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Chaitanya Baghel remand: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। बुधवार को हाईकोर्ट ने चैतन्य की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। वहीं, रायपुर की स्पेशल कोर्ट ने चैतन्य बघेल को 6 अक्टूबर 2025 तक EOW-ACB की कस्टोडियल रिमांड पर भेज दिया है। इस मामले में दीपेन चावड़ा को भी 29 सितंबर तक रिमांड पर लिया गया है।
कोर्ट में पेशी और गिरफ्तारी की प्रक्रिया
चैतन्य बघेल को रायपुर जेल से पुलिस सुरक्षा में कोर्ट लाया गया। EOW-ACB ने उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रोडक्शन वारंट दायर किया था। इससे पहले चैतन्य ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्हें ED ने 18 जुलाई 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था और तब से वे जेल में बंद हैं।
16.70 करोड़ की रकम का आरोप
ED ने दावा किया है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले। इस रकम को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट कर फर्जी निवेश और लेन-देन के जरिए ब्लैक मनी को वाइट करने की कोशिश की गई। जांच में यह भी सामने आया कि चैतन्य ने सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की हेराफेरी में भूमिका निभाई।
विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट और कैश पेमेंट का खुलासा
ED की जांच में यह पाया गया कि विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था, लेकिन रिकॉर्ड में सिर्फ 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। इसके अलावा, एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश दिए गए, जो अकाउंट में दर्ज नहीं था। जब्त किए गए डिजिटल डिवाइसों से यह जानकारी सामने आई।
फर्जी फ्लैट खरीदी और ट्रांजेक्शन
ED ने बताया कि कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ रुपए बघेल डेवलपर्स को दिए। ये फ्लैट कर्मचारियों के नाम पर खरीदे गए, लेकिन पैसे ढिल्लो ने खुद चुकाए। यह लेन-देन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन में किया गया। कर्मचारियों ने पूछताछ में माना कि नाम उनका है लेकिन भुगतान ढिल्लो ने किया। ED का कहना है कि यह सब ब्लैक मनी को छिपाकर चैतन्य तक पहुंचाने की पूर्व-योजना थी।
5 करोड़ कैश और प्लॉट खरीदी का खेल
जांच में यह भी सामने आया कि भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य को 5 करोड़ रुपए कैश दिए। बाद में इसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे, जिनकी कीमत सिर्फ 80 लाख रुपए थी। ED का कहना है कि यह कैश भी शराब घोटाले से आया हुआ था, जिसे बैंकिंग सिस्टम से ट्रांसफर कर लीगल दिखाने की कोशिश की गई।
फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल
ED का दावा है कि चैतन्य ने घोटाले के पैसे को छिपाने के लिए फ्रंट कंपनियों और तीसरे व्यक्तियों का इस्तेमाल किया। ढिल्लन सिटी मॉल और ढिल्लन ड्रिंक्स जैसी कंपनियों से कर्मचारियों को पैसा ट्रांसफर किया गया और फिर वही पैसा बघेल डेवलपर्स तक पहुंचा। ED और EOW की जांच में अब तक यह साफ हो चुका है कि शराब घोटाले से निकले करोड़ों रुपए को रियल एस्टेट, नकली निवेश और फर्जी लेन-देन के जरिए सफेद बनाने की कोशिश की गई। फिलहाल चैतन्य बघेल रिमांड पर हैं और आने वाले दिनों में इस घोटाले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।