भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र से एक नई उम्मीद और प्रेरणा की कहानी उभर कर सामने आई है। छतरपुर जिले के एक छोटे से गांव बमीठा की काजल सिंह बघेल, जिन्होंने कभी कबड्डी के मैदान में अपना नाम बनाने का सपना देखा था, अब वह इटली में होने वाले शूटिंग वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं। काजल का यह सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, जिसमें उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पूरी दुनिया में अपने सपनों को सच किया है।
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काजल बघेल का इटली वर्ल्ड कप तक का सफर
काजल बघेल के पिता, पुष्पेंद्र सिंह बघेल, जो कि एक शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी का चयन 2019 में खेलो इंडिया के ट्रायल में हुआ था। यह ट्रायल काजल के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ क्योंकि इसने उसे शूटिंग की दुनिया से परिचित कराया। इसके बाद, काजल ने भोपाल की शूटिंग एकेडमी में प्रशिक्षण लेना शुरू किया और साथ ही कॉलेज की पढ़ाई भी जारी रखी।
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शूटिंग की शुरुआत से पहले, काजल को इसके बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी। वह कबड्डी में रुचि रखती थीं और इस खेल में अपना करियर बनाना चाहती थीं। लेकिन जिले में शूटिंग के लिए कैंप लगाए जाने के बाद उनका चयन हुआ और इसके बाद काजल ने शूटिंग में अपना भविष्य देखना शुरू किया।
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चयन की प्रक्रिया और काजल का लगातार प्रदर्शन
काजल के पिता बताते हैं कि काजल का चयन 3,000 बच्चों में से तीन बच्चों के रूप में हुआ था, जिसमें काजल का नाम भी शामिल था। उन्होंने कभी भी बंदूक को हाथ में नहीं पकड़ा था, लेकिन एकेडमी में प्रशिक्षण लेने के बाद उनका प्रदर्शन शानदार रहा। काजल ने लगातार पांच वर्षों तक नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई पदक भी जीते। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के परिणामस्वरूप, उन्हें हाल ही में भारतीय टीम में शामिल किया गया।
काजल की सफलता ने न केवल बुंदेलखंड, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। अब काजल आगामी 1 जुलाई को भारत से इटली के लिए रवाना होंगी, जहां 4 से 9 जुलाई तक वर्ल्ड कप के सिंगल्स और डबल्स मुकाबले होंगे।
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काजल का यह प्रेरणादायक सफर
काजल का यह सफर ग्रामीण परिवेश से निकलकर वैश्विक मंच पर भारत का नाम रोशन करने तक का है। उनके संघर्ष और सफलता ने यह साबित किया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल रास्ता आसान हो सकता है। काजल की कहानी उन सभी बच्चों के लिए प्रेरणा है जो छोटे गांवों से निकलकर बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं।
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