क्या है महाभियोग प्रस्ताव? कैसे होती है जज को हटाने की प्रक्रिया, जानें सब कुछ

महाभियोग प्रस्ताव जज को हटाने का कानूनी तरीका है, जिसके तहत जज पर दुराचार या कर्म-अक्षमता के आरोप साबित होने पर उन्हें पद से हटाया जा सकता है। दिल्ली HC के जस्टिस वर्मा के मामले में यह प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

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Jitendra Shrivastava
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महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Proposal) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) और न्यायपालिका अधिनियम में जज के खिलाफ दुराचार (misbehaviour) या कर्म-अक्षमता (incapacity) के मामलों में पेश किया जा सकता है। यह प्रस्ताव तब लाया जाता है जब किसी जज के खिलाफ गंभीर आरोप होते हैं, जो उनकी कार्यकुशलता पर सवाल उठाते हैं। 

महाभियोग प्रस्ताव कैसे लाया जाता है

महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में बहुमत से पास कराना होता है। इसके लिए सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उसमें उपस्थित एवं मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। 

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1. संसद में महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया  

  • महाभियोग प्रस्ताव किसी एक सदन में पेश किया जा सकता है।  
  • लोकसभा में इसे पेश करने के लिए कम से कम 100 सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है और राज्यसभा में 50 सांसदों का।  
  • प्रस्ताव को प्रस्तावित करने के बाद उसे सभापति (लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में उपराष्ट्रपति) के पास भेजा जाता है, जहां प्रारंभिक जांच के लिए एक समिति बनाई जाती है।  

2. जांच समिति की भूमिका  

इस समिति में एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक विशेषज्ञ कानूनविद होते हैं। यह समिति जज पर लगे आरोपों की जांच करती है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो प्रस्ताव को दोनों सदनों में पारित कराया जाता है। इसके बाद यह राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है और उनकी मंजूरी मिलने पर जज को पद से हटा दिया जाता है।

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जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला 

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में नगदी बरामद होने के बाद उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस वर्मा के घर में आग लगने के बाद जब फायर ब्रिगेड टीम ने घर का दौरा किया, तो वहां भारी मात्रा में नगदी मिली। हालांकि, जस्टिस वर्मा उस समय शहर से बाहर थे।

इस घटना के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की है। अब, सरकार इस मामले पर ध्यान दे रही है, और चर्चा है कि संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।

महाभियोग प्रस्ताव की शर्तें 

  1. संसद का समर्थन: लोकसभा में 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन जरूरी है।
  2. जांच समिति: आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक कानूनी विशेषज्ञ द्वारा की जाती है।
  3. सदन में बहुमत: दोनों सदनों से प्रस्ताव को पारित कराया जाता है।

 

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