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सरकार ने लोकसभा में 'वन नेशन वन इलेक्शन' विधेयक पेश कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को पेश किया है। विधेयक पेश होने के बाद अब लोकसभा में इस पर बहस हो रही है। पेश किए जाने के बाद विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया है।
बिल के पक्ष में 269 वोट पड़े
लोकसभा में इस बिल को पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के बाद बैलेट पेपर से वोटिंग हुई और उसके बाद ही यह बिल लोकसभा में पेश हो सका। पिछले साल सितंबर में देश भर में एक साथ चुनाव कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसी साल सितंबर में मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। इस रिपोर्ट में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा और पंचायत चुनाव भी एक साथ कराने के सुझाव दिए गए थे।
विधेयक का विरोध
कांग्रेस ने इस विधेयक को संघीय ढांचे पर हमला बताया है। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। सपा सांसद ने कहा कि संघीय ढांचे को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। आपको बता दें कि इस विधेयक को कानून बनाकर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान है।
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क्या कहता है विधेयक
यदि लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा अपना पूर्ण कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग हो जाती है। उस विधानसभा का शेष पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के लिए ही मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे। विधेयक में अनुच्छेद 82 (ए) (लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों का कार्यकाल), 172 और 327 (विधानसभाओं के चुनावों के लिए प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है। इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान एक 'नियत तारीख' से लागू होंगे। इसे आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। नियत तारीख 2029 में अगले लोकसभा चुनाव के बाद होगी। विधेयक में यह भी कहा गया है कि लोकसभा का कार्यकाल नियत तारीख से पांच साल का होगा। नियत तारीख के बाद निर्वाचित सभी विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जाएगा।
कैसे होंगे एक साथ चुनाव
एक राष्ट्र, एक चुनाव' दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहला चरण लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए होगा। दूसरा चरण आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए होगा। सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होगी। राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा मतदाता पहचान पत्र तैयार किए जाएंगे। केंद्र सरकार पूरे देश में विस्तृत चर्चा शुरू करेगी। कोविंद समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए एक कार्यान्वयन समूह बनाया जाएगा।
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