राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार, 6 अप्रैल 2025 को वाराणसी प्रवास के दौरान बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि संघ किसी जाति धर्म, पूजा पद्धति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता है। मुसलमान भी संघ की शाखा में आ सकते हैं। संघ प्रमुख का ये बयान अब चर्चा का विषय बन गया है।
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RSS प्रमुख से पूछा गया था ये सवाल
मोहन भागवत वाराणसी के लाजपत नगर कॉलोनी स्थित RSS शाखा पर पहुंचे थे। कार्यक्रम में पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, सामाजिक समरसता और जातीय भेदभाव खत्म करने जैसे विषयों पर उन्होंने चर्चा की। इसी दौरान एक स्वयंसेवक ने उनसे पूछा कि क्या मुसलमान भी संघ की शाखा में आ सकते हैं?
शाखा में शामिल होने के लिए यह है शर्त
इस सवाल के जवाब में भागवत ने स्पष्ट किया कि सभी भारतीयों का संघ में स्वागत है, लेकिन शाखा में आने वाले हर व्यक्ति को भारत माता की जय बोलने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए और उसे भगवा ध्वज का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बुनियादी शर्त है, जो राष्ट्रीय भावना से जुड़ी है।
हर धर्म, संप्रदाय और जाति के लोगों का स्वागत
मोहन भागवत ने आगे कहा कि भारत में धर्म चाहे जो भी हो, संस्कृति सबकी एक है। शाखा में किसी भी धर्म, संप्रदाय और जाति के लोगों के लिए कोई रोक नहीं है, बशर्ते वे राष्ट्रीय मूल्यों का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य समरस और शक्तिशाली समाज की स्थापना है।
वैदिक विद्वानों से की मुलाकात
इससे पहले शनिवार, 5 अप्रैल 2025 की शाम को मोहन भागवत ने काशी के वैदिक विद्वानों (Vedic scholars) से बैठक की थी। इस दौरान भारत को “विश्वगुरु” बनाने के लिए शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रीय विचारधारा को मजबूत करने पर चर्चा हुई। उन्होंने विद्वानों से इसके लिए समर्पण और मेहनत की अपील की।
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