TRAI का नया नियम - सिम से जुड़े ऑन-लाइन फ्रॉड रोकने वाला यह नियम जरूर जान लें

सिम की गड़बड़ से आर्थिक परेशानी से बचाने के लिए अर्थारिटी ने इसी माह 15 मार्च को नए नियमों की जानकारी मुहैया कराई है और बताया है कि 1 जुलाई से लागू होने वाले इस नियम कई तरह के ऑनलाइन फ्रॉड पर तो रोक लगेगी ही, साथ ही लोग मानसिक परेशानी से भी बच पाएंगे।

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Dr Rameshwar Dayal
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NEW RULE OF TRAI
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New Delhi: ऑनलाइन फ्राड (online frauds ) और हैकिंग ( hacking ) को रोकने के लिए देश में लगातार कड़े ओर जरूरत के हिसाब से कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इसकी दुनिया का जाल इतना घना है कि साइबर फ्रॉड (cyber fraud ) करने वाले लोग कुछ न कुछ तोड़ निकाल लेते हैं। अब लोगों का सिम कार्ड से होने वाले फ्रॉड से बचाने के लिए टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने एक नया नियम बनाया है। इसे प्रभावी माना जा रहा है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह नियम मोबाइल उपभोक्ताओं की कुछ परेशानी बढ़ा सकता है। नया नियम 1 जुलाई से पूरे देश में लागू हो जाएगा।

इस तारीख से लागू होगा यह खास नियम

सिम की गड़बड़ से आर्थिक परेशानी को झेलने से बचाने के लिए अर्थारिटी ने इसी माह 15 मार्च को नए नियम की जानकारी मुहैया कराई है और बताया है कि 1 जुलाई से लागू होने वाले इस नियम कई तरह के ऑनलाइन फ्रॉड पर तो रोक लगेगी ही, साथ ही लोग मानसिक परेशानी से भी बच पाएंगे। जो नियम बनाया गया है, उसके अनुसार मोबाइल उपभोक्ता ने हाल ही में अपने सिम कार्ड स्वैप किया है, तो वह अपना मोबाइल नंबर पोर्ट नहीं कर पाएगा। असल में सिम स्वैप का अर्थ है कि उपभोक्ता ने अपना सिम कार्ड खो जाने, उसके टूट जाने या अन्य वजह से काम न करने पर बदला है।

सिम बदलने पर अब यह होगा

इसके लिए करना यह होता है उपभोक्ता टेलीकॉम कंपनी के ऑपरेटर से संपर्क साधकर पुराने नंबर का ही नया सिम हासिल कर लेता है। ट्राई का दावा है कि यह नियम इसलिए लागू किया जा रहा है क्योंकि ऐसा कदम फ्रॉड की घटनाओं को रोकने के मद्देनजर उठाया गया है। नए नियम को फ्रॉड करने वालों को सिम स्वैपिंग या फिर रिप्लेसमेंट के तुरंत बाद मोबाइल कनेक्शन को पोर्ट करने से रोकने से रोकने के लिए उठाया गया है। पोर्ट का अर्थ यह होता है कि उपभोक्ता अपने नंबर को दूसरी टेलीकॉम कंपनी में ट्रांसफर नहीं करवा सकता है।

रुकेगा फ्रॉड लेकिन यह परेशानी हो सकती है

पोर्ट का चलन इसलिए बढ़ गया है कि अनेकों उपभोक्ताओं को अपने इलाके में किसी टेलीकॉम कंपनी का नंबर नहीं लगता है तो वह बदल लेता है। इसके और भी कारण होते हैं। असल में लोग अपना अधिकतर लेन-देन मोबाइल के जरिए ही कर रहे हैं, इसलिए सिम स्वैपिंग भी फ्रॉड बढ़ गए हैं, जिसमें फ्रॉड करने वाले उपभोक्ता के पेन कार्ड और आधार की फोटो कॉपी आसानी से पा लेते हैं और उसके बाद मोबाइल खो जाने का हवाला देकर नया सिम कार्ड जारी करा लेते हैं। इसके बाद उपभोक्ता के नंबर पर आने वाले ओटीपी और अन्य नंबरों से फ्रॉड शुरू हो जाता है। लेकिन इसका नतीजा यह निकलेगा कि अगर किसी उपभोक्ता को टेलीकॉम कंपनी से समस्या है तो वह अपना नंबर पोर्ट नहीं कर पाएगा। वैसे ऐसे लोगों की संख्या सीमित मानी जा रही है।

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