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Photograph: (the sootr)
आजकल प्लास्टिक कचरे की समस्या एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। बढ़ती आबादी और उपभोक्ताओं के बढ़ते सामानों के इस्तेमाल ने पर्यावरण में भारी नुकसान पहुंचाया है। इस कचरे का मुख्य स्रोत प्लास्टिक की बोतलें, पैकिंग, और अन्य उत्पाद हैं, जो आसानी से नष्ट नहीं होते और पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। इससे निपटने के लिए कई सरकारी और निजी संस्थाएं प्रयासरत हैं।
केरल राज्य ने इस मुद्दे से निपटने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है। राज्य सरकार ने शराब की बोतलों को वापस करने पर ₹20 का रिफंड देने का ऐलान किया है, जिससे न केवल प्लास्टिक कचरे में कमी आएगी, बल्कि यह पर्यावरणीय सुधारों में भी सहायक सिद्ध होगा।
क्या है केरल सरकार की बोतल रिफंड योजना
केरल सरकार की इस नई योजना, जिसे ‘बोतल रिफंड पहल’ कहा जा रहा है, एक तरह से शराब की खाली बोतलों के लिए एक रिफंड नीति लागू करेगा। इसके तहत, प्लास्टिक और कांच की शराब की बोतलों पर ₹20 का अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा, जो ग्राहकों को बोतल वापस करने पर वापस मिल जाएगा।
यह योजना सितंबर में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जाएगी और तिरुवनंतपुरम और कन्नूर में इसे लागू किया जाएगा। इस पहल को राज्य सरकार ने 'क्लीन केरल कंपनी' के साथ साझेदारी में विकसित किया है।
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क्यूआर कोड स्कैन करने पर मिलेगा रिफंड
यह ₹20 अतिरिक्त शुल्क के रूप में नहीं लिया जाएगा, बल्कि इसे एक जिम्मेदारी भरे निवेश के तौर पर देखा जाएगा। एक्साइज ड्यूटी मिनिस्टर, एमबी. राजेश ने कहा, “यह शुल्क केवल एक निवेश है, जो बोतल को ट्रैक करने और रिफंड की प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद करेगा।”
हर बोतल पर एक QR कोड लगाया जाएगा, जिसे स्कैन करने से ग्राहक आसानी से रिफंड प्राप्त कर सकेंगे। इससे ट्रैकिंग और रिफंड की प्रक्रिया सरल हो जाएगी और इसका लाभ सीधे ग्राहकों को मिलेगा।
शराब बोतलों पर रिफंड की योजना ओर लाभ को ऐसे समझेंकेरल सरकार की पहल: केरल राज्य सरकार ने शराब की बोतलें वापस करने पर ₹20 का रिफंड देने की योजना शुरू की है, जिससे प्लास्टिक कचरे में कमी आएगी। ₹20 का अतिरिक्त शुल्क: शराब की बोतलों पर ₹20 अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा, जो बोतल वापस करने पर ग्राहकों को वापस मिल जाएगा। QR कोड का उपयोग: प्रत्येक बोतल पर QR कोड लगाया जाएगा, जिससे बोतल की ट्रैकिंग और रिफंड की प्रक्रिया सरल होगी। प्रारंभिक चरण में पायलट प्रोजेक्ट: यह योजना सितंबर में तिरुवनंतपुरम और कन्नूर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जाएगी। पर्यावरणीय लाभ: यह पहल प्लास्टिक कचरे को कम करने और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में मदद करेगी, जैसा कि पहले तमिलनाडु में सफलतापूर्वक लागू किया गया था। |
सालभर में 70 करोड़ बोतलों की खपत
केरल में हर साल लगभग 70 करोड़ शराब की बोतलें बिकती हैं, जिनमें से 80% प्लास्टिक की होती हैं। इस पहल के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये बोतलें सड़कों पर न फेंकी जाएं और पर्यावरण में किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।
तलिमनाडु में सफल रही है यह योजना
यह योजना पहले तमिलनाडु में लागू की गई थी, और वहां इसे बड़ी सफलता मिली है। अब, केरल में इसे लागू करने का उद्देश्य है कि शराब की बोतलों की रिकवरी प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाए और इन प्लास्टिक की बोतलों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
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योजना से मिलेगी प्लास्टिक कचरे से मुक्ति
केरल सरकार की यह नई योजना राज्य में तेजी से बढ़ते प्लास्टिक कचरा और इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए है। इस योजना की सफलता से जहां सड़कोें पर प्लास्टिक वेस्ट को कम किया जा सकेगा, वहीं इससे पर्यावरण को भी फायदा होने की उम्मीद है।
सरकार इस योजना के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार के लिए भी काम कर रही है। लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक किया जा रहा है।
साॅफ्टड्रिंक की बोतलें वापस करने पर भी मिलता है रिफंड
केरल सरकार की इस योजना से पहले भी इसी प्रकार की बोतल रिफंड योजना देश की कई जानी-मानी साॅफ्टड्रिंक कंपनियों द्वारा लंबे समय से चलाई जा रही है। साॅफ्टड्रिंक बेचने वाले दुकानदार कस्टमर को भरी बोतल एमआरपी में बोतल की कीमत जोड़कर देते है, जब कस्टमर इन्हें वापस करता है तो उसे बोतल की कीमत वापस कर दी जाती है।
लेकिन यह रिफंड केवल कांच की बोतलों पर ही दिया जाता है, जो बाद में सीधे कंपनियों को जाती है। प्लास्टिक बोतलों में आज भी यूस एंड थ्राें की पाॅलिसी का ही उपयोग किया जा रहा है, जो पर्यावरण के लिए नुकसान दायक साबित हो रहा है।
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