राजस्थान की भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक सोमवार को दोपहर एक बजे होगी। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि इसका आयोजन 4 महीने बाद किया जा रहा है। पिछली कैबिनेट बैठक 8 मार्च, 2025 को हुई थी। अब लंबे समय बाद एक बार फिर कैबिनेट की बैठक होने जा रही है।
द सूत्र ने 4 महीने से कैबिनेट बैठक नहीं होने का मुद्दा उठाया था। यह भी बताया था कि बैठक रेगुलर नहीं होने से प्रदेश के हितों से जुड़े दो दर्जन से अधिक प्रस्ताव लंबित पड़े हैं। कुछ मामलों में सर्कुलर के जरिए मंत्रियों तक फाइल भेजकर निपटाया जा रहा है। यहां तक कि एक प्रस्ताव की फाइल 14 मंत्रियों के पास पहुंची थी।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक के बारे में सभी मंत्रियों को अवगत करा दिया गया है। पहले कैबिनेट की बैठक होगी और उसके ठीक बाद मंत्रिमंडल की बैठक होगी। इसमें सभी स्वतंत्र प्रभार वाले और कैबिनेट मंत्रियों से संबद्ध राज्य मंत्री भी शामिल होंगे। सभी मंत्रियों को सोमवार सुबह तक जयपुर पहुंचने के लिए कहा गया है।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर फैसले लिए जाएंगे। इनमें राज्य कर्मचारियों के सेवा नियम और अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े मामले बैठक में रखे जाएंगे। पिछली बैठक में निर्णय लिए गए प्रस्तावों को अनुमोदन के लिए पेश किया जाएगा।
बैठक में निवेश संबंधी प्रस्तावों पर भी चर्चा हो सकती है। राजस्थान राइजिंग समिट में 35 लाख करोड़ के निवेश के एमओयू साइन हुए थे। इसमें से 3 लाख करोड़ के एमओयू पर काम हो चुका है। शेष राशि के निवेश प्रस्तावों को जमीन पर लाने के लिए सरकार निवेशकों को कुछ प्रोत्साहन पैकेज भी दे सकती है। माना जा रहा है कि इससे जुड़े प्रस्ताव बैठक में रखे जा सकते हैं।
FAQ
1. राजस्थान सरकार की कैबिनेट बैठक में किस प्रकार के प्रस्तावों पर चर्चा हो सकती है?
इस बैठक में राज्य कर्मचारियों के सेवा नियम, अनुकंपा नियुक्ति, और निवेश संबंधी प्रस्तावों पर चर्चा हो सकती है। इन मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
2. क्यों चार महीने बाद हो रही है राजस्थान की कैबिनेट बैठक?
चार महीने बाद यह बैठक इसलिए हो रही है क्योंकि पिछले समय में नियमित कैबिनेट बैठकें नहीं हो पाई थीं, जिससे कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव लंबित रह गए थे।
3. राजस्थान में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है?
राजस्थान राइजिंग समिट के दौरान 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश के एमओयू साइन हुए थे, जिनमें से 3 लाख करोड़ रुपये के निवेश पर काम शुरू हो चुका है। शेष राशि के निवेश को जमीन पर लाने के लिए सरकार प्रोत्साहन पैकेज दे सकती है।