पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लद्दाख में हिंसा, CRPF की गाड़ी और भाजपा ऑफिस में आग लगाई

लद्दाख में केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा ऑफिस में आग लगाई और CRPF की गाड़ी को जलाया। सोनम वांगचुक ने हिंसा रोकने की अपील की।

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Sandeep Kumar
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सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक: (thesootr)

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देश दुनिया न्यूज: लेह-लद्दाख की सड़कों पर बुधवार को हुई घटना ने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। दरअसल छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा और लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन अचानक हिंसक हो गया।

युवा प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर पर हमला किया, पत्थरबाजी की और एक पुलिस वाहन को आग लगा दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया। सवाल यह है कि आंदोलन इतनी तेजी से हिंसा की ओर क्यों बढ़ा?

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सोनम वांगचुक का भूख हड़ताल 

सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने लद्दाख हिंसा के मुद्दे को उठाया और सरकार से राज्य का दर्जा देने की मांग की। उन्होंने पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल भी की थी। इसके बाद, 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा ऑफिस में आग लगा दी, पुलिस पर पत्थरबाजी की और CRPF की गाड़ी को भी आग लगा दी।

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हिंसा का मुख्य कारण

प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया और 24 सितंबर को लद्दाख बंद का आह्वान किया। इसकी वजह से बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा हो गए। जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए, तो झड़पें हुईं। पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ी को जलाया और तोड़फोड़ की।

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हिंसा को बंद करें

सोनम वांगचुक ने हिंसा के बाद अपना अनशन तोड़ते हुए कहा कि यह लद्दाख के लिए दुखद दिन है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे हिंसा को बंद करें, क्योंकि इससे लद्दाख के मुद्दे का समाधान नहीं होगा, बल्कि स्थिति और गंभीर होगी। वांगचुक ने कहा, हम शांति की दिशा में चल रहे थे, लेकिन अब हिंसा और आगजनी हो रही है। मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अनुरोध करता हूं कि इस बेवकूफी को बंद करें।

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प्रदर्शनकारियों की मांगें

लद्दाख के लोग केंद्र सरकार से पूरी तरह से राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया, तो सरकार ने वादा किया था कि लद्दाख को भी राज्य का दर्जा मिलेगा। अब जब 5 साल का समय बीत चुका है, तो उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें संविधानिक सुरक्षा चाहिए, ताकि उनके अधिकारों का उल्लंघन न हो।

नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिक्रिया

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता शेख बशीर अहमद और विधायक तनवीर सादिक ने भी लद्दाख के मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लद्दाख के लोगों की बातों को अनसुना कर रही है और यही कारण है कि यह हिंसा बढ़ रही है। उन्होंने केंद्र से अपील की कि वह लद्दाख के लोगों से बातचीत करे और उनकी समस्याओं का समाधान निकाले।

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क्या है प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें

1.लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले।
2.लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।
3.स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों और जमीन पर विशेष अधिकार बहाल हों।
4.लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग संसदीय सीट दी जाए।

2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग हुआ था लद्दाख

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत राज्य को दो हिस्सों में बांटा गया। जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश मिला, जबकि लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। उस समय केंद्र सरकार ने दावा किया था कि इससे लद्दाख को सीधे दिल्ली से विकास का लाभ मिलेगा। लेकिन चार साल बाद हालात कुछ और ही हैं।

लद्दाख के नए जिले

केंद्र सरकार ने अगस्त 2024 में लद्दाख में पांच नए जिले बनाने की घोषणा की थी। इन नए जिलों का नाम जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग रखा जाएगा। इस कदम से लद्दाख में प्रशासनिक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे लद्दाख के लोगों की राज्य का दर्जा देने की मांग पूरी हो पाएगी।

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