MSP पर गेहूं खरीदी में पिछड़ा मध्य प्रदेश, इस बार पंजाब और हरियाणा ने मारी बाजी

मध्य प्रदेश में इस साल खुले बाजार में गेहूं के दाम MSP से ज्यादा रहे। इससे कई किसानों ने अपने गेहूं को बाजार में बेचना पसंद किया, जिससे सरकारी खरीद कम हो गई...

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Ravi Kant Dixit
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MSP पर गेहूं खरीदी
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समर्थन मूल्य यानी MSP पर गेहूं खरीदी में हर साल पंजाब को टक्कर देने वाला मध्य प्रदेश इस बार पिछड़ गया है। एमपी में अब तक 48 लाख 39 हजार 202 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है, जो तय टारगेट से करीब 40 प्रतिशत कम है। ( Wheat procurement )

सरकार ने मध्य प्रदेश में  80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य तय किया है। हालांकि गेहूं खरीदी की मियाद 25 जून तक बढ़ाई गई है, लेकिन इस अब इस बात की संभावना बेहद कम है कि प्रदेश सरकार गेहूं खरीदी के तय लक्ष्य के आसपास भी पहुंच पाएगी। 

आपको बता दें कि गेहूं खरीदी के लिए 15 लाख 46 हजार से ज्यादा किसानों ने ​रजिस्ट्रेशन कराया है। प्रदेश में 2 हजार 350 से ज्यादा उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक सिर्फ सवा छह लाख किसानों ने ही समर्थन मूल्य के तहत अपना गेहूं बेचा है। सरकार की ओर इन किसानों को 11 हजार 427 करोड़ 57 लाख का भुगतान किया गया है। 

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80 लाख मीट्रिक टन का था टारगेट 

हर साल केंद्र सरकार देश में समर्थन मूल्य पर उपज खरीदी का टारगेट सेट करती है। इस साल के लिए केंद्र ने देश में 320 से 330 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का टारगेट रखा था। इसके तहत पंजाब को 130 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य दिया गया है। वहीं मध्य प्रदेश और हरियाणा को 80-80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य दिया गया है। 

पंजाब और हरियाणा आगे निकले 

गेहूं खरीदी में अव्वल रहने वाला पंजाब अपने 130 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के मुकाबले अब तक 124 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर चुका है। वहीं हरियाणा ने 80 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 71 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद लिया है। इस तरह इस बार मध्य प्रदेश पिछड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। 

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मध्य प्रदेश में इसलिए गिरा ग्राफ 

मध्य प्रदेश में इस साल खुले बाजार में गेहूं के दाम MSP से ज्यादा रहे। इससे कई किसानों ने अपने गेहूं को बाजार में बेचना पसंद किया, जिससे सरकारी खरीद कम हो गई।

दूसरा, कई किसानों का आरोप है कि इस साल गेहूं खरीदी में देरी हुई, जिसके कारण उन्हें अपनी उपज बेचने में परेशानी हुई। कुछ रिपोर्टों में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं, जिसके कारण किसान MSP पर अपनी उपज बेचने से हिचकिचाते रहे।

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