मिजोरम के इस महापरिवार में है सेना जैसा अनुशासन, विश्व परिवार दिवस 2025 पर एकता का अनोखा उदाहरण

मिजोरम के बक्तवांग गांव का परिवार अनुशासन और एकजुटता की मिसाल है। यह परिवार सामूहिक जीवन और आपसी सम्मान को मजबूत बनाकर रहता है। सेना जैसा डिसिप्लिन फॉलो करते हैं...

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Kaushiki
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भारत के मिजोरम राज्य के बक्तवांग गांव में दुनिया के सबसे बड़े परिवार की कहानी सामूहिक जीवन और डिसिप्लिन की मिसाल पेश करती है। 251 सदस्यों वाला यह परिवार एक पांच मंजिला घर में रहता है, जहां 42 कमरे हैं।

परिवार के मुखिया जियोना चाना के निधन के बाद, उनकी दो बेटियों लालरमचुआना (76) और परलियाना (74) ने परिवार की कमान संभाली और इसमें सेना जैसा स्ट्रिक्ट डिसिप्लिन लागू किया।

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Man with 39 wives, head of 'world's largest family', dies in India | Reuters

सेना जैसा डिसिप्लिन

  • बता दें कि, यह परिवार सुबह अर्ली मॉर्निंग 3 बजे अलार्म से जागता है, 
  • फिर सभी सदस्य मास प्रेयर करते हैं।
  • इसके बाद व्यायाम होता है ताकि सभी स्वस्थ और तंदुरुस्त रहें।
  • 9:30 बजे सभी मिलकर लंच करते हैं।
  • दोपहर में कोई सोता नहीं और शाम 5:30 बजे डिनर होता है।
  • इस कड़ी दिनचर्या से परिवार का स्वास्थ्य और अनुशासन दोनों मजबूत होते हैं।

Ziona Chana: Head of 'world's largest family' dies in India's Mizoram state

परिवार का इनकम सोर्सेज

जियोना चाना की 39 पत्नियां थीं और उनसे 75 बच्चे हुए। अब 34 पत्नियां परिवार के साथ हैं, जिनके 71 बच्चे और 146 पोते-पोतियां हैं। पुरुष कृषि और व्यापार करते हैं, जबकि पांच सदस्य सरकारी शिक्षक हैं।

परिवार का फर्नीचर, एल्यूमीनियम, अगरबत्ती और बांस की शिल्पकारी के अलावा एक टू-व्हीलर कार्यशाला है, जिससे मासिक आय लगभग 7 लाख रुपए है। घर एक पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशंस भी है, जो एडिशनल इनकम का सोर्स है।

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परिवार में संस्कार और आपसी सम्मान

परिवार के मुखिया लालरमचुआना बताती हैं कि, हर सदस्य को एक-दूसरे का सम्मान करना और परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाना सीखना चाहिए। सभी सदस्य शांतिपूर्ण और धीमी आवाज में बातचीत करते हैं, मुस्कुराकर जवाब देते हैं।

परिवार में लिटरेसी को बहुत महत्व दिया जाता है, ताकि कोई सदस्य पिछड़ न जाए। परिवार की नातिन टेटे कहती हैं कि दादा ने हंसकर जवाब देने की परंपरा शुरू की थी, जो आज भी कायम है।

विश्व परिवार दिवस 2025

विश्व परिवार दिवस हर साल 15 मई को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1989 में परिवार के महत्व को समझते हुए इस दिन को समर्पित करने पर विचार किया था।

पहली बार इसे 15 मई 1994 को मनाया गया। इसका उद्देश्य परिवार की अहमियत को समझाना, पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाना है।

साथ ही समाज में गरीबी, भेदभाव और हिंसा जैसे मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा परिवार केंद्रित नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है।

इस दिन को मनाने के लिए परिवार के साथ समय बिताना, कोई फिल्म देखना, पिकनिक पर जाना या साथ मिलकर भोजन करना जैसे सरल लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।

इस अवसर पर लोग अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं, आपसी समझ बढ़ाते हैं और परिवार के साथ खुशहाल जीवन की अहमियत को याद करते हैं।

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