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पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के बीच मध्य प्रदेश और राजस्थान ने डीपीआर तैयार करने के लिए एमओयू किया है। परियोजना में तीन नदियों को जोड़ने पर कुल 72 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसमें मध्य प्रदेश का हिस्सा 35 हजार करोड़ और राजस्थान का 37 हजार करोड़ रुपए है।
डीपीआर तैयार करने के लिए एमओयू किया
भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना के क्रियान्वयन की संयुक्त पहल का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। 20 साल बाद पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना को आगे बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के बीच मध्य प्रदेश और राजस्थान ने डीपीआर तैयार करने के लिए एमओयू किया है। परियोजना में तीन नदियों को जोड़ने पर कुल 72 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसमें मध्य प्रदेश का हिस्सा 35 हजार करोड़ और राजस्थान का 37 हजार करोड़ रुपए है।
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2004 में प्रस्तावित हुई थी परियोजना
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच 2004 में प्रस्तावित हुई थी, लेकिन दोनों सरकारों के बीच पानी के बंटवारे के लिए सहमति नहीं बनी। इसके बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल के बीच रविवार को परियोजना को लेकर नए सिरे एमओयू हुआ है।
मध्य प्रदेश में कुल 17 बैराज बनाए जाएंगे
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना के बाद कुल 6.17 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इससे मध्य प्रदेश और राजस्थान के लाखों किसानों को फायदा होगा। इसमें प्रदेश के 30 लाख किसान परिवारों को लाभ मिलेगा। वहीं परियोजना में मध्य प्रदेश में कुल 17 बैराज बनाए जाएंगे। यह इंदौर, उज्जैन, धार, गुना, शिवपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, शाजापुर और आगर मालवा में बनेंगे। इंदौर में बांध बनने से 12 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। उज्जैन में 65 हजार, धार में 10 हजार, आगर मालवा में 4, शाजापुर में 46, शिवपुरी 95 हजार, श्योपुर में 25 हजार, गुना-ग्वालियर-भिंड में 80 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होगी।
चार जिलों में उद्योगों के लिए भी पानी की व्यवस्था
परियोजना से पेयजल की भी व्यवस्था होगी। प्रदेश के 9 जिलों में 323 मिलियन घनमीटर पेयजल की व्यवस्था होगी। इनमें इंदौर, उज्जैन, धार, गुना, श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड और शाजापुर जिले शामिल हैं। इसके साथ ही चार जिलों में उद्योगों के लिए भी पानी की व्यवस्था की जाएगी। इसमें उज्जैन, देवास, शाजापुर और आगर मालवा शामिल हैं। कुल 30 मिलियन घनमीटर पानी की इसके लिए व्यवस्था होगी।
एमपी में 17 और राजस्थान में छह बैराज बनेंगे
माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्पलेक्स में चार बांध और दो बैराज का निर्माण होगा। दूसरा कुंभराज कॉम्पलेक्स में दो बांध बनेंगे। रजीगत सागर बैराज, लखुंदर बैरोज, ऊपरी चंबल कछार में सात बांध बनेंगे। एमपी में कुल 17 बांध और बैरोज बनने हैं।
वहीं, राजस्थान में कूल नदी, पार्वती नदी, कालीसिंध नदी, मेज नदी पर एक-एक और बनास नदी पर दो मिलाकर कुल 6 बैराज बनेंगे। 2.80 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी। इसके साथ ही इस परियोजना के लिए ईसारदा बांध और 26 अन्य बांधों का नवीनीकरण और एकीकरण किया जाएगा।
आज का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा
सीएम मोहन यादव ने कहा कि आज का ये दिन मध्य प्रदेश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। हम छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर 20 साल तक उलझे रहे। देश हित से बढ़ा कोई हित नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच रही है कि राज्य अपने मसलों को सुलझाएं। 28 जनवरी को हमने राजस्थान के मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। इस दौरान तीनों नदियों के जल के उपयोग को लेकर चर्चा की। इस मुद्दे पर राजस्थान के सीएम ने कहा कि हम दोनों राज्य मिलकर आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि वन्य जीवों की सुरक्षा दोनों राज्य मिलकर करेंगे। पर्यटन और रोजगार आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा।
इन बिंदुओं पर भी करेंगे सहयोग...
- कूनो से लगे राजस्थान के वन क्षेत्रों को मिलाकर एक संयुक्त बड़ा राष्ट्रीय पार्क बनाया जाए।
- मध्य प्रदेश पर्यटन की होटल आऊटसोर्सिंग पॉलिसी को राजस्थान अपना सकता है।
- राजस्थान मध्यप्रदेश की खनन नीति को अपना कर राजस्व में वृद्धि कर सकता है।
- अफीम/डोडा चूरा से जुड़े अपराधियों का डेटा बेस साझा किया जाए एवं नीलामी पॉलिसी में एकरूपता लाई जाए।
- दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित मेडिकल कॉलेज की स्थिति/ दूरी का युक्ति युक्तकरण किया जाए।
- श्री कृष्ण पाथेय कृष्ण गमन पथ निर्माण।
- खाटू-श्याम जी, नाथद्वारा, उज्जैन, ओंकारेश्वर के मध्य वंदे भारत ट्रेन/ इलेक्ट्रिक बस का संचालन किया जाए।
- बजरी का प्रयोग बंद कर स्टोन डस्ट और एम सैंड के उपयोग को बढ़ावा।
- आयुर्वेद/आयुष/ पंचकर्म पर्यटन को बढ़ावा देने के संयुक्त प्रयास।