कर्नाटक के शिवमोगा जिले में हुई एक विवादास्पद घटना ने धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को प्रभावित किया है। यहां के आदिचुंचनगिरि पीयू कॉलेज में आयोजित कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) के दौरान कुछ छात्रों से परीक्षा कक्ष में प्रवेश से पहले जनेऊ उतरवाने के आरोप में सीईटी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस घटना के बाद कई सवाल उठने लगे हैं, खासकर धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को लेकर।
शिवमोगा में छात्रों से जनेऊ उतरवाने का विवाद
यह घटना कर्नाटक के शिवमोगा जिले के आदिचुंचनगिरि पीयू कॉलेज में हुई, जहां एक सीईटी परीक्षा केंद्र पर कुछ छात्रों से जनेऊ उतरवाने के आरोप लगे। छात्र आरोप लगा रहे हैं कि परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से पहले उन्हें अपनी शर्ट और जनेऊ उतारने को कहा गया। दो छात्रों ने इस आदेश को माना और जनेऊ उतारकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश किया, जबकि एक छात्र ने मना कर दिया।
छात्रों द्वारा उठाए गए इस मुद्दे ने समुदाय के बीच आक्रोश पैदा कर दिया। खासकर कर्नाटक ब्राह्मण सभा के सदस्य नटराज भागवत ने इस मामले पर आपत्ति जताई और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। उनका आरोप है कि यह आदेश न केवल छात्रों के लिए अपमानजनक था, बल्कि इससे धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंची।
आरोप के बाद अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई
नटराज भागवत की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और भारतीय दंड संहिता की धारा 115 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 351 (आपराधिक धमकी), 352 (अपमान करना) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
पुलिस के अनुसार, इस घटना का खुलासा शुक्रवार को हुआ और मामले की जांच शुरू कर दी गई। पुलिस ने बताया कि आदिचुंचनगिरि पीयू कॉलेज के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने छात्रों से केवल "काशीधारा" (कलावा) हटाने को कहा था, न कि जनेऊ। हालांकि, छात्रों का कहना है कि उन्हें शर्ट और जनेऊ दोनों उतारने के लिए कहा गया था।
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उच्च शिक्षा मंत्रालय ने कॉलेज अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट
इस घटना को लेकर राज्य सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री एम सी सुधाकर ने बयान दिया कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह मामला संवेदनशील है और राज्य सरकार इसे गंभीरता से लेगी।
मंत्री ने आगे कहा कि उच्च शिक्षा मंत्रालय ने कॉलेज अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है और मामले की जांच कर रहे हैं। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सीईटी परीक्षा केंद्रों को केवल परीक्षा आयोजित करने का अधिकार है, न कि छात्रों के धार्मिक प्रतीकों को हटाने का।
इस घटना पर धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं का असर
यह घटना कर्नाटक के शिवमोगा में धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाली थी। जनेऊ, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रतीक है, को हटवाना कई लोगों के लिए एक अपमानजनक कदम माना गया। खासकर ब्राह्मण समुदाय के बीच इस पर भारी आक्रोश देखा गया। धार्मिक प्रतीकों को लेकर ऐसी घटनाओं ने समाज में विभाजन और विवादों को जन्म दिया है। यही कारण है कि इस घटना ने केवल कानूनी पहलू ही नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
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पुलिस और कॉलेज अधिकारियों की भूमिका
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कॉलेज अधिकारियों ने अपनी जांच में यह दावा किया कि उन्होंने छात्रों से जनेऊ या शर्ट उतरवाने के लिए नहीं कहा था। उनका कहना था कि केवल काशीधारा (कलावा) हटाने को कहा गया था, जो एक धार्मिक कागजों में दिखाया जाता है। हालांकि, छात्रों का कहना है कि उनका आदेश स्पष्ट रूप से जनेऊ और शर्ट को लेकर था।
इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और कॉलेज अधिकारियों से बयान लिए गए हैं। आरोपियों की पहचान और कार्रवाई के बाद, यह मामला आगे बढ़ेगा।
इस घटना के बाद छात्रों में आक्रोश
घटना के बाद, चकबल्ली गांव में सैकड़ों लोग एकत्रित हुए और इस मुद्दे पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों और उनके परिवारों का कहना है कि उन्हें अपनी धार्मिक पहचान के कारण अपमानित किया गया। पुलिस ने आक्रोशित लोगों को समझाने का प्रयास किया और स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की।
धार्मिक भावनाएं | देश दुनिया न्यूज