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Photograph: (the sootr)
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव होने जा रहा है। लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी अब जिले स्तर पर नई टीम खड़ी करने की तैयारी में है। इसी कड़ी में सभी जिलाध्यक्षों को बदले जाने के संकेत मिल रहे हैं। इसके लिए दिल्ली से 17 पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले हैं, जो रायशुमारी कर नए चेहरों का चयन करेंगे।
कांग्रेस हाईकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि संगठन में अब परफॉर्मेंस और ग्राउंड कनेक्ट को प्राथमिकता दी जाएगी। पिछले कुछ वर्षों में कई जिलाध्यक्षों पर गुटबाजी और कार्यकर्ताओं से दूरी बनाए रखने के आरोप लगे थे। पार्टी मानती है कि इसी वजह से जमीनी स्तर पर कमजोर पकड़ ने चुनावी नतीजों को प्रभावित किया।
अब हाईकमान चाहता है कि जिलाध्यक्ष ऐसे हों, जो जनता और कार्यकर्ताओं के बीच सक्रिय भूमिका निभाएं। PCC चीफ दीपक बैज लंबे समय से अपनी टीम और नए जिला अध्यक्षों का नाम तय करने में नाकाम रहे हैं। अब संगठन सृजन के तहत यह काम दिल्ली करेगी। इन पर्यवेक्षकों में मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और हिना कांवरे का नाम भी शामिल है।
पर्यवेक्षकों की भूमिका :
दिल्ली से आने वाले 17 ऑब्जर्वर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाकर कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्थानीय संगठन इकाइयों से चर्चा करेंगे। हर जिले में कई नामों पर राय ली जाएगी। अंतिम मुहर कांग्रेस अध्यक्ष और संगठन महासचिव के स्तर पर लगेगी। सूत्र बताते हैं कि पर्यवेक्षक यह भी देखेंगे कि किस नेता की स्वीकार्यता ज्यादा है और कौन संगठन को एकजुट कर सकता है।
जिले-जिले घूमकर ये ऑब्जर्वर कार्यकर्ताओं से राय लेंगे, नेताओं की स्वीकार्यता परखेंगे और गुटबाजी की नब्ज टटोलेंगे। हर जिले से सुझाए गए नाम दिल्ली भेजे जाएंगे और वहां से तय होगा कि किसे संगठन की कमान सौंपी जाए। यानी अब फैसले सिर्फ रायपुर में नहीं, बल्कि सीधे दिल्ली दरबार से होंगे।
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क्यों हो रहा फेरबदल:
पार्टी के भीतर यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि कई जिलाध्यक्ष सिर्फ पदाधिकारियों के अध्यक्ष बनकर रह गए थे, जमीनी कार्यकर्ताओं और जनता से उनका कोई सीधा जुड़ाव नहीं था। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस लोकसभा में कमजोर पड़ी।
हाईकमान को अब ऐसे चेहरों की तलाश है जो भीड़ जुटा सकें, सड़क पर उतर सकें और विपक्ष की जिम्मेदारी निभा सकें। माना जा रहा है कि नए जिलाध्यक्षों में आधे से ज्यादा चेहरे 40 साल से कम उम्र के होंगे। संगठन में ताजगी और नई ऊर्जा भरने के लिए यही दांव लगाया जा रहा है। वहीं महिलाओं को भी तरजीह दी जाएगी।
छत्तीसगढ में संगठन चुनाव व पर्यवेक्षकों की नियुक्ति को ऐसे समझेंदिल्ली से 17 पर्यवेक्षक करेंगे नाम तय: लोकसभा चुनाव में हार के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सभी जिलाध्यक्षों को बदलने की तैयारी है। इस काम को अंजाम देने के लिए दिल्ली से 17 पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) छत्तीसगढ़ आएंगे, जो नए जिला अध्यक्षों का नाम तय करेंगे। पीसीसी चीफ दीपक बैज हुए नाकाम:कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज लंबे समय से नए जिला अध्यक्षों का नाम तय करने में नाकाम रहे हैं। अब यह जिम्मेदारी सीधे दिल्ली से भेजी गई टीम को दी गई है, जिसमें मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और हिना कांवरे भी शामिल हैं। जमीनी जुड़ाव और परफॉर्मेंस को प्राथमिकता: हाईकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि नए संगठन में ऐसे चेहरों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनका जमीनी कार्यकर्ताओं और जनता से सीधा जुड़ाव हो। गुटबाजी और निष्क्रियता को दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया है। युवाओं और महिलाओं को मिलेगा मौका: माना जा रहा है कि नए जिलाध्यक्षों में आधे से ज्यादा चेहरे 40 साल से कम उम्र के होंगे। इसके अलावा, महिलाओं को भी संगठन में तरजीह दी जाएगी ताकि नई ऊर्जा और जोश का संचार हो सके। गुटबाजी पर लगाम लगाने की कोशिश: कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी गुटबाजी रही है, जिसने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। पर्यवेक्षकों की टीम यह सुनिश्चित करेगी कि नया जिलाध्यक्ष ऐसा चेहरा हो जो सभी गुटों को साथ लेकर चल सके और संगठन में एकता बनाए रखे। |
गुटबाजी पर लगाम :
कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी रही है गुटबाजी। कई जिलों में नेताओं के खेमेबाजी के चलते संगठन बिखरता रहा। ऑब्जर्वर की टीम का पहला काम होगा – यह देखना कि कौन नेता सभी गुटों को साथ लेकर चल सकता है। हाईकमान चाहता है कि नया जिलाध्यक्ष ऐसा चेहरा हो, जिस पर कार्यकर्ताओं को भरोसा हो और स्थानीय नेता भी स्वीकार करें। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पहले ही संकेत दे चुके हैं कि विपक्ष की भूमिका अब सड़क पर उतरकर ही निभानी होगी।
जिलाध्यक्षों के बदलने के बाद कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों पर आंदोलन की बड़ी रणनीति बनाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, यह संगठनात्मक सर्जरी विधानसभा चुनाव 2028 के लिए की जा रही है। कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है या तो जनता के बीच दिखो या पद छोड़ो। यही कारण है कि 17 ऑब्जर्वर की टीम अब संगठन के हर कोने की हकीकत दिल्ली तक पहुंचाएगी। इसके बाद नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को कांग्रेस की नई पारी के तौर पर देखा जाएगा।
साफ है, छत्तीसगढ़ कांग्रेस अब पुराने ढर्रे पर नहीं चलना चाहती। जिलाध्यक्ष बदलना सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि पार्टी की नया चेहरा, नई सोच और नया जोश वाली रणनीति का हिस्सा है।
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ये बनाए गए हैं पर्यवेक्षक :
यहां दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों की पूरी सूची दी गई है:
सप्तगिरि उलका
अजय कुमार लल्लू
सुबोध कांत सहाय
उमंग सिंघार
आरसी खुंटिया
राजेश ठाकुर
विवेक बंसल
डॉ. नितिन राउत
श्याम कुमार बरवे
प्रफुल्ल गुदाढे
चरण सिंह सापरा
विकास ठाकरे
हिना कांवरे
रीता चौधरी
रेहाना रेयाज चिश्ती
अजमतुल्लाह हुसैनी
सीताराम लांबा
इन पर्यवेक्षकों का चयन उनके अनुभव और संगठनात्मक क्षमता के आधार पर किया गया है। इन सभी का एक ही लक्ष्य है- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को फिर से मजबूत करना।