उत्पत्ति और वास्तविकता जैसे मूल प्रश्नों को अनदेखा किया।
-
समिति की रिपोर्ट अनुमानों पर आधारित थी, न कि साक्ष्य पर।
-
जांच रिपोर्ट के कुछ ही घंटों बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस ने इस्तीफा देने या महाभियोग का सामना करने की चेतावनी दी।
-
पूर्व मामलों में न्यायाधीशों को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका मिला था।
-
रिपोर्ट के अंश मीडिया में लीक और तोड़-मरोड़ कर दिए गए, जिससे जस्टिस वर्मा की छवि को नुकसान पहुंचा।
जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी
महाभियोग की सिफारिश पर कार्यवाही अब संसद तक पहुंच चुकी है। केंद्र सरकार ने जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रस्ताव को लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के साइन की जरूरत होती है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 4 जून को बताया था कि जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में लाया जाएगा।
यह खबरें भी पढ़े..
रामनवमी 2025: अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक, देश-विदेश के लोग होंगे साक्षी
क्या है जस्टिस वर्मा कैश कांड
14 मार्च की रात जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले में आग लग गई थी। इस घटना के दौरान वे शहर से बाहर थे। 21 मार्च को मीडिया में यह खबर आई कि उनके घर से 15 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे, जिनमें से काफी नोट जल गए थे। इसके बाद 22 मार्च को जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच शुरू की गई। जस्टिस वर्मा ने जांच को षड्यंत्र बताया, लेकिन पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई।
जस्टिस वर्मा ने रिपोर्ट को नकारा
जांच में यह पाया गया कि जस्टिस वर्मा के घर के स्टोर रूम में जले हुए नोटों के ढेर थे। 10 चश्मदीद गवाहों ने इसे देखा था। इसके बाद, जस्टिस वर्मा के घरेलू कर्मचारियों ने भी इस घटना में शामिल होने का दावा किया। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए इसे गलत बताया।
जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
अब जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि प्रस्ताव जल्द ही लोकसभा में पेश किया जा सकता है। यह मामला अब गंभीर रूप से ध्यान आकर्षित कर रहा है और राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बन चुका है।
FAQ
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧👩