जांच समिति खोलेगी कैश कांड के राज, केंद्र ने किया गठन, जस्टिस वर्मा ने ली सुप्रीम कोर्ट की शरण
केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाने की तैयारी कर रही है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक जज, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित कानूनविद होंगे।
देश के बहुचर्चित कैश कांड और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए केंद्र सरकार ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।
यह समिति इस पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व एक कानून के जानकार शामिल किए जाएंगे।
इन-हाउस जांच में ठहराया था दोषी
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ एक इन-हाउस जांच की थी, जिसमें उन्हें कैश बरामदगी मामले में दोषी ठहराया गया था। इस जांच में जस्टिस वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इस रिपोर्ट को चुनौती दी है और इस पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि नकदी का मिलना केवल संयोग था और यह साबित नहीं करता कि वह स्वयं इसके जिम्मेदार थे।
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सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस विशेष कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक जज, एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक सम्मानित कानूनी विशेषज्ञ को शामिल किया जाएगा। इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करना है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
19 जुलाई को जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को रद्द करने की मांग की थी। उनका कहना था कि नकदी का मिलना इस बात का प्रमाण नहीं है कि यह उनके पास थी, क्योंकि जांच समिति ने यह नहीं बताया कि यह नकदी किसकी थी और कैसे प्राप्त हुई। जस्टिस वर्मा ने रिपोर्ट को मात्र अनुमानों और अनुमानित निष्कर्षों पर आधारित बताया।
जस्टिस वर्मा ने याचिका में इन 5 सवालों के मांगे जवाब
👉 बाहरी हिस्से में नकदी कब, कैसे और किसने रखी?
👉 कितनी नकदी रखी गई थी?
👉 नकदी असली थी या नहीं?
👉 आग लगने का कारण क्या था?
👉 क्या याचिकाकर्ता किसी भी तरह से 15 मार्च 2025 को ‘बची हुई नकदी’ को ‘हटाने’ के लिए जिम्मेदार था?
संसद में महाभियोग प्रस्ताव
21 जुलाई को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में यह बताया कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। संसद में इस प्रस्ताव को लेकर एकजुटता दिखाई दी है, और यह मामला अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों में चर्चा का विषय बन चुका है। लगभग 152 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश का समर्थन किया है।
जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में 5 सवाल उठाए हैं, जो जांच समिति के निष्कर्षों पर गहरे सवाल खड़े करते हैं। इनमें यह सवाल शामिल हैं कि नकदी कब, कैसे और किसने रखी, और यह असली थी या नकली। इसके अलावा उन्होंने 10 तर्क भी दिए हैं, जिनमें यह कहा गया है कि जांच समिति ने पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए और न ही उनकी सुनवाई का उचित अवसर दिया।
सुनवाई से हटे CJI (chief justice of india) गवई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इस मामले में खुद को अलग कर लिया है। उनका कहना था कि इस मामले में उनका शामिल होना उचित नहीं होगा क्योंकि वह पहले भी इस मामले में हिस्सा रहे थे। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे यह मामला पूरी तरह से निष्पक्ष तरीके से सुना जा सके। न्यायपालिका