सफेद हाथी साबित हो रहा ओबीसी आरक्षण केस, सरकार ने अब तक वकीलों पर खर्च किए 3.12 करोड़

मध्यप्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण मामले में वकीलों पर 3.12 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट की सुनवाई शामिल है। भारी भरकम खर्च को लेकर अब विधानसभा में सवाल उठे हैं।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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ओबीसी (Other Backward Classes) आरक्षण पर जारी कानूनी लड़ाई में सरकार ने राज्य के महाधिवक्ता, विशेष अधिवक्ता और सॉलिसिटर जनरल को नियुक्त किया है। इस मुद्दे पर सरकार द्वारा अब तक करीब 3.12 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यह खर्च वकीलों की फीस और कानूनी टीम के अन्य खर्चों के लिए किया गया है।

इसके बावजूद, ओबीसी आरक्षण पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका है। इधर अब इस खर्च को लेकर सवाल उठाए जाने लगे है। वकीलों पर हुए खर्च को लेकर विधायक सुनील उईके ने विधानसभा में सवाल उठाया है।  

सरकार द्वारा किए गए कानूनी खर्च

मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से किए गए कानूनी खर्च की शुरुआत 2019 से हुई थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में विधानसभा का मानसून सत्र में यह जानकारी दी कि सरकार ने इस मामले में अब तक 3.12 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

सबसे अधिक भुगतान सॉलिसिटर जनरल को

सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन को अब तक 1.21 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। इस भुगतान की राशि को विभिन्न किस्तों में प्रदान किया गया। इसके अलावा, अन्य सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को 75 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। 

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महाधिवक्ता का खर्च

राज्य के तत्कालीन महाधिवक्ता शशांक शेखर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेशी के लिए चार्टेड प्लेन का उपयोग किया गया था, जिसका भुगतान सरकार द्वारा 8.31 लाख रुपए किया गया।

अन्य वकीलों का भुगतान

कानूनी टीम के अन्य सदस्यों को भी महत्वपूर्ण व बड़ी राशि दी गई है। एड. विनायक प्रसाद शाह को 52.50 लाख रुपए और एड. रामेश्वर प्रताप सिंह को 55.50 लाख रुपए का भुगतान किया गया है।

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ओबीसी आरक्षण पर सरकारी सवाल और जवाब

जुन्नारदेव विस क्षेत्र (छिंदवाड़ा) से कांग्रेस विधायक सुनील उईके ने सरकार से पूछा था कि 27% ओबीसी आरक्षण मामले में अब तक कितनी सुनवाई हुई है और इनमें से कितनी बार महाधिवक्ता और उनकी टीम के सदस्य उपस्थित नहीं रहे। व इस पर कितना खर्च आया है। सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने जवाब दिया गया कि इस मामले में अब तक सॉलिसिटर जनरल, महाधिवक्ता व उनकी लीगल टीम के अधिवक्ताओं को कुल 3.12 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। 

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  • ओबीसी आरक्षण पर मध्यप्रदेश सरकार ने 2019 से अब तक वकीलों पर 3.12 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
  • राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण की कानूनी लड़ाई में महाधिवक्ता, विशेष अधिवक्ता और सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति की है।
  • सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन को 1.21 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, जबकि अन्य वकीलों को भी बड़ी राशि दी गई है।
  • राज्य सरकार ने महाधिवक्ता शशांक शेखर को चार्टेड प्लेन के उपयोग के लिए 8.31 लाख रुपए का भुगतान किया।
  • इस कानूनी खर्च को लेकर विधानसभा में चर्चा हो रही है, विशेष रूप से सागर के प्रैक्टिसनर वकील रामेश्वर पी. सिंह के 55.50 लाख रुपए के भुगतान पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

कानूनी टीम का महत्व और मुद्दे

वकीलों की फीस और कानूनी खर्च की इस बढ़ती हुई राशि ने राज्य सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह खर्च ओबीसी आरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई में जरूरी था। 

ओबीसी आरक्षण के लिए सरकार की कानूनी लड़ाई: एक नजर

ओबीसी (Other Backward Classes) आरक्षण पर जारी कानूनी लड़ाई में सरकार ने राज्य के महाधिवक्ता, विशेष अधिवक्ता और सॉलिसिटर जनरल को नियुक्त किया है। इस मुद्दे पर सरकार द्वारा अब तक करीब 3.12 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यह खर्च वकीलों की फीस और कानूनी टीम के अन्य खर्चों के लिए किया गया है। इसके बावजूद यह मामला अब तक अटका हुआ है।

ओबीसी आरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई

मध्यप्रदेश राज्य में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। यह मामला राज्य में एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है, जिसमें राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता, विशेष अधिवक्ता और सॉलिसिटर जनरल की टीम नियुक्त करनी पड़ी है।

ओबीसी आरक्षण के कानूनी महत्व

 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सिर्फ प्रदेश स्तर पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक चर्चा का विषय बन चुका है। यह न केवल सामाजिक न्याय से जुड़ा है, बल्कि राज्य की राजनीति और न्यायिक प्रणाली पर भी गहरा प्रभाव डालता है। ओबीसी आरक्षण को लेकर कई अन्य राज्याें में भी मांग की जा रही है, इन राज्योें के मामले भी न्यायिक प्रक्रिया में चल रहे है। 

FAQ

ओबीसी आरक्षण के कानूनी खर्च पर सरकार की सफाई क्या है?
सरकार का कहना है कि ओबीसी आरक्षण मामले में कानूनी लड़ाई के लिए यह खर्च जरूरी था। महाधिवक्ता और सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति के बाद, सरकार ने इस पर 3.12 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
ओबीसी आरक्षण के कानूनी खर्च में सबसे अधिक राशि किसे दी गई है?
सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन को अब तक 1.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जो इस मामले में सबसे अधिक है।
ओबीसी आरक्षण की कानूनी लड़ाई का राज्य सरकार पर क्या असर पड़ा है?
ओबीसी आरक्षण के मामले पर सरकारी खर्च और कानूनी टीम की फीस ने राज्य सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह खर्च ओबीसी के अधिकारों के लिए लड़ाई की एक आवश्यकता थी।

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