विनेश फोगाट के लिए देसी अखाड़े से ओलंपिक मेडल तक का सफर कैसा रहा, देखें इस खबर में...

फोगाट ने क्यूबा की युसनेलिस गुजमैन लोपेज को 5-0 से हराकर पेरिस ओलंपिक में महिला कुश्ती के 50 किलोवर्ग में गोल्ड मेडल की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।

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Amresh Kushwaha
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विनेश फोगाट का पेरिस ओलंपिक 2024 में फाइनल मैच आज भारतीय समयानुसार रात 12:45 बजे शुरू होगा। यह मैच सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ होगा

Paris Olympics 2024 : विनेश फोगाट ( Vinesh Phogat ) ने पेरिस ओलंपिक 2024 के फाइनल में पहुंचकर भारतीय महिला पहलवानों ( Indian Female Wrestler ) की नई मिसाल कायम की है। फोगाट ने क्यूबा की युसनेलिस गुजमैन लोपेज ( Cuban Yusnelis Guzman Lopez ) को 5-0 से हराकर पेरिस ओलंपिक में महिला कुश्ती के 50 किलोवर्ग में गोल्ड मेडल की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।

लंबे समय से ओलंपिक पदक का सपना देखने वाली विनेश ने कई कठिनाइयों का सामना किया, जिसमें धमकियां, पुलिस हिरासत, विरोध प्रदर्शनों की प्रतिक्रियाएं और बदनाम करने के प्रयास शामिल थे, लेकिन वे अडिग रहीं और मेडल सुनिश्चित कर लिया।

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आलोचकों को दिया करारा जवाब

विनेश ने आलोचकों को सख्त जवाब दिया और 12 साल में दो असफल प्रयासों के बाद ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं। उथल-पुथल भरे दौर में भी उन्हें पूरा यकीन था कि उनकी लड़ाई सही थी और इसमें वे सफल भी हुई।

कड़ी चुनौतियों का सामना

53 किग्रा में प्रतिस्पर्धा करने के बाद उन्हें 50 किग्रा में उतरना पड़ा। ओलंपिक क्वालीफायर से पहले उनके ट्रायल मुकाबलों में कई समस्याएं आईं, और 2016 के रियो ओलंपिक में ACL के फटने के बाद घुटने की सर्जरी ने उनके करियर को संकट में डाल दिया। हरियाणा की इस पहलवान के लिए पेरिस तक का सफर बेहद कठिन था, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय कठिनाइयों का सामना किया।

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संघर्ष की यात्रा

विनेश की असाधारण यात्रा, दिल्ली के विरोध प्रदर्शनों ( Delhi Protests ) से लेकर पेरिस के पोडियम तक, ने उनके परिश्रम और समर्पण को प्रमाणित किया है। फिलहाल, उनका सिल्वर मेडल पक्का हो चुका है, जो उनकी आलोचनाओं का सटीक जवाब है। भारतीय कुश्ती महासंघ ( Indian Wrestling Federation ) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह ( Brij Bhushan Sharan Singh ) के खिलाफ उनके नेतृत्व में चले विरोध प्रदर्शनों की उनकी भूमिका के लिए उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था।

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अथक संकल्प और आत्मविश्वास

विनेश फोगाट की 30 वर्षीय उम्र में, उनके दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास ने उन्हें न केवल प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने बल्कि कुश्ती के सबसे बड़े खेल में सफलता प्राप्त करने में भी मदद की। उनके ऑफ-फील्ड संघर्षों ने उन्हें मैट पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को पराजित करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया।

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विनेश की लड़ाई और सफलता

विनेश फोगाट ने कुश्ती के मैट पर और उससे बाहर दोनों ही मोर्चों पर लड़ाई लड़ी है। अपने गांव बलाली में शुरू होकर, उन्होंने कुश्ती को पुरुषों का खेल मानने वाले ग्रामीणों के विरोध से लेकर, अपने पिता की मृत्यु और शक्तिशाली महासंघ के अधिकारियों से भिड़ने तक की कठिनाइयों का सामना किया है। कुश्ती की विश्व संस्था ने उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई देते हुए कहा, "विश्वास करो, तुम उड़ सकते हो।" और सचमुच, विनेश ने यह साबित कर दिया कि वह उड़ सकती हैं।

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