मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया और भक्तों के लिए ड्रेस कोड जारी किया। इस नए नियम के अनुसार, अब से मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्तों को सभ्य और पारंपरिक कपड़े पहनने होंगे। मंदिर में छोटे कपड़े, फटी जींस, बैकलेस ड्रेस और वेस्टर्न कपड़े पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर कोई भक्त इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह कदम मंदिर की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
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ड्रेस कोड में क्या हैं नए नियम?
siddhivinayak temple ट्रस्ट (SGTT) द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि भक्तों को मंदिर में भारतीय पारंपरिक पोशाक पहनकर ही आना होगा। विशेष रूप से महिलाओं को अपने साथ एक दुपट्टा लाने की सलाह दी गई है, ताकि वे मंदिर में अपने सिर को ढक सकें। इसके अलावा, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए छोटे कपड़े, शॉर्ट स्कर्ट, फटी जींस और बैकलेस ड्रेस पहनने की अनुमति नहीं होगी। इन कपड़ों को मंदिर में पवित्र स्थान के लिए अनुपयुक्त माना गया है।
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मंदिर की मर्यादा और पवित्रता बनाए रखना
ट्रस्ट ने यह भी बताया कि इस नए नियम को लागू करने का कारण भक्तों से मिली कई शिकायतें थीं। कुछ भक्त मंदिर में ऐसे कपड़े पहनकर आ रहे थे जो मंदिर की प्रतिष्ठा के खिलाफ थे, जिससे अन्य भक्तों को असुविधा हो रही थी। इन शिकायतों के बाद ट्रस्ट ने यह कदम उठाया ताकि मंदिर में आने वाले भक्तों को एक सुखद और शांतिपूर्ण अनुभव मिल सके।
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देशभर में बढ़ रहे हैं मंदिरों में ड्रेस कोड
यह पहला अवसर नहीं है जब किसी मंदिर ने ड्रेस कोड लागू किया है। हाल के दिनों में देश भर के कई मंदिरों ने भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करना शुरू किया है। यह कदम भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सहेजने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि मंदिरों में आस्था और श्रद्धा का माहौल बना रहे।
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भक्तों की सराहना मंदिर में
ड्रेस कोड लागू होने के बाद भक्तों ने इस निर्णय की काफी सराहना की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी कई भक्त इस कदम को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं और उनका कहना है कि हर मंदिर में इस प्रकार का नियम होना चाहिए। भक्तों का मानना है कि यह नियम भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं के अनुकूल है और इससे मंदिरों में आने वाले लोगों को सही माहौल मिलेगा।
सिद्धिविनायक मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1801 में लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल ने करवाया था। मंदिर में भगवान गणेश के सिद्धिविनायक रूप की एक मूर्ति स्थापित की गई है, जो भक्तों की आस्था का केंद्र है। मंदिर के गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजे अष्टविनायक को दर्शाते हैं और इसके अंदर की छत पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है, जो इस मंदिर की वास्तुकला को और भी आकर्षक बनाता है।