Microfinance Default Rates में उछाल, कर्ज में क्यों डूब रहे हैं गरीब?

गरीब और कम आय वाले परिवार अनौपचारिक कर्ज पर निर्भर हैं, जिससे Microfinance default rates बढ़ रही हैं। जानिए क्यों बैंक कर्ज देने से बच रहे हैं और कैसे यह संकट गहराता जा रहा है।

author-image
Sandeep Kumar
New Update
Microfinance default rates
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

आजकल हर किसी के पास बैंक खाता तो है, लेकिन फिर भी गरीब लोग साहूकारों के पास क्यों भागते हैं? ये सवाल बड़ा है और जवाब भी उतना ही जरूरी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2021 तक करीब 96% परिवारों के पास कम से कम एक बैंक खाता था।

फिर भी हाल के सालों में देखा गया कि गरीब और कम कमाई वाले लोग कर्ज के लिए बैंकों से ज्यादा साहूकारों, चिट फंड या दोस्तों पर भरोसा करते हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसके साथ ही, माइक्रोफाइनेंस कर्ज में डिफॉल्टर्स की दर भी बढ़ रही है, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।

कर्ज का बदलता चेहरा

पिरामल एंटरप्राइजेज के मुख्य अर्थशास्त्री देबोपम चौधरी और उनकी टीम ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के डेटा का विश्लेषण किया। नतीजे चौंकाने वाले हैं। 2018-19 से 2022-23 के बीच, 1-2 लाख रुपये सालाना कमाने वाले परिवारों में औपचारिक कर्ज (बैंक से स्थिर ब्याज दर पर सुरक्षित लोन) लेने वालों की संख्या 4.2% घटी।

वहीं, इसी समूह में अनौपचारिक कर्ज (बैंकों से इतर साहूकारों या अन्य किसी से भारी ब्याज दर पर असुरक्षित लोन) लेने वालों की संख्या 5.8% बढ़ी। 2-5 लाख रुपये सालाना कमाने वाले परिवारों में औपचारिक कर्ज लेने वालों की संख्या में 10.4% की बढ़ोतरी हुई, लेकिन अनौपचारिक कर्ज लेने वालों में 12.6% की तेजी देखी गई। मध्यम आय वर्ग (5-10 लाख रुपये) में भी यही रुझान दिखा, जहां अनौपचारिक कर्ज की वृद्धि औपचारिक कर्ज से आगे निकल गई।

ये भी पढ़ें... वित्तीय सुप्रबंधन से स्वावलंबन, आएंगे दूरगामी परिणाम

आर्थिक वर्ग संस्थागत उधार में वृद्धि (%) गैर-संस्थागत उधार में वृद्धि (%)
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (₹1-2 लाख) -4.20% 5.80%
निम्न आय वर्ग (₹2-5 लाख) 10.40% 12.60%
मध्यम आय वर्ग (₹5-10 लाख) 8.70% 10.30%
उच्च आय वर्ग (₹10 लाख से अधिक) -9.90% -7.60%

बैंक क्यों नहीं दे रहे कर्ज?

Microfinance default rates: बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए कम आय वाले लोगों को कर्ज देना जोखिम भरा माना जाता है।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहते हैं, "औपचारिक कर्ज के लिए क्रेडिट स्कोर जरूरी है। कम आय वाले लोगों के पास न तो क्रेडिट हिस्ट्री होती है और न ही स्थिर आय का सबूत।"

इसके चलते ये लोग साहूकारों या दुकानदारों की ओर रुख करते हैं, जहां कर्ज आसानी से मिल जाता है। उदाहरण के तौर पर, एक दिहाड़ी मजदूर अगर अपने परिवार का इलाज कराना चाहता है, तो वह बैंक से कर्ज लेने की बजाय साहूकार से 20-30% ब्याज पर पैसा लेता है। इससे उसे कागजात या लंबी प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ती।

ये भी पढ़ें... विभागों में नहीं लेखाधिकारी, भगवान भरोसे सरकार का वित्तीय प्रबंधन

महंगा कर्ज, गहराता संकट

अनौपचारिक कर्ज की ब्याज दरें 20-30% तक हो सकती हैं, कभी-कभी इससे भी ज्यादा। इससे कर्ज लेने वाले परिवार कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। वे पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेते हैं, और यह सिलसिला चलता रहता है। माइक्रोफाइनेंस लोन, जो गरीबों के लिए एक विकल्प माने जाते हैं, उनमें भी डिफॉल्ट बढ़ रहा है। सा-धन के डेटा के अनुसार, 90 दिनों से ज्यादा बकाया लोन्स का प्रतिशत दिसंबर 2022 में 1.8% था, जो दिसंबर 2024 में 3.2% और मार्च 2025 तक 3.6% हो गया। यह संकेत देता है कि कर्ज लेने वाले लोग भुगतान करने में असमर्थ हो रहे हैं।

ये भी पढ़ें... 

राजस्थान में भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक सोमवार को, 4 महीने बाद होगी मीटिंग

हरदा में कार्यकर्ताओं को छुड़ाने के लिए करणी सेना ने किया चक्काजाम, पुलिस ने खदेड़ा

वित्तीय साक्षरता बढ़ाना जरूरी

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाने होंगे। वित्तीय साक्षरता बढ़ाना जरूरी है, ताकि लोग औपचारिक कर्ज के विकल्पों को समझ सकें। इसमें पैसों से जुड़े फैसलों को समझना और खर्चों को स्मार्ट तरीके से मैनेज करना शामिल है। इसके अलावा, बैंकों को लोन प्रक्रिया आसान करनी होगी और NBFCs व माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को मजबूत करना होगा।

क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण जैसे संगठन माइक्रोफाइनेंस के जरिए कुछ हद तक मदद कर रहे हैं। डिजिटल लोन प्लेटफॉर्म भी वैकल्पिक डेटा, जैसे बिजली बिल भुगतान, का इस्तेमाल कर उन लोगों को कर्ज दे रहे हैं, जिनके पास क्रेडिट स्कोर नहीं है। हालांकि, यह प्रयास अभी पर्याप्त नहीं है।

बैंक खाते खोलना वित्तीय समावेशन की पहली सीढ़ी है, जो गरीब और वंचित लोगों को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। लेकिन असली लक्ष्य कर्ज तक पहुंच सुनिश्चित करना है। अगर गरीब परिवारों को सस्ता और सुरक्षित कर्ज नहीं मिलेगा, तो वे अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहेंगे।

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧👩

कर्ज गरीब ब्याज वित्त डिजिटल लोन वित्तीय साक्षरता माइक्रोफाइनेंस लोन