मध्यप्रदेश के इस जिले में आदिवासियों की जमीन पर बना सोलर प्लांट सील, अब अधिकारियों पर गिरेगी गाज

खंडवा जिले में बिना अनुमति के आदिवासियों की भूमि पर स्थापित 300 मेगावाट का मसाया सोलर प्लांट सील कर दिया गया है। जांच में अवैध कब्जा और अन्य अनियमितताएं सामने आईं हैं। इस मामले में अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप लगे है, जिसकी जांच की जा रही है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा कर बनाया गया 300 मेगावाट क्षमता का मसाया सोलर प्लांट सील कर दिया गया है। यह कार्रवाई इंदौर कमिश्नर को की गई शिकायत की जांच के बाद की गई है। इस कार्रवाई ने खंडवा के कई अधिकारियों को भी कार्रवाई के दायरे में खड़ा कर दिया है। शुक्रवार देर रात कलेक्टर खंडवा ने दल-बल के साथ मसाया प्लांट को सील करने की कार्रवाई की। 

सोलर प्लांट प्रबंधन द्वारा जिले के ग्राम धरमपुरी, कनवानी, भावसिंगपुरा, बडगांव, माली और सिवना गांव के आदिवासी किसानों की जमीन पर यह प्लांट लगाया हैे। इन किसानों द्वारा इंदौर कमिश्नर को जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत की थी।  

कलेक्टर बोले- उत्पादन के लिए नहीं ली अनुमति 

खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता की जांच में सामने आया कि मसाया सोलर प्लांट कंपनी द्वारा प्रशासन से सोलर प्लांट प्रारंभ करने की कोई वैध अनुमति नहीं ली गई। इसके साथ ही किसानों से जमीन लेने में भी अनुचित तरीके अपनाए गए।

आदिवासी व अनुसूचित जाति वर्ग के किसानों पर दबाव बनाकर जमीन कब्जाई गई। कई किसानों को मुआवजा भी नहीं दिया गया। कई अशिक्षित किसानों के खातों से गलत तरीके से रूपए भी निकालने की शिकायतें सही पाई गई। 

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60 एकड़ जमीन पर किया अवैध कब्जा

प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में यह बात भी सामने आई कि मसाया सोलर एनर्जी कंपनी द्वारा मनमाने तरीके से काम किया गया। कंपनी द्वारा क्षेत्र की साठ एकड़ से अधिक सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया।

इस जमीन में सरकारी चरनोई भूमि, नाले, आम सड़क व वन्य क्षेत्र का बड़ा हिस्सा शामिल है। कलेक्टर ने इस जमीन को भी अपने कब्जे में लेते हुए लीज या आवंटन की प्रक्रिया पूरी होने तक प्लांट बंद करवा दिया है।  

ऐसे समझें किसानों और मसाया सोलर एनर्जी से जुड़ा यह मामला

प्लांट को सील किया गया: खंडवा जिले में 300 मेगावाट के मसाया सोलर प्लांट को जिला प्रशासन ने बिना अनुमति के आदिवासी भूमि पर निर्माण करने के कारण सील कर दिया है।

आदिवासी किसानों की भूमि पर कब्जा: सोलर प्लांट ने आदिवासी किसानों की जमीन पर बिना वैधानिक अनुमति के निर्माण किया, जिसमें कई गांवों के किसानों की भूमि शामिल है।

कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन: सोलर प्लांट ने बिना अनुमति के उत्पादन शुरू किया और कुछ मामलों में किसानों से दबाव डालकर भूमि ली गई।

सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा: मसाया सोलर एनर्जी ने 60 एकड़ सरकारी भूमि पर बिना लीज या अधिग्रहण के कब्जा किया, जो पूरी तरह अवैध था।

अधिकारियों की मिलीभगत और जांच: जांच में यह सामने आया कि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हुआ, जिनके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की जाएगी।

 

खेती की जमीन का बदल दिया लैंड यूज

इस मामले में कलेक्टर द्वारा करवाई गई जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि जो जमीन कंपनी द्वारा ली गई उसका लैंड यूज कृषि है, जबकि कंपनी इस जमीन पर व्यवसायिक गतिविधि अंजाम दे रही है। कंपनी द्वारा लैंड यूज बदले बिना ही इस जमीन का केवल कब्जे के आधार पर डायवर्सन करवा लिया। जिसमें अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद पाई गई। 

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अधिकारियों की संपत्ति की होगी जांच 

इस पूरे मामले की जांच में कंपनी को गैरकानूनी रूप से फायदा पहुंचाने का आरोप भी तत्कालीन व वर्तमान अनुविभागीय अधिकारी सहित अन्य राजस्व अधिकारियों पर लगे है। इन अधिकारियों पर लाखों रुपए रिश्वत के रूप में लेने के आरोप लगे हैं।

कलेक्टर गुप्ता ने कहा कि सभी लापरवाह अधिकारियों की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति बना दी गई है। इन अधिकारियों की संपत्तियों की जांच करने के निर्देश भी दिए गए है।  

मसाया सोलर एनर्जीः अमेरिका-फिलिस्तीन की जॉइंट कंपनी

मसाया सोलर एनर्जी अमेरिका और फिलिस्तीन के दो बिजनेसमैन की जॉइंट कंपनी है। इसका मुख्यालय गुड़गांव में स्थित है। प्लांट 2020 में लगना शुरू हुआ था, और 2022 में बगैर एनओसी के बिजली उत्पादन शुरू कर दिया गया था।

यह प्लांट क्षेत्र के पांच गांवों के करीब 35 आदिवासी किसानों से जमीन लेकर स्थापित किया गया था। इसे लेकर क्षेत्र के कुछ आदिवासी किसानों ने कमिश्नर इंदौर दीपक सिंह से की थी। इन किसानों द्वारा कंपनी पर कई गंभीर आरोप लगाए गए है, जिनमें कई शिकायतें सही पाई गई है।

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