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इंदौर के साथ ही भोपाल कलेक्टर के आदेश पर आज (1 अगस्त) से बिना हेलमेट वाले दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल पंप संचालकों ने पेट्रोल देना बंद कर दिया है। इस आदेश को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ लोग इसे सुरक्षा के लिए अच्छा कदम बता रहे हैं, तो वहीं इसे इंदौर के बदहाल ट्रैफिक को सुधारने की जगह बेवजह का आदेश बता रहे हैं।
आदेश के पहले दिन क्या हुआ
इंदौर कलेक्टर ने इस आदेश के पालन के लिए क्षेत्रीय एसडीएम, तहसीलदारों की टीम का गठन कर दिया है। पहले दिन पेट्रोल पंप संचालकों ने बिना हेलमेट आने वालों को लौटा दिया। वहीं कुछ जगह वाहन चालक दूसरे हेलमेट वालों से कुछ देर के लिए हेलमेट उधार लेते दिखे और वह पहनकर उन्होंने पेट्रोल डलवाया। कुछ जगह पर विवाद भी सामने आए। वहीं बिना हेलमेट वालों को पेट्रोल देने वालों पर सील करने की कार्रवाई भी की जा रही है। उधर कांग्रेस ने इस आदेश का विरोध किया है।
यह बात दुर्घटना के दौरान जिंदगी बचाने की
वहीं इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने आदेश को लेकर साफ कहा कि इसे ट्रैफिक से नहीं जोड़ें, यह जिंदगी बचाने का भी अभियान है। यह वाहन चालकों की सुरक्षा का मामला है, ट्रैफिक के लिए भी लगातार काम हो रहे हैं, लेकिन दुर्घटना के दौरान हेलमेट नहीं होने से जान पर बन आती है। ऐसे में इसे जान की सुरक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए।
हेलमेट की सख्ती और हाईकोर्ट का हूटर और सायरन पर आदेश...
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सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के लिए हो रहा आदेश
वहीं कलेक्टर सिंह ने कहा कि दोपहिया वाहन से आने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के लिए आदेश जारी किया जा रहा है। इसमें बिना हेलमेट पहने वह सरकारी दफ्तर में प्रवेश नहीं करेंगे। साथ ही इन दफ्तरों में काम के लिए आने आवेदकों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य किया जाएगा।
हूटर, सायरन पर हाईकोर्ट का आदेश जारी
उधर हाईकोर्ट इंदौर ने अपात्र, वीवीआईपी द्वारा धौंस जमाने के लिए निजी वाहनों पर लगाए जाने वाले हूटर, सायरन, गलत नंबर प्लेट को लेकर लिखित आदेश जारी कर दिया है। याचिकाकर्ता महेश गर्ग की याचिका पर अधिवक्ता मनीष यादव व अदिति यादव द्वारा दिए गए तर्क पर जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार दिवेदी की बेंच ने यह आदेश दिया है।
आदेश में बेंच में साफ लिखा है कि वह यह आदेश खुद संज्ञान लेते हुए कर रहे हैं हालांकि याचिकाकर्ता ने ऐसी राहत की मांग नहीं की है। आदेश में कहा गया है कि-
यद्यपि याचिकाकर्ता कोई अंतरिम राहत नहीं मांग रहा है, लेकिन अंतरिम राहत के रूप में हम स्वतः संज्ञान लेते हुए क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और पुलिस उपायुक्त (यातायात) को निर्देश देते हैं कि वे उन वाहनों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें जो 01.03.2025 के नोटिस/परिपत्र का उल्लंघन कर रहे हैं।
सभी निजी वाहनों के मालिकों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के अनुसार फ्लैश लाइट, सायरन को तुरंत हटाने और नंबर प्लेट बदलने के लिए एक सप्ताह का समय देते हैं। इसमें वाहनों के पंजीकरण संख्या की नंबर प्लेट का आकार, फाॅन्ट और रंग निर्दिष्ट किया गया है। पुलिस वाहनों और सरकारी वाहनों को छोड़कर नंबर प्लेट के ऊपर या नीचे लगी अतिरिक्त प्लेट को भी हटा दिया गया है। निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश की एक प्रति प्रतिवादी को भेजे।
विधायक, सांसद कोई नहीं हूटर, सायरन के लिए पात्र
एक मार्च 2025 को पुलिस मुख्यालय ने भी सर्कुलर जारी कर कहा था कि सरकारी गाड़ियों में हूटर, सायरन लगाने की पात्रता केवल सीएम, कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जज व मुख्य सचिव को है।
वहीं बात इंदौर की करें तो सभी नौ विधायक, सांसद यहां तक विधायक पुत्र, एमआईसी सदस्य, पार्टी के पदाधिकारी तक हूटर, सायरन लगाकर घूमते हैं। इसे एक रूआब और धौंस जमाने का माध्यम बना रखा है। इसमें हूटर बजाते और बत्ती जलाते हुए वाहन सड़कों पर तेज रफ्तार से चलते हैं, जैसे कि अप्रैल में माता देवास टेकरी मंदिर पर आधी रात को विधायक गोलू के पुत्र रूद्राक्ष शुक्ला घुसे थे।
इंदौर में करीब 150 दुकानों पर खुलेआम हूटर, सायरन बिकते हैं, जिसे कोई भी खरीदकर लगा सकता है। ट्रैफिक पुलिस भी इन वीवीआईपी पर हाथ डालने से डरती है। हाईकोर्ट सुनवाई के दौरान तो अधिवक्ता ने कई गाड़ियों की फोटो भी पेश की थी, जिसमें निजी गाड़ियों पर हूटर लगे हुए थे।
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