रायपुर : छत्तीसगढ़ पुलिस सिर्फ किराए की गाड़ियों में ही कमाई नहीं करती बल्कि इनके डीजल में भी खूब खेल होता है। तीसरी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं डीजल पर होने वाला खेला। पुलिस ने सरकारी वाहनों में तो बेतहाशा डीजल डलवाया ही किराए की गाड़ियों ने भी खूब डीजल खाया। इन सवा दो सालों में छत्तीसगढ़ पुलिस की गाड़ियों में 350 करोड़ का डीजल डाला गया है।
इसमें एक और गौर करने वाली बात ये है कि किराए की गाड़ियों में पौने दो सौ करोड़ का डीजल डलवाया गया है। अधिकांश जिलों में सरकारी वाहनों से ज्यादा किराए के वाहनों में डीजल डलवाया गया है। इतना ही नहीं सरकारी गाड़ियों की मरम्मत में भी 18 करोड़ खर्च हो गए। देखिए तीसरे भाग में डीजल का खेला।
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सरकारी वाहनों से ज्यादा ईंधन खाती हैं किराए की गाड़ियां
छत्तीसगढ़ पुलिस किराए के अलावा तेल का खेल भी करती है। द सूत्र ने डीजल की खपत के बारे में पड़ताल की। छत्तीसगढ़ पुलिस की गाड़ियों ने सवा दो साल में यानी अप्रैल 2023 से जून 2025 तक 350 करोड़ का डीजल डाला गया है। सरकारी वाहनों में 170 करोड़ का डीजल डाला गया है तो वहीं किराए की गाड़ियां भी इसमें पीछे नहीं रहीं। किराए के वाहनों में भी 170 करोड़ का डीजल डाला गया है। कई जिलों में तो सरकारी गाड़ियों में कम और किराए की गाड़ियों में ज्यादा ईंधन डलवाया गया है। सूत्र बताते हैं कि डीजल के बिलों में भी बड़ा फर्जीवाड़ा होता है। किराए की गाड़ियों में डीजल की रोजाना के हिसाब से निश्चित मात्रा किराए में शामिल होती है लेकिन इसके बाद भी अलग से पौने दो सौ करोड़ का डीजल डलवा दिया गया।
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इन जिलों में इतने का डीजल
रायपुर
शासकीय वाहन में 18 करोड़ का डीजल
किराए के वाहन में 25 करोड़ का डीजल
दुर्ग
शासकीय वाहन में 6 करोड़ 64 लाख का डीजल
किराए के वाहन में 7 करोड़ का डीजल
राजनांदगांव
शासकीय वाहन में 5 करोड़ का डीजल
किराए के वाहनों में 16 करोड़ का डीजल
बस्तर संभाग
सरकारी गाड़ियों में 43 करोड़ का डीजल
किराए की गाड़ियों में 71 करोड़ रुपए का डीजल
बिलासपुर
शासकीय वाहनों में 6 करोड़ का डीजल
किराए के वाहनों में 2.5 करोड़ का डीजल
कवर्धा
शासकीय वाहन में 2 करोड़ 70 लाख का डीजल
किराए के वाहनों में 74 लाख का डीजल
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मरम्मत पर 18 करोड़ खर्च
सरकारी गाड़ियों में मरम्मत पर भी बहुत पैसा खर्च हुआ है। इस दौरान 18 करोड़ रुपए सिर्फ मरम्मत पर खर्च किए गए हैं। रायपुर में 1 करोड़ 57 लाख रुपए गाड़ियों की मरम्मत में खर्च हुए हैं। नक्सल एरिया होने के कारण बस्तर में गाड़ियों की मरम्मत का खर्च ज्यादा रहा है।सुकमा और बीजापुर में तो एक साल में 3 करोड़ रुपए सिर्फ वाहनों की मरम्मत में लग गए।
बस्तर में 82 लाख, कोंडागांव में 94 लाख, दंतेवाड़ा में 54 लाख, सुकमा में 2 करोड़, बीजापुर में 90 लाख, कांकेर में 1 करोड़ 58 लाख और नारायणपुर में 75 लाख रुपए सरकारी गाड़ियों की सिर्फ मरम्मत पर खर्च हुए। सूत्र बताते हैं कि गाड़ियों का किराया, उनका डीजल, गाड़ियों की मरम्मत और अन्य खर्च के नाम पर मोटी कमाई पुलिस की जेब में जाती है। यह खेल ऐसे ही चलता रहा है और आगे भी चलता रहेगा। क्योंकि इस खेल को कोई सरकार नहीं बल्कि सरकारी सिस्टम रन कर रहा है।
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