नारायण मूर्ति की यह सीख आपके परिवार का जीवन बदल सकती है, फैमिली बॉन्डिंग भी बढ़ेगी

इंफोसिस के सह संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने पेरेंट्स को बड़ी नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के लिए अनुशासन का माहौल बनाने की जिम्मेदारी माता-पिता की है।

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Deeksha Nandini Mehra
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NR Narayana Murthy
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NR Narayana Murthy : इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की यह सीख न सिर्फ बच्चों के अच्छे कैरियर के लिए है, बल्कि फैमिली बॉन्डिंग बढ़ाने में भी काम आ सकती है। एक कार्यक्रम के दौरान बच्चों की अच्छी परवरिश पर बोलते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि माता-पिता को बच्चों की पढ़ाई के लिए घर में अनुशासित वातावरण बनाना चाहिए। लेकिन बड़ी बात यह है कि माता-पिता को खुद फिल्में देखकर बच्चों से पढ़ाई पर ध्यान देने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए… नारायण मूर्ति के इस बयान के बाद उनके विचारों की खूब तारीफ हो रही है। साथ ही परिवार के भीतर ही नैतिकता के सवाल पर भी सकारात्मक बहस खड़ी हो गई है। यह बात उन्होंने बेंगलुरु में पॉल ह्यूइट के 13वीं संस्करण की 'कन्सेप्चुअल फिजिक्स' की शुरुआत के बाद साझा की।

नारायण मूर्ति की सीख

सुधा मूर्ति के त्याग को किया याद

कार्यक्रम के दौरान मूर्ति ने कहा, “मेरी पत्नी का तर्क था, अगर मैं टीवी देख रही हूं, तो मैं अपने बच्चों से पढ़ाई करने को नहीं कह सकती। इसलिए उसने कहा, मैं अपना टीवी समय बलिदान करूंगी। साथ में खुद भी पढ़ाई भी करूंगी।” हालांकि उनका काम उन्हें दिन के समय व्यस्त रखता था, लेकिन सुधा मूर्ति ने टीवी छोड़कर और बच्चों के साथ पढ़ाई करके एक मजबूत उदाहरण पेश किया। इससे बच्चों को सवाल पूछने और अपने माता-पिता से मदद प्राप्त करने का अवसर मिला। हालांकि, यह हमेशा संभव नहीं हो सकता, अगर माता-पिता ने भी बच्चों के जितना पढ़ाई नहीं की हो। 

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बेटी है ऋषि सुनक की पत्नी 

यह मूर्ति परिवार के त्याग का परिणाम ही है कि आज उनकी बेटी अक्षता एक फैशन डिजाइनर और वेंचर कैपिटलिस्ट हैं। उन्होंने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से विवाह किया है। जबकि बेटा रोहन एआई कंपनी सोरोको के संस्थापक और मुख्य तकनीकी अधिकारी हैं।

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कोचिंग क्लास है गलत विकल्प

मूर्ति कहा कि “कोचिंग क्लासेस बच्चों को परीक्षा में पास कराने का गलत तरीका है। मैं कोचिंग क्लासेस में विश्वास नहीं करता। अधिकतर लोग जो कोचिंग क्लासेस में जाते हैं, वे कक्षा में अपने शिक्षकों को ध्यान से नहीं सुनते। मूर्ति ने कोटा में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या पर भी चिंता व्यक्त की।

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हफ्ते में 70 घंटे काम पर भी दे चुके हैं बयान

नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) हाल ही में हफ्ते में 70 घंटे काम करने के बयान को लेकर चर्चा में रहे हैं। उनके इस बयान ने व्यापक बहस को जन्म दिया था। कुछ लोगों ने इस सलाह को समर्थन दिया था, जबकि कुछ ने इसका विरोध किया था। हालांकि मूर्ति ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि उन्हें अपने बयान पर कोई पछतावा नहीं है। उन्होने स्पष्ट किया था कि मेरे बयान का मतलब यह था कि हमें अधिक उत्पादक होना चाहिए।

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यह था उनका 70 घंटे काम वाला बयान

अक्टूबर 2023 में एक पॉडकास्ट पर नारायण मूर्ति ने कहा था कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है। हमें चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए भारतीय युवाओं को अधिक घंटे काम करना होगा। उन्होंने सुझाव दिया था कि युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए, जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने किया था। इस बयान के बाद वैश्विक बहस छिड़ गई थी और मूर्ति को आलोचना का सामना करना पड़ा था।

