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Photograph: (thesootr)
भारत में पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर पर GST (Goods and Services Tax) क्यों लागू नहीं किया जाता? इसका उत्तर केंद्र और राज्य सरकारों की टैक्स नीतियों में छिपा हुआ है।
पेट्रोल, डीजल और शराब-बीयर पर टैक्स की स्थिति पर एक गहरी नजर डालने पर यह स्पष्ट होता है कि सरकारें इन वस्तुओं पर भारी टैक्स लगाकर अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त करती हैं।
केंद्र-राज्य सरकारों के टैक्स राजस्व
केंद्र सरकार (Central Government) पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) और राज्य सरकारें (State Governments) वैट (VAT) लगाती हैं। अगर पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर को GST के दायरे में लाया जाता है, तो यह टैक्स कम हो जाएगा, जिससे इन दोनों सरकारों के लिए राजस्व में भारी कमी आएगी।
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पेट्रोल-डीजल पर टैक्स
पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों द्वारा वैट के माध्यम से एक महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होता है। यदि ये वस्तुएं GST के दायरे में आ जाती हैं, तो टैक्स दरों में कमी हो सकती है, जिससे राज्यों को राजस्व का नुकसान हो सकता है।
यदि पेट्रोल और डीजल को GST के अधिकतम स्लैब (40%) में लाया जाता है, तो यह वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं, लेकिन टैक्स की दरों में कमी होने से सरकारों के लिए राजस्व में भारी गिरावट हो सकती है।
शराब-बीयर पर टैक्स
भारत में शराब और बीयर पर स्टेट एक्साइज ड्यूटी और वैट दोनों लगते हैं। राज्य सरकारें शराब और बीयर पर अलग-अलग दरें लागू करती हैं, और इससे उन्हें एक महत्वपूर्ण वित्तीय स्रोत मिलता है।
शराब और बीयर पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) और वैट राज्य सरकारों के लिए महत्वपूर्ण टैक्स स्रोत होते हैं। राज्यों में अलग-अलग दरें लागू होने के कारण, यह टैक्स प्रणाली राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल रहती है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में शराब पर 20% वैट है, जबकि महाराष्ट्र में विदेशी शराब पर 35% वैट लगता है।
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GST काउंसिल और राज्य सरकार
GST काउंसिल (GST Council) में सभी राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं, और राज्य सरकारों के अनुसार, पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर को GST के दायरे में लाने से उनका राजस्व कम हो सकता है। इसके कारण यह मुद्दा काउंसिल में कभी भी विचार नहीं किया गया है।
GST लागू नहीं करने के कारण...🚲 🚚 राजस्व में कमी का डर: पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर पर वर्तमान में जो टैक्स दरें हैं, वो राज्य सरकारों के लिए बड़े पैमाने पर राजस्व का स्रोत हैं। अगर GST लागू किया गया तो इन वस्तुओं पर टैक्स कम हो सकता है, जिससे सरकारों के राजस्व में कमी आएगी। 🔀 राज्य सरकारों का विरोध : GST काउंसिल में विभिन्न राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, लेकिन इन मुद्दों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है क्योंकि राज्यों को डर है कि इससे उनका वैट (VAT) से होने वाला राजस्व प्रभावित होगा। 🥃GST काउंसिल की बैठक में चर्चा का अभाव : पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर को GST के दायरे में लाने का कोई प्रस्ताव GST काउंसिल में अब तक नहीं आया है, क्योंकि राज्य सरकारों का दबाव है कि इससे उनका राजस्व प्रभावित होगा। |
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GST काउंसिल की बैठक
पिछली GST काउंसिल की बैठक में हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले ईंधन को GST के दायरे में लाने को लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। यही स्थिति पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर के मामले में भी है, जहां इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
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