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मालेगांव ब्लास्ट मामले में आज (31 जुलाई) विशेष अदालत के जरिए फैसला सुनाए जाने का दिन है। वहीं यह केस करीब 17 साल बाद अपने निर्णायक मोड़ पर है। 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए धमाकों में 6 लोगों की मौत हो गई थी, और 101 लोग घायल हुए थे। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि शुरुआती जांच के दौरान हिंदू राइट विंग ग्रुप्स का नाम सामने आया था, जिनमें प्रमुख आरोपी भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल प्रसाद पुरोहित थे।
मालेगांव ब्लास्ट की साजिश
मालेगांव ब्लास्ट के पीछे जो साजिश थी, उसे एक हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ी एक संगठित योजना के रूप में देखा गया। आरोप है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, और अन्य आरोपी इस विस्फोट की साजिश में शामिल थे। इन आरोपियों पर विस्फोट को अंजाम देने और इसके लिए जरूरी सामग्री जुटाने का आरोप है।
ब्लास्ट की जांच शुरुआत में महाराष्ट्र एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वाड) के जरिए की गई, लेकिन 2011 में इस केस की जांच एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को सौंप दी गई। एनआईए ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की और कई गवाहों के बयान दर्ज किए। हालांकि, इनमें से कुछ गवाहों ने बाद में अपने बयान बदल लिए, और यह केस और भी जटिल हो गया।
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मालेगांव ब्लास्ट के बाद के टर्निंग पॉइंट2008: शुरुआत में धमाकों को मुस्लिम आतंकी संगठनों से जोड़कर देखा गया, लेकिन बाद में यह पता चला कि हिंदू चरमपंथी संगठन भी इसमें शामिल थे। 2011: केंद्र सरकार ने केस की जांच एनआईए को सौंप दी। इस फैसले के बाद जांच में कई बदलाव आए, और कई गवाहों ने अपने बयान बदल दिए। 2017: एनआईए ने अदालत में कहा कि प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं, जिसके बाद उन्हें जमानत मिल गई। 2019: प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जिससे यह केस राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन गया। |
मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए की एंट्री
1 अप्रैल 2011 को महाराष्ट्र सरकार ने मालेगांव ब्लास्ट की जांच एनआईए को सौंप दी। एनआईए ने 13 अप्रैल 2011 को केस दर्ज किया और इसके बाद 21 अप्रैल 2011 को एटीएस ने चार्जशीट में कुछ और आरोपियों का नाम जोड़ा।
इसके बाद, एनआईए ने मामले में नए सबूतों के आधार पर जांच की, जिसमें कई गवाहों ने अपने बयान बदले और कुछ आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। हालांकि, इस प्रक्रिया में विभिन्न एजेंसियों और जजों के बदलावों ने केस की दिशा को प्रभावित किया।
मालेगांव ब्लास्ट में 32 गवाहों के बदले बयान
इस केस में गवाहों के बयान एक अहम भूमिका निभाते हैं। अब तक 323 गवाहों में से 32 ने कथित तौर पर दबाव में आकर अपने बयान बदल दिए थे। इसका असर केस की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर पड़ा है। इस दौरान कई जजों और जांच एजेंसियों की भी अदला-बदली हुई, जिससे जांच प्रक्रिया प्रभावित हुई।
मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी
मालेगांव ब्लास्ट मामले में कुल 12 आरोपी हैं, जिनमें प्रमुख नाम प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, और समीर कुलकर्णी जैसे लोगों के हैं। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने हिंदू राइट विंग विचारधारा के तहत एक बड़ा आतंकी हमला करने की योजना बनाई।
प्रज्ञा ठाकुर का विवादास्पद राजनीतिक सफर
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप है कि उन्होंने मालेगांव ब्लास्ट की साजिश रची। वह पहले आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से जुड़ी हुई थीं और उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा हिंदुत्व विचारधारा के प्रभाव में था। उन्हें 2008 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2017 में अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। जमानत मिलने के बाद, प्रज्ञा ठाकुर ने 2019 में भोपाल से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बनीं।
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मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामला | pragya thakur | लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित | Lieutenant Colonel Prasad Purohit | NIA