BHOPAL. प्रदेश में सरकारी महकमों के हिसाब किताब का ब्यौरा रखने की व्यवस्था फिलहाल लड़खड़ाई हुई है। इसकी वजह विभागों में लेखा अधिकारियों की कमी है। इसका असर विभागों के वित्तीय कामकाज पर पड़ रहा है। विभागों में लेखा अधिकारियों के ज्यादातर पद खाली पड़े हैं, इसके बाद भी सरकार इन पर नियुक्ति में लगातार टालमटोल कर रही है।
सेवानिवृति से लगातार खाली हुए पद
सरकार के हीलाहवाला करने से बीते 11 साल में प्रदेश में लेखा सेवा परीक्षा ही नहीं हुई है। विभागों में जो लेखा अधिकारी थे उनमें से ज्यादातर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इन पदों पर दूसरे बाबुओं से काम कराया जा रहा है, जबकि वे इसके लिए कुशल नहीं हैं। यही कारण है कि विभागों में वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ाया हुआ है। विभागों में लेखा अधिकारियों की भर्ती में अड़ंगा लगने से अब यह पद अघोषित रूप से समाप्त होता दिख रहा है।
एक दशक से नहीं हुई लेखा परीक्षा
पहले तक सरकार हर तीन साल में वित्त विभाग कोष एवं लेखा अधिकारी परीक्षा आयोजित करता रहा है। इस परीक्षा में एकाउंट ट्रेनिंग एवं कम्प्युटर में दक्षता हासिल करने वाले लिपिकों को ही शामिल होने की पात्रता होती है। बाबुओं की तीनों श्रेणियों में दक्ष लोग परीक्षा पास का लेखाधिकारी बनते रहे हैं। हालांकि प्रदेश में साल 2013 के बाद से यह परीक्षा नहीं हुई है। जिससे हर विभाग में पद खाली होते गए और अब ज्यादातर जिलों ओर विभागों में लेखा अधिकारी ही नहीं बचे।
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विभागों की मांग की हो रही अनदेखी
जल संसाधन, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ग्रामीण यांत्रिकी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य कल्याण जैसे विभाग इस कमी के संबंध में कई बार ट्रेजरी को पत्र भी लिख चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि वित्तीय और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संभालने के लिए लेखा अधिकारी का होना जरूरी है। यह पद खाली होने के कारण ही विभागों में बार बार आर्थिक गड़बड़ियों के मामले सामने आ रहे हैं, क्योंकि नियमित रूप से वित्तीय प्रबंधन नहीं हो पाने से विभागों ने ऐसी गड़बड़ियों पर रोक लगा पाना मुश्किल है।
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मुख्यालय से लेकर जिलों तक कमी
लेखा अधिकारियों यानी लेखापाल की परीक्षा न होने के कारण पद खाली हैं। वरिष्ठ पदों की संरचना रिक्त पड़ी है। लेखाधिकारी वरिष्ठता के आधार पर सहायक कोषालय अधिकारी बनते रहे हैं। जबकि पदोन्नति के बाद इन्हें ही को जिला कोषालय अधिकारी बनाया जाता रहा है। लेकिन मूल पद ही खाली होने से यह चैन टूट गई है।
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वेंटिलेटर पर विभागों का वित्तीय प्रबंधन
प्रदेश में लेखा अधिकारियों की कमी के कारण यह व्यवस्था भी प्रभार के भरोसे चल रही है। वित्तीय प्रबंधन अस्थाई और अकुशल कर्मचारियों के जिम्मे होने से अकसर विभाग आर्थिक अनियमितता के आरोपों से घिरे रहते हैं। संपूर्ण प्रदेश में इन पदों पर प्रभारी काम कर रहे हैं। जबकि सरकार का ध्यान इस महत्वपूर्ण पद पर स्थाई भर्ती पर नहीं है। विभागों द्वारा की जा रही मांग को भी सालों से नजरअंदाज किया जा रहा है।
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