महिला जज अदिति शर्मा को राजगढ़ में मिली थी करियर खत्म करने की धमकी, राष्ट्रपति से भी लगाई गुहार

बोगस जांच कर हाईकोर्ट ने किया टर्मिनेट, सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल फिर भी महिला जज ने दिया इस्तीफा। सालों की लड़ाई के बाद भी जज को ही नहीं मिला इंसाफ।

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Neel Tiwari
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Photograph: (thesootr)

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मध्यप्रदेश सहित देश की न्यायपालिका में एक महिला सिविल जज के इस्तीफे से हड़कंप मच गया। शहडोल जिले की जज अदिति शर्मा के इस्तीफे में लगाए गए आरोपों ने न्यायपालिका की अंदरूनी कार्यप्रणाली और संस्थागत जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।  

इस मामले में यह भी सामने आया है कि लोगों को न्याय देने वाली महिला जज ने खुद इंसाफ पाने की कोशिश में लंबी लड़ाई लड़ी, लेकिन इंसाफ न मिलता देख इस्तीफा दे दिया।

शहडोल जिले में पदस्थ सिविल जज अदिति शर्मा ने बीते दिनों मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के चीफ को पत्र भेजते हुए न्यायिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि वह न्यायपालिका की चुप्पी और अपने उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति को हाईकोर्ट का जज बनाए जाने के विरोध में यह कदम उठा रही हैं।

हालांकि, द सूत्र ने जब इस मामले की जानकारी जुटाई तो यह पता चला कि इसकी शुरुआत तब हुई थी जब जज अदिति शर्मा राजगढ़ में पदस्थ थीं।

अभी इस्तीफा नहीं हुआ है मंजूर

द सूत्र ने इस मामले में पक्ष जानने के लिए जज अदिति शर्मा से संपर्क किया। हालांकि, अदिति शर्मा ने हमें बताया कि वह न्यायालीन दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं और मीडिया को किसी भी तरह की जानकारी नहीं दे सकती। इससे एक बात साफ हो गई कि जज अदिति शर्मा का इस्तीफा अभी तक मंजूर नहीं किया गया है और फिलहाल वह जज के पद पर बनी हुई हैं। 

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राजगढ़ में प्रताड़ना और शहडोल में निलंबन 

जज अदिति शर्मा के सुप्रीम कोर्ट के पिछले मामले के वकील सादिक उर रहमान से द सूत्र ने संपर्क किया तो यह पता चला कि अदिति शर्मा जब राजगढ़ में पदस्थ थीं तब उन्हें एक सीनियर जज के द्वारा हैरास किया गया था और उनके करियर को खत्म कर देने की धमकी दी गई थी। इसके बाद अदिति शर्मा ने इस मामले की शिकायत भी की थी।

शिकायत पर तो कोई कार्यवाही नहीं हुई पर समय बीतते वह जज डिस्ट्रिक्ट जज इंस्पेक्शन बन चुके थे। इसके बाद आरोप है कि जज अदिति शर्मा से बदला लेने के लिए उनके अलावा अन्य 5 महिला जजों को भी निलंबित कर दिया गया। जबकि उनके खिलाफ हुई जांच में उन्हें पक्ष रखने तक का मौका नहीं मिला।

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हाईकोर्ट ने निलंबित, सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल

अदिति शर्मा सहित 6 महिला जजों को 2023 में एक निर्णय के तहत सेवा से बाहर कर दिया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। साथ ही अदिति शर्मा और सरिता चौधरी ने इंडिपेंडेंट पिटीशन दायर की थी जिन्हें एकसाथ क्लब कर सुनवाई की गई।

अदिति शर्मा को शिकायतों के आधार पर की गई जांच के बाद निलंबित किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट की ओर से यह कहा गया कि उन्होंने अपना प्रोबेशन पीरियड कंप्लीट नहीं किया है इसलिए उनकी सेवाएं जारी नहीं रखी जा रही।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि अदिति शर्मा का टर्मिनेशन शिकायतों के ऊपर की गई जांच के आधार पर किया गया था और कोर्ट ने जांच को भी पूरी तरह बोगस माना था। सुप्रीम कोर्ट में यह भी साबित हुआ कि महिला जज को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। 28 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी को 'मनमाना और अवैध' करार दिया।

जस्टिस नगरत्ना की कोर्ट ने अदिति शर्मा को कंफर्मेशन और सीनियरिटी के साथ सेवा में बहाल करने का आदेश दिया। इसके साथ ही निलंबित की गई अन्य महिला जजों को भी सुप्रीम कोर्ट ने बहाल कर दिया था।

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बहाली के बाद भी नहीं थमा उत्पीड़न 

सुप्रीम कोर्ट ने जिस जांच को ही गलत माना था, उन्ही जांचों के नाम पर अदिति शर्मा को दो एडवाइजरी जारी की गई। इसमें उनको चेतावनी दी गई कि आपके खिलाफ शिकायतें मिली हैं और आप वकीलों के प्रति अपना रवैया सुधारें। यह एडवाइजरी भी उन्हें उसी जज के द्वारा दी गई थी जिन पर उन्होंने राजगढ़ में पदस्थ रहते हुए प्रताड़ना का आरोप लगाया था।

जज अदिति शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में जांच के गलत साबित होने के बाद भी एडवाइजरी जारी करने के खिलाफ भी रिप्रेजेंटेशन भेजें, लेकिन उन पर भी कभी कोई कार्यवाही नहीं हुई।

महिला सिविल जज के इस्तीफे से जुड़ी घटनाओं की टाइमलाइन...

👉 2023 - यौन उत्पीड़न का आरोप

महिला जज ने एक वरिष्ठ जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र भेजकर उनकी पदोन्नति को रोकने की अपील की। इसके साथ ही, दो अन्य महिला न्यायिक अधिकारियों ने भी आरोपित जज के खिलाफ लिखित शिकायतें दी थीं।

👉 जून 2023 - छह महिला जजों को सेवा से हटाया गया

मध्यप्रदेश सरकार ने छह महिला जजों को उनकी संतोषजनक प्रदर्शन की कमी के कारण सेवा से हटा दिया। बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पलटते हुए सभी जजों को बहाल कर दिया। इसमें आरोपित महिला जज भी शामिल थीं।

👉 2024- आरोपित महिला जज ने पुन: कार्यभार संभाला

बहाली मिलने के बाद आरोपित महिला जज शहडोल में सिविल जज के रूप में फिर से कार्यभार संभालने लौटीं।

👉 28 जुलाई 2025 - आरोपित जज की पदोन्नति पर मंजूरी

केंद्र सरकार ने आरोपित जज की मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में नियुक्ति को मंजूरी दी, हालाँकि उन्होंने अभी शपथ ग्रहण नहीं किया था।

👉 28 जुलाई 2025 - महिला जज का इस्तीफा

आरोपित जज की पदोन्नति की मंजूरी मिलने के कुछ घंटे बाद महिला जज ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के पत्र में उन्होंने इस कदम को विरोध का प्रतीक बताते हुए कहा कि न्याय की बात करने वाली व्यवस्था ने उन्हें तोड़ा।

राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट से भी लगाई गुहार

इसी बीच जिस जज के ऊपर अदिति शर्मा ने दस्तावेजों के साथ प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। उनका हाईकोर्ट जज बनाए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को रिकमेंडेशन भेजने की जानकारी सामने आई।

अदिति शर्मा ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को रिप्रेजेंटेशन भेजा। लेकिन इसके बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई और सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा और राष्ट्रपति के अनुमोदन पर जब उक्त जज को हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्त किया गया। आखिरकार अदिति शर्मा टूट गईं। अदिति शर्मा ने संवेदनाओं से भरे हुए भारी शब्दों के साथ चीफ जस्टिस को अपना इस्तीफा भेज दिया।

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शपथ लेने के पहले ही दे दिया था इस्तीफा 

हाईकोर्ट में नवनियुक्त जजों के शपथ ग्रहण समारोह के पहले ही 28 जुलाई को अदिति शर्मा ने अपना इस्तीफा चीफ जस्टिस को प्रेषित कर दिया। अदिति शर्मा ने अपने त्यागपत्र में साफ कहा कि उन्होंने एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी के विरुद्ध गंभीर उत्पीड़न और कदाचार की शिकायत की थी, परंतु न तो उनकी बात सुनी गई और न ही किसी स्तर पर जांच की गई।

बल्कि, उसी अधिकारी को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया। अदिति ने लिखा कि मैं बदले की भावना से नहीं, बल्कि न्याय की उम्मीद में वर्षों से संस्थागत दरवाजे खटखटाती रही, लेकिन अब मैं यह कड़वा सच स्वीकार कर रही हूं कि इस संस्था ने मुझे विफल कर दिया है।

'मैं न्यायपालिका की चुप्पी का शिकार हूं'

अपने इस्तीफे में अदिति शर्मा ने लिखा है कि उन्होंने पूरी जिम्मेदारी और साहस के साथ वरिष्ठ के खिलाफ आवाज उठाई थी। "मैंने वो किया जो मुझे सही लगा, लेकिन मेरी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई। दस्तावेजी साक्ष्य होने के बावजूद मुझसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया। जो व्यक्ति मेरे दुख का कारण था, उसी को न्यायिक पद पर सम्मानित कर दिया गया।"  

अदिति शर्मा ने अपने इस्तीफा में लिखा कि मेरा यह त्यागपत्र भले ही कोर्ट के आर्काइव्स में रखा रह जाए, लेकिन अगर कॉलेजियम का एक ही भी व्यक्ति इसे पढ़ कर असहज महसूस करता है तो मैं समझूंगी कि मेरे शब्दों ने वह काम कर दिया जो मेरा जज का गाउन नहीं कर पाया।

हालांकि, जज अदिति शर्मा या उनके अधिवक्ता की ओर से कोई भी पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह मामला जल्द ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाला है।

महिला जज अदिति शर्मा | महिला जज का उत्पीड़नमध्य प्रदेश हाईकोर्ट

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