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जीएसटी काउंसिल की बैठक: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स जिसे आमतौर पर जीएसटी के नाम से जाना जाता है, भारत में एक बहुत बड़ा टैक्स सुधार है।
1 जुलाई 2017 को लागू किया गया यह टैक्स एक देश, एक टैक्स के प्रिंसिपल पर काम करता है। इसका मेन ऑब्जेक्टिव भारत के सभी राज्यों में गुड्स और सर्विसेज पर लगने वाले टैक्सेज को एक समान बनाना है, जिससे टैक्स सिस्टम आसान और पारदर्शी हो सके।
जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं, समय-समय पर दरों में बदलाव करती रहती है, ताकि यह आम लोगों की जरूरतों के हिसाब से काम करे।
56वीं GST काउंसिल
हाल ही में GST काउंसिल की 56वीं बैठक में एक बड़ा और इम्पोर्टेन्ट डिसिशन लिया गया है जिसने आम आदमी को बड़ी राहत दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बैठक के बाद बताया कि सरकार ने जीएसटी स्लैब (जीएसटी काउंसिल फैसले) को सरल करके अब सिर्फ दो स्लैब रखने का प्रपोजल किया है।
इस फैसले से कई जरूरी चीजों की कीमतें घट जाएंगी। सबसे बड़ी राहत स्कूली बच्चों और उनके माता-पिता को मिली है क्योंकि पढ़ाई-लिखाई से जुड़े कई सामानों पर टैक्स पूरी तरह से हटा दिया गया है। आइए, इस बड़े बदलाव को डिटेल से समझते हैं।
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कितना सस्ता हुआ पढ़ाई-लिखाई का सामान
जीएसटी काउंसिल ने बच्चों की शिक्षा से जुड़ी चीजों पर खास ध्यान दिया है। पहले इन पर 12% और 18% तक का टैक्स लगता था, जिससे हर साल स्टेशनरी का खर्च काफी बढ़ जाता था।
अब इस बोझ को कम करने के लिए कई जरूरी सामानों पर टैक्स को घटाकर 0% (Zero Tax) कर दिया गया है। जिन चीजों पर GST अब 0% है, उनमें शामिल हैं:
कॉपी और नोटबुक (Copies and Notebooks): बच्चों के लिए सबसे जरूरी चीज, जिस पर पहले 12% जीएसटी लगता था, अब पूरी तरह टैक्स-फ्री है।
पेंसिल (Pencils) और शार्पनर (Sharpeners): ये दोनों चीजें भी अब बिना टैक्स के मिलेंगी, जिससे बच्चों का रोजमर्रा का खर्च कम होगा।
रबड़ (Erasers): जो पहले 18% के टैक्स स्लैब में था, अब उस पर भी कोई जीएसटी नहीं लगेगा।
मैप (Maps) और ग्लोब (Globes): भूगोल और सामान्य ज्ञान की पढ़ाई के लिए जरूरी ये सामान भी अब सस्ते हो गए हैं।
लैब नोटबुक (Lab Notebooks) और अभ्यास पुस्तिकाएं (Practice Books): विज्ञान और अन्य विषयों की प्रैक्टिकल पढ़ाई से जुड़ी इन चीजों पर भी टैक्स हटा दिया गया है।
यह कदम खासकर उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है, जो बच्चों की पढ़ाई के खर्च को लेकर चिंतित रहते थे। अब जब स्कूल खुलेंगे, तो माता-पिता पर स्टेशनरी का बोझ पहले की तुलना में काफी कम होगा।
और क्या-क्या हुआ सस्ता
जीएसटी काउंसिल के इस फैसले का असर सिर्फ स्कूली सामान तक ही सीमित नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, काउंसिल ने करीब 175 कमोडिटी पर टैक्स कम करने की तैयारी की है। यह बदलाव सीधे तौर पर आम आदमी की जेब पर असर डालेगा। इन चीजों पर भी टैक्स कम हुआ है:
खाने-पीने की चीजें: फल, सब्जियां, खाखरा, पिज्जा ब्रेड और चपाती जैसी रोजमर्रा की चीजें भी अब कम टैक्स के दायरे में हैं। इससे किचन का बजट सुधरेगा।
दवाइयां और स्वास्थ्य सेवाएं (Medicines and Health Services): दवाइयों और बीमा सेवाओं पर भी टैक्स कम किया गया है, जिससे स्वास्थ्य खर्च में कमी आएगी।
कृषि उपकरण (Agricultural Equipment): किसानों को राहत देते हुए, कृषि से जुड़े उपकरणों पर भी जीएसटी कम किया गया है, जिससे खेती का खर्च घटेगा।
साइकिल (Bicycle): यह आम आदमी के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन साधन है। साइकिल पर भी टैक्स कम किया गया है, जिससे यह और अधिक किफायती हो गई है।
हालांकि, कुछ चीजों पर टैक्स बढ़ने की भी खबर है जैसे तंबाकू और 50 लाख रुपए से ज्यादा की गाड़ियों पर 40% टैक्स स्लैब लागू हो सकता है।
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क्या है जीएसटी और यह क्यों जरूरी है
GST हमारे देश का एक बहुत ही खास टैक्स है। इसे आप एक बड़े और जादुई बॉक्स की तरह समझ सकते हैं। एक समय था जब भारत में हर चीज पर अलग-अलग तरह के टैक्स लगते थे। जैसे अगर आप एक चॉकलेट खरीदते तो दुकानदार को एक टैक्स देना पड़ता, फिर सरकार को दूसरा और फिर राज्य सरकार को तीसरा।
यह सब बहुत ही उलझा हुआ और मुश्किल था। हर राज्य में टैक्स की दरें अलग-अलग थीं, जिससे व्यापार करना बहुत कठिन था। तब हमारे देश के नेताओं ने सोचा, "क्यों न हम इन सभी छोटे-छोटे और उलझे हुए टैक्स को मिलाकर एक बड़ा और आसान टैक्स बना दें?" बस, इसी सोच के साथ 1 जुलाई 2017 को जीएसटी (GST) को लागू किया गया।
जीएसटी का मतलब है 'एक देश, एक टैक्स' (One Nation, One Tax)। इसे तत्कालीन फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली की चेयरमैनशिप वाली जीएसटी काउंसिल ने लागू किया था। यह काउंसिल केंद्र सरकार और सभी राज्यों के रेप्रेसेंटेटिवेस से मिलकर बनी है। अब चाहे आप कोई भी सामान खरीदें आपको बस एक ही टैक्स देना पड़ता है। इससे दुकानदार के लिए भी हिसाब रखना आसान हो गया और सरकार के लिए भी।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि हर जगह एक ही कीमत पर सामान मिलने लगा और टैक्स चोरी भी कम हो गई। जीएसटी ने हमारे टैक्स सिस्टम को बहुत ही सरल और पारदर्शी बना दिया है।
GST Slabs क्या होता है
GST Slabs का मतलब है अलग-अलग तरह के सामान और सेवाओं पर लगने वाली GST की अलग-अलग दरें। जानकारी के मुताबिक, भारत में चार मेन GST Slabs हैं:
5% GST: इस स्लैब में रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजें आती हैं, जैसे की चीनी, चाय, कॉफी, मसाले, एडिबल आयल और कुछ दवाईयां।
12% GST: इसमें प्रोसेस्ड फूड्स (जैसे की बटर, पनीर), मोबाइल फोन्स और कुछ कपड़े शामिल हैं।
18% GST: यह सबसे बड़ा स्लैब है जिसमें ज्यादातर सेवाएं आती हैं जैसे की रेस्टोरेंट्स की सर्विसेज, IT सर्विसेज और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स।
28% GST: यह सबसे ज्यादा दर वाला स्लैब है। इसमें लक्जरी आइटम्स जैसे की cars, AC, refrigeratos और तम्बाकू प्रोडक्ट्स आते हैं।
कुछ जरूरी चीजों को GST से छूट भी मिली हुई है जैसे की फ्रेश मिल्क, वेजटेबल्स और फ्रूट्स । यह स्लैब सिस्टम सरकार को यह तय करने में मदद करता है की किस चीज पर कितना टैक्स लगाना है ताकि आम आदमी पर ज्यादा बोझ न पड़े।
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