रीवा शराब ठेका घोटाला : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शराब दुकानों के ठेके में फर्जी बैंक गारंटी मामले में EOW की कार्रवाई पर सवाल उठाया। कोर्ट ने पूछा कि जब बैंक गारंटी वैध थी और संपत्ति गिरवी रखकर जारी की गई थी, तो एफआईआर क्यों दर्ज की गई? कोर्ट ने EOW के डायरेक्टर जनरल से चार हफ्ते में हलफनामा पेश करने को कहा।
जिला आबकारी अधिकारी सहित 7 लोगों पर हुई थी FIR
यह पूरा मामला रीवा जिले में वर्ष 2023-24 के लिए शराब दुकानों के ठेके से जुड़ा है। आरोप है कि कुछ शराब ठेकेदारों ने शासन के राजपत्र में उल्लिखित नियमों के विपरीत फर्जी बैंक गारंटी लगाकर शराब दुकानों के लाइसेंस हासिल किए।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल ने इस मामले में शिकायतों की जांच कर एफआईआर क्रमांक 78/2025 दर्ज की थी। एफआईआर में जिला सहकारी बैंक शाखा मोरबा, सिंगरौली के तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह और जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन समेत कुल सात लोगों को आरोपी बनाया गया।
इन पर आरोप था कि उन्होंने बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे और बिना आवश्यक स्वीकृति के फर्जी बैंक गारंटी जारी की और इन्हीं के आधार पर कई शराब दुकानें ठेकेदारों को अलॉट की गईं, जिससे न केवल नियमों की अनदेखी हुई बल्कि शासन को आर्थिक नुकसान भी हुआ।
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शराब ठेकेदार ने दी FIR को चुनौती
एफआईआर में नामजद शराब दुकान के ठेकेदार आदित्य प्रताप सिंह ने इस एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके द्वारा पेश की गई बैंक गारंटी फर्जी नहीं थी, बल्कि इसे संपत्ति को गिरवी रखकर, मार्टिगेज रजिस्टर एंट्री के साथ बिल्कुल वैध तरीके से जारी किया गया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि लोकायुक्त के पास जब इसी तरह की शिकायत की गई थी, तब उसे निरस्त कर दिया गया था।
हाईकोर्ट ने EOW की कार्रवाई पर उठाए सवाल
मामले की शुरुआती सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि लोकायुक्त कार्यालय ने शिकायत का निराकरण बिना जांच के किया, जो एक गंभीर चूक है।
कोर्ट ने लोकायुक्त के डीजीपी को नोटिस जारी करने का आदेश लिखवाना शुरू ही किया था कि तभी याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट के समक्ष दस्तावेज रखे तो सामने आया कि बैंक गारंटी विधिवत रूप से जारी की गई थी और सभी नियमों का पालन किया गया था।
इसके बाद कोर्ट ने EOW से पूछा कि जब बैंक गारंटी फर्जी नहीं है और सभी शर्तें पूरी की गई हैं, तो फिर FIR क्यों दर्ज की गई है।
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EOW DG को पेश करना होगा हलफनामा
हाईकोर्ट आदेश में जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि दस्तावेजों की अवलोकन से यह नजर आ रहा है कि मॉर्टगेज डीड के आधार पर बैंक गारंटी जारी हुई है।
11 जून 2025 को लोकायुक्त के जारी को देखते हुए, FIR दर्ज करने का क्या औचित्य था। इस संबंध में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के DG का व्यक्तिगत हलफनामा चार सप्ताह के भीतर पेश किया जाए। अब इस मामले की सुनवाई 29 अगस्त को तय की गई है।
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अन्य आरोपियों को भी मिलेगी राहत
इस आदेश के बाद अब अगर EOW यह स्पष्ट नहीं कर पाती कि वैध बैंक गारंटी के बावजूद FIR क्यों दर्ज की गई, तो इस केस में अन्य आरोपियों को भी राहत मिलने की संभावनाएं बन सकती हैं। यह मामला अब वित्तीय अनियमितताओं के साथ-साथ सरकार एजेंसियों की जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
मध्यप्रदेश | जबलपुर
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