भारत को आधार कार्ड, यूपीआई, फास्टैग, जीएसटी जैसी टेक्नोलॉजी देकर देश में डिजिटल इंडिया की बुनियाद रखने वाले नंदन नीलेकणि (Nandan Nilekani) अब बिजली के सेक्टर में कुछ बड़ा करने की योजन बना रहे हैं।
पद्म भूषण से सम्मानित नंदन निलेकणि ने कहा कि वह इलेक्ट्रिसिटी ट्रांजेक्शन में बदलाव लाने का सिस्टम बनाने में जुट गए हैं। उनका कहना है कि यह सिस्टम रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के सेक्टर के लिए तैयार हो रहा है।
नीलेकणि को लगता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भारत को बहुत फायदा मिल सकता है। आपको बता दें कि नंदन नीलेकणि इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर भी हैं।
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हर घर में होगा रूफटॉप सोलर
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नंदन नीलेकणि ने बेंगलुरु में अयोजित एक इवेंट के दौरान कहा कि भारत में अब तक बिजली का उत्पादन बड़े प्लांट के जरिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फिर इसके डिस्ट्रीब्यूशन के लिए दाम तय कर दिए जाते हैं।
उनका कहना है कि रिन्यूएबल एनर्जी के सेक्टर में जो सिस्टम तैयार किया जा रहा है उससे भारत के मौजूदा सिस्टम में तेजी से बदलाव होगा। इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर का दावा है कि आने वाले समय में भारत में हर घर में बैटरी, एक फोर व्हीलर बैटरी और रूफटॉप सोलर देखने को मिलेगा।
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हर कोई करना चाहता है बिजली का उत्पादन
पद्म भूषण से सम्मानित नीलेकणि का कहना है कि देश में अब हर कोई अपनी बिजली का उत्पादन करना चाहता है। ऐसे में एक अलग तरह के सिस्टम की जरूर पड़ेगी और हम इसकी तैयारियों में जुटे हुए हैं।
AI बना सकता है लोगों का जीवन आसान
इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि का दावा है कि देश में AI लैंग्वेज मॉडल पर अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अलग अलग तरह की भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसे में भाषा के सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल से हम देश में लोगों का जीवन आसान बना सकते हैं।
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कौन हैं नंदन नीलेकणि?
बेंगलुरु में जन्मे नंदन नीलेकणी एक प्रभावशाली भारतीय उद्यमी, इंफोसिस के सह-संस्थापक और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पूर्व अध्यक्ष हैं। नीलेकणी देश में डिजिटल इंडिया की बुनियाद रखने वाले प्रमुख चहरों में से एक हैं। नीलेकणी ने अपना करियर 1978 में पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स से शुरू किया था, जहां उनकी मुलाकात इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति से हुई थी। नारायण मूर्ति के साथ कि उन्होंने 1981 में इंफोसिस की सह-स्थापना की थी। आपको बता दें कि उन्होंने 1978 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली थी।
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