बार्डर पर सुरक्षा छोड़ बकरियों की देखभाल कर रहे BSF के जवान, जानें क्या है पूरा मामला

राजस्थान के बाड़मेर में 250 बकरियां पाकिस्तान से भारतीय सीमा में घुस आई हैं। अब इनकी देखरेख बीएसएफ (Border Security Force) के जवान कर रहे हैं।

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Deeksha Nandini Mehra
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पाकिस्तान की 250 बकरियां
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राजस्थान के बाड़मेर (Barmer) में 19 जुलाई को पाकिस्तान से भारतीय सीमा में घुस आई 250 बकरियां बीएसएफ (Border Security Force) के लिए सिरदर्द बन गई हैं। इन बकरियों को अब बीएसएफ की देखरेख में रखा गया है। इन्हें नीलाम करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।

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बीएसएफ की चुनौती

भारत- पाकिस्तान पश्चिमी बॉर्डर (​​​​India-Pakistan western border) के धनाऊ क्षेत्र के सरुपे का तला और मिये का तला के बीच तारबंदी कटने के बाद ये बकरियां जीरो पॉइंट से भारतीय सीमा में आ गई थीं।

बीएसएफ का कहना है कि पाकिस्तान के चरवाहे इस पर ध्यान नहीं देते और यह समस्या काफी समय से चल रही है। इन बकरियों को जब्त कर लिया गया और एक माह से बीएसएफ के जवान इनकी देखरेख कर रहे हैं। हालांकि बकरियों की नीलामी की प्रक्रिया में अब तक कोई स्पष्ट आदेश नहीं मिले हैं।

कस्टम का नया नियम

कस्टम एक्ट (Customs Act) में हाल ही में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब सीमा पार से आने वाले पशुओं को स्थानीय स्तर पर निस्तारण करने का प्रावधान है। पहले कस्टम विभाग इन वस्तुओं को जब्त कर आगे की कार्रवाई करता था, लेकिन अब बकरियों को कस्टम विभाग (Customs Department) ने लेने से इनकार कर दिया है। इस स्थिति में बकरियों की नीलामी अब स्थानीय स्तर पर की जाएगी। इसके लिए किसी एनजीओ का भी कोई प्रावधान नहीं है, जिससे बकरियों का निस्तारण स्थानीय स्तर पर ही होगा।

पाकिस्तान का इनकार

बीएसएफ ने बकरियों को जब्त करने के बाद पाकिस्तान से संपर्क किया ताकि पता लगाया जा सके कि ये बकरियां किस पाकिस्तानी चरवाहे की हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इनकार कर दिया है। अब यह पता लगाना मुश्किल हो गया है कि बकरियां किसकी हैं। इसके अलावा पाकिस्तान इस बात को साबित करने से भी मना कर रहा है कि तारबंदी कटी थी।

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बीएसएफ के प्रयास

पिछले एक माह से बीएसएफ (BSF) के जवान बकरियों की देखरेख कर रहे हैं। बारिश के मौसम में हरा चारा उपलब्ध है, जिससे बीएसएफ को चारे की कोई परेशानी नहीं हो रही है। बीएसएफ जवानों को दो से चार लोग इस काम में लगे हैं और ग्रामीणों का भी सहयोग लिया जा रहा है।

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