कर्मचारियों के लिए पीएफ अकाउंट ट्रांसफर की प्रक्रिया अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गई है। भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने दो अहम नियमों में बदलाव कर दिए हैं, जिससे लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी। अब तक नई नौकरी जॉइन करने पर कर्मचारियों को पुराने पीएफ अकाउंट से नए अकाउंट में ट्रांसफर कराने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब ईपीएफओ ने फॉर्म-13 से जुड़े सॉफ्टवेयर में तकनीकी सुधार कर इसे ज्यादा यूजर फ्रेंडली बना दिया है।
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आसान होगी प्रोसेस
इस बदलाव से न सिर्फ प्रोसेस आसान हो गया है, बल्कि अनुमान है कि इससे 1.25 करोड़ से ज्यादा ईपीएफओ सदस्यों को सीधा फायदा मिलेगा। अब पैसा निकालना या अकाउंट ट्रांसफर कराना दोनों ही काम बिना किसी परेशानी के, जल्दी और आसानी से किए जा सकेंगे।
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नियोक्ता की मंजूरी अब जरूरी नहीं
EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) ने ज्यादातर ट्रांसफर मामलों में नियोक्ता की स्वीकृति की आवश्यकता को खत्म कर दिया है। यह नया नियम जनवरी 2025 से लागू होगा। अब कर्मचारियों के लिए नौकरी बदलने पर पीएफ बैलेंस ट्रांसफर करना काफी सरल हो जाएगा। यह बदलाव ईपीएफओ द्वारा अकाउंट मैनेजमेंट को अधिक सहज और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
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तेजी से होगा प्रोसेसिंग
पहले PF ट्रांसफर के लिए स्रोत और गंतव्य (सोर्स और डेस्टिनेशन) ईपीएफओ ऑफिस के बीच समन्वय की जरूरत होती थी, जिससे प्रक्रिया में काफी विलंब हो जाता था। नए सिस्टम के तहत, जैसे ही स्रोत ऑफिस ट्रांसफर क्लेम को मंजूरी देगा, सदस्य का पुराना पीएफ खाता स्वचालित रूप से नए खाते में मर्ज कर दिया जाएगा। इससे प्रोसेसिंग टाइम घटेगा और ट्रांसफर प्रक्रिया कहीं अधिक तेज और प्रभावी हो जाएगी।
टैक्स योग्य पीएफ पर भी मिलेगी स्पष्ट जानकारी
नई प्रणाली के तहत, अब पीएफ बचत को टैक्स योग्य और नॉन-टैक्स योग्य हिस्सों में स्पष्ट रूप से विभाजित किया जाएगा। यह बदलाव ब्याज आय पर सही टीडीएस (TDS) कटौती सुनिश्चित करने में मदद करेगा, जिससे वर्षों से चली आ रही सदस्यों की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। ईपीएफओ का अनुमान है कि इस संशोधित प्रक्रिया के चलते हर साल लगभग 90 हजार करोड़ रुपये के फंड का ट्रांसफर संभव हो पाएगा।
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यूएएन निर्माण प्रक्रिया में सुधार
ईपीएफओ ने कर्मचारियों के यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) बनाने की प्रक्रिया को और सरल बना दिया है। अब नियोक्ता आधार को तुरंत लिंक किए बिना भी बड़ी संख्या में यूएएन जनरेट कर सकते हैं। इस बदलाव से नियोक्ताओं को अधिक लचीलापन मिलेगा और कर्मचारियों के पंजीकरण की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक तेज़ और सुविधाजनक हो जाएगी।