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याद कीजिए गांधीजी का किस्सा… 

नारायण मूर्ति की इस सलाह के साथ ही गांधीजी और गुड़ खाने का किस्सा भी आपको जरूर जानना चाहिए। यह किस्सा बताता है कि गांधीजी अपने जीवन में साधारण और नैतिक आदतों को कैसे महत्व देते थे और कैसे वे व्यक्तिगत अनुशासन को अपने जीवन का हिस्सा मानते थे।

दरअसल, एक बार गांधीजी के पास एक महिला अपने बेटे को लेकर आई और बोली कि मेरा बेटा वैसे तो ठीक है, मगर उसे गुड़ खाने की बुरी आदत है। वह जरूरत से ज्यादा गुड़ खाता है। अगर आप इसे समझाएंगे तो लड़का मान जाएगा। इस पर गांधीजी को याद आया कि गुड़ तो उन्हे भी बहुत पसंद है। ऐसे में वह लड़के को किस प्रकार मना कर सकते हैं? तब गांधीजी ने महिला से कहा कि कुछ दिन बाद इस लड़के को लेकर आना फिर बात करेंगे। कहते हैं कि इस घटना के बाद गांधीजी ने पहले खुद गुड़ खाना छोड़ने का अभ्यास किया और जब उनकी आदत छूट गई तब उन्होंने लड़के को समझाया।

Thesootr Tips: ऐसे बिताएं बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम

बच्चों के साथ पढ़ाई करते समय क्वालिटी टाइम बिताना बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे उनकी पढ़ाई के साथ-साथ रिश्ते भी मजबूत हों। यहां 10 टिप्स दी गई हैं, जिनसे आप पढ़ाई के दौरान बच्चों के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं…

  1. समय सारणी बनाएं: पढ़ाई और खेलने के समय को संतुलित करें। एक ठोस और सुव्यवस्थित शेड्यूल से बच्चों को अपनी पढ़ाई की आदतें बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
  2. इंटरैक्टिव पढ़ाई करें: बच्चों को पढ़ाई में शामिल करें। जैसे कि उन्हें प्रश्न पूछने दें या पढ़ाई के दौरान छोटे-छोटे खेल खेलें। इससे उनकी रुचि बनी रहती है और पढ़ाई मजेदार बन जाती है।
  3. प्रोत्साहन दें: बच्चों की मेहनत की सराहना करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। छोटी-छोटी सफलताओं को मान्यता दें, ताकि वे और मेहनत करने के लिए प्रेरित हों।
  4. एक साथ अध्ययन करें: बच्चों के साथ मिलकर पढ़ाई करने की कोशिश करें। इससे वे आपके साथ समय बिता सकते हैं और आपको उनकी पढ़ाई में भी मदद मिलती है।
  5. नियमित ब्रेक लें: लंबे समय तक पढ़ाई करने के बजाय छोटे-छोटे ब्रेक लें। इस दौरान कुछ हल्का-फुल्का खेल या बातचीत करें, जिससे बच्चों की ऊर्जा बनी रहे।
  6. सृजनात्मक गतिविधियां जोड़ें: पढ़ाई को अधिक सृजनात्मक बनाएं। उदाहरण के लिए, गणित के सवालों को खेल के रूप में बदल सकते हैं या किसी कविता को गा सकते हैं।
  7. परिवारिक अध्ययन सत्र: सप्ताह में एक बार पूरा परिवार मिलकर अध्ययन करे या पढ़ाई से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हों। यह एक अच्छा तरीका हो सकता है बच्चों के साथ समय बिताने का और पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ाने का।
  8. सुविधाजनक वातावरण बनाएं: पढ़ाई के लिए एक आरामदायक और व्यवस्थित स्थान चुनें। एक अच्छा वातावरण पढ़ाई को अधिक प्रभावी और आनंदमय बना सकता है।
  9. सवालों के जवाब दें: बच्चों के सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दें। इससे वे अधिक खुलकर सवाल पूछेंगे और आपको उनके विचार और समझ के बारे में बेहतर जानकारी मिलेगी।
  10. प्रेरणादायक कहानियां सुनाएं: पढ़ाई के साथ-साथ प्रेरणादायक कहानियां या अनुभव साझा करें। इससे बच्चों को पढ़ाई की महत्वता समझ में आएगी और उनके मनोबल को भी बढ़ावा मिलेगा।

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