OBC आरक्षण की आय सीमा में हो सकता है बदलाव, मोदी सरकार कर रही विचार, जानें क्या है पूरा मामला

मोदी सरकार ओबीसी आरक्षण की क्रीमी लेयर में बदलाव की तैयारी में है। यह कदम सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में काम करने वाले ओबीसी कर्मचारियों के लिए अहम हो सकता है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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ओबीसी आरक्षण को लेकर जल्द ही केंद्र सरकार एक बड़ी घोषणा कर सकती है। ओबीसी आरक्षण के मामलों से जुड़ी संसदीय समिति ने केंद्र सरकार व राज्य सरकारों से सभी शासकीय, अर्द्ध शासकीय क्षेत्रों में कार्यरत ओबीसी कर्मचारियों के लिए एक समान क्रीमीलेयर आय सीमा लागू करने का सुझाव दिया है।

इस मामले में अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार भी क्रीमीलेयर की आय सीमा को लेकर जल्द निर्णय ले सकती है, आय सीमा तय होने के बाद ओबीसी आरक्षण में पारदर्शिता और निष्पक्षता बढे़गी। 

क्रीमी लेयर की वर्तमान स्थिति

हाल ही में ओबीसी (Other Backward Classes) क्रीमी लेयर के लिए जो आय सीमा तय की गई थी, वह 6.5 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष की गई थी। यह सीमा 2017 में तय की गई थी और अभी तक वही लागू है। हालांकि, ओबीसी के प्रोफेसरों, शिक्षाकर्मियों और उच्च सरकारी अधिकारियों पर इस सीमा का असर अधिक पड़ा है, क्योंकि उनके वेतन अक्सर इस सीमा से अधिक होते हैं।

इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य यह है कि अधिक आय वाले ओबीसी कर्मचारियों को आरक्षण के लाभ से बाहर रखा जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि केवल वास्तविक जरूरतमंद लोग ही इसका लाभ उठाएं। 

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ओबीसी क्रीमीलेयर आय की नहीं हुई समीक्षा 

ओबीसी आरक्षण को लेकर काम कर रही संसदीय समिति के अनुसार इस वर्ग की आय सीमा की समीक्षा की आवश्यकता है। वर्ष 2017 में क्रीमीलेयर की आय सीमा में बदलाव किया गया था, उस समय 6.5 लाख आय सीमा को बढ़ाकर 8 लाख किया गया था, इस आय सीमा की हर तीन साल में समीक्षा की जाना थी, लेकिन बीते आठ साल से यहीं आय सीमा आरक्षण में लागू है, जिसकी समीक्षा की सिफारिश संसदीय समिति ने की है।

ओबीसी आरक्षण पर संसदीय समिति की सिफारिशों को ऐसे समझें

Need of the hour to revise creamy layer income ceiling for OBCs:  Parliamentary panel

क्रीमी लेयर में बदलाव: ओबीसी मामलों से जुड़ी संसदीय समिति ने केंद्र, राज्य सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और निजी क्षेत्रों में ओबीसी कर्मचारियों के लिए क्रीमी लेयर की समान आय सीमा लागू करने का प्रस्ताव दिया है।

आय सीमा में वृद्धि: वर्तमान में क्रीमी लेयर की आय सीमा 8 लाख रुपये प्रति वर्ष है, जो 2017 में बढ़ाई गई थी।

प्रोफेसरों और उच्च अधिकारियों पर असर: उच्च वेतन वाले सरकारी कर्मचारियों, प्रोफेसरों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों को क्रीमी लेयर के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है, जिससे उनके बच्चे ओबीसी आरक्षण के लाभ से वंचित हो सकते हैं।

मंडल आयोग की सिफारिशें: मंडल आयोग की सिफारिशों के तहत ओबीसी को 27% आरक्षण मिलता है, लेकिन क्रीमी लेयर को इससे बाहर रखा जाता है।

सरकार की प्रतिक्रिया: मोदी सरकार क्रीमी लेयर के नियमों की समीक्षा करने और उनमें सुधार करने के लिए तैयार है, ताकि आरक्षण में निष्पक्षता बनी रहे।

अभी कई कर्मचारियों को नहीं मिलता लाभ 

ओबीसी आरक्षण की क्रीमी लेयर श्रेणी में आने वाले कई कर्मचारियों जिनमें विश्वविद्यालय प्रोफेसर, वर्ग एक के कर्मचारी शामिल है, कि आय 8 लाख प्रतिवर्ष से अधिक है, ऐसे में इनके बच्चों को इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। वहीं यदि संसदीय समिति की सिफारिशों को माना जाता है और क्रीमीलेयर की आय सीमा बढ़ाई जाती है तो कई कर्मचारी व उनके बच्चे आरक्षण के दायरे में आ जाएंगे।

शिक्षा और नौकरियों पर पडे़गा असर

ओबीसी आरक्षण की आय सीमा बदलने का सबसे बड़ा असर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिखाई देगा। नई क्रीमीलेयर आय सीमा तय होने के बाद उच्च आय सीमा वाले कर्मचारी इस सीमा से बाहर हो जाएगें, जिससे इनके बच्चों को इस आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा। वहीं नौकरियों में इस वर्ग के बीच प्रतिस्पर्धा भी कम होगी। 

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मंडल आयोग और आरक्षण की पृष्ठभूमि

ओबीसी के लिए आरक्षण की शुरुआत 1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर हुई थी। इसके तहत, ओबीसी को केंद्रीय सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण दिया गया था। इसके बाद से इस व्यवस्था में कई बदलाव हुए, लेकिन यह अभी भी ओबीसी समुदाय के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। 

क्या है ओबीसी आरक्षण का फॉर्मूला और क्रीमी लेयर

ओबीसी (Other Backward Classes) आरक्षण देश में सामाजिक और आर्थिक समानता लाने के लिए सरकार द्वारा लागू किया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, ओबीसी आरक्षण का लाभ उन व्यक्तियों को मिलता है, जिनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, लेकिन क्रीमी लेयर (Creamy Layer) की अवधारणा ने इसे और जटिल बना दिया है। क्रीमी लेयर उन ओबीसी व्यक्तियों को संदर्भित करती है, जिनकी आय एक निश्चित सीमा से अधिक होती है, और ऐसे व्यक्तियों को आरक्षण के लाभ से बाहर कर दिया जाता है।

केंद्र सरकार ने ओबीसी आरक्षण के तहत क्रीमी लेयर के लिए एक आय सीमा निर्धारित की है। इस सीमा के पार होने वाले ओबीसी वर्ग के लोग आरक्षण के लाभ से वंचित रहते हैं। अब इस क्रीमी लेयर के फॉर्मूले में बदलाव की संभावना है, और मोदी सरकार इस दिशा में बड़े कदम उठाने की योजना बना रही है। 

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