दवाओं पर महंगाई की मार : नए वित्तीय वर्ष में दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी, 9 सौ से ज्यादा दवाइयों के बढ़े दाम

1 अप्रैल 2025 से 9 सौ से अधिक आवश्यक दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है। जानें किस प्रकार एंटीबायोटिक्स, मलेरिया और दर्द निवारक दवाइयों की कीमतें बढ़ी हैं।

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Kaushiki
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1 अप्रैल 2025 से, नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ मोदी सरकार ने 9 सौ से ज्यादा जरूरी दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है। नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 1.74 प्रतिशत तक की वृद्धि की घोषणा की है। इन दवाइयों में क्रिटिकल इंफेक्शन, दिल की बीमारियों, डायबिटीज, मलेरिया, एंटीवायरल, एंटीबायोटिक दवाइयां और दर्द निवारक दवाइयां शामिल हैं।

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जनरल दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी

इस बढ़ोतरी के तहत, कई सामान्य उपयोग की जाने वाली दवाइयों की कीमत में वृद्धि हुई है। जैसे कि:

  • एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन: 250mg की कीमत 11.87 रुपए और 500mg की कीमत 23.98 रुपए प्रति टैबलेट।

  • एमोक्सिसिलिन और क्लेवुलैनिक एसिड वाले एंटीबैक्टीरियल ड्राई सिरप की कीमत 2.09 रुपए प्रति एमएल।

  • एसाइक्लोविर (एंटीवायरल): 200mg की कीमत 7.74 रुपए और 400mg की कीमत 13.90 रुपए प्रति टैबलेट।

  • हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एंटीमलेरियल): 200mg की कीमत 6.47 रुपए और 400mg की कीमत 14.04 रुपए प्रति टैबलेट।

पेन रिलीवर दवाओं की बढ़ी हुई कीमतें

ट्रेडिशनल पेन रिलीवर दवाएं, जो आमतौर पर दर्द से राहत पाने के लिए उपयोग की जाती हैं, उनकी कीमतों में भी बढ़ोतरी की गई है:

  • डाइक्लोफेनाक (Painkiller): 2.09 रुपए प्रति टैबलेट।

  • इबुप्रोफेन: 200mg की कीमत 0.72 रुपए और 400mg की कीमत 1.22 रुपए प्रति टैबलेट।

डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज की दवाइयां

  • डायबिटीज की दवाइयां: डेपाग्लिफ्लोजिन, मेटफॉर्मिन, हाइड्रोक्लोराइड, और ग्लिमेपिराइड की कीमत 12.74 रुपए प्रति टैबलेट निर्धारित की गई है।

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कीमतों में संशोधन के नियम

बता दें कि, केंद्रीय रसायन और उर्वरक (Central Chemicals and Fertilizers) राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर, 2013 (DPCO, 2013) के तहत सभी अनुसूचित दवाओं की कीमतों में हर साल होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आधार पर संशोधन किया जाता है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, WPI के वार्षिक बदलाव के आधार पर दवाइयों की कीमतों में वृद्धि की गई थी।

दवाइयों के निर्माण में बढ़ोतरी

दवाइयों के निर्माता WPI (Wholesale Price Index) के आधार पर इन दवाओं की अधिकतम खुदरा कीमतों को बिना सरकार की अनुमति के बढ़ा सकते हैं। हालांकि, यह एक नियामक प्रक्रिया के तहत किया जाएगा और अगर दवाइयों की कीमतें तय सीमा से अधिक बढ़ती हैं, तो सरकार इसका पुनरावलोकन (review) करेगी।

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केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया

केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री (Union Minister of State for Chemicals and Fertilizers) अनुप्रिया पटेल ने इस बढ़ोतरी पर अपनी टिप्पणी दी और कहा कि NPPA के तहत इन दवाओं की कीमतें तय करना एक नियमित प्रक्रिया है। उनका कहना था कि यह संशोधन DPCO 2013 के मुताबिक किया गया है और इसका उद्देश्य जरूरी दवाइयों की कीमतों में संतुलन बनाए रखना है, ताकि जनता को स्वस्थ्य सुविधाएं मिलती रहें।

रोगियों और हेल्थ सिस्टम पर प्रभाव

दवाइयों की कीमतों में वृद्धि से मरीजों पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है, खासकर उन दवाओं पर जो लंबी अवधि तक इस्तेमाल की जाती हैं, जैसे कि एंटीबायोटिक्स, मलेरिया की दवाएं और दर्द निवारक दवाएं। इससे भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता और भी बढ़ जाएगी। सरकार को दवाइयों की कीमतों पर नजर रखने के लिए और अधिक कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो सकती है।

